रांची सांसद संजय सेठ को भाया बजट 2021, कहा - लोकलुभावन नहीं बल्कि सर्वांगीण विकास व आत्मनिर्भरता बढ़ाने वाला बजट
रांची के सांसद संजय सेठ ने कहा कि बजट लोकलुभावन नहीं बल्कि सर्वांगीण विकास व आत्मनिर्भरता बढ़ाने वाला है। हर देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था। ऐसे में दुनिया के कई देशों ने हथियार बेचना शुरू किया और अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद शुरू की...
रांची, राज्य ब्यूरो। रांची के सांसद संजय सेठ ने केंद्रीय बजट 2021 की काफी तारीफ की है। कहा कि बजट लोकलुभावन नहीं बल्कि सर्वांगीण विकास व आत्मनिर्भरता बढ़ाने वाला है। उन्होंने बताया कोरोना संक्रमण काल में पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गई। हर देश आर्थिक संकट से जूझ रहा था। ऐसे में दुनिया के कई देशों ने हथियार बेचना शुरू किया और अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद शुरू की। इस विषम परिस्थिति में भी भारत इकलौता ऐसा देश रहा, जिसने अपने नागरिकों पर एक भी अतिरिक्त कर नहीं लगाया। अतिरिक्त बोझ नहीं डाला। अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर भी लाया और दुनिया को कोरोना से लड़ने के लिए संजीवनी बूटी वैक्सीन भी उपलब्ध करवाई।
यह कोई सामान्य काम नहीं था, यह बड़ा चुनौतीपूर्ण काम था। इतनी बड़ी आबादी का देश, एक-एक नागरिक की हिफाजत, उन पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व व मार्गदर्शन से संभव हुआ। लाकडाउन के दौरान ही प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया। इसका परिणाम हमें देखने को मिला। डा कलाम साहब ने भारत 2020 का जो सपना देखा था, वह सच में 2020 में सफल हुआ। प्रधानमंत्री के आह्वान पर हमने आपदा को अवसर में बदला और इसी का परिणाम रहा कि हमारी सेना में तेजस जैसे नए विमान शामिल हुए। हमने दुनिया को जीवन रक्षक दवाएं दीं और अपने देश के लिए भी बहुत सारे कार्य शुरू किए। इन सभी कार्यों की झलक इस नए बजट में दिखती है।
आज से पूर्व के बजट की बात करें तो पूर्व की सरकारों में जब बजट आने वाला रहता था या आता था तो पहले इसका आकलन किया जाता था कि इस बजट से किस तरह के वर्ग को लुभाया जाएगा। यह बजट किस तरह के वर्ग के लिए खास होगा। बजट के बाद अक्सर ऐसी ही चर्चा होती थी कि इस बजट के माध्यम से फलाने वर्ग को लुभाने का प्रयास किया गया। फलाने क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दिया गया या फलाने लोगों की सब्सिडी माफ़ की गई। कुल मिलाकर वह बजट वोट बैंक साधने का बजट होता था, राजनीतिक गलियारों में चर्चा इसी बात की होती थी कि सरकारें अपने राजनीतिक विस्तार को लेकर बजट बनाती हैं परंतु वर्तमान की नरेंद्र मोदी की सरकार ने जनता के विस्तार, जनहित के विस्तार और देश के आर्थिक विस्तार को लेकर हर बजट पेश करती रही है।
अभी हमने नया बजट देखा। निश्चित रूप से बजट आने से पूर्व और उसके आने के बाद हर वर्ग अपने हिसाब से इस पर चर्चा करता है और चर्चा होनी भी चाहिए। सबके अपने-अपने तर्क होते हैं परंतु इन सब तर्कों पर एक तर्क भारी पड़ता है और वह यह कि नरेंद्र मोदी ने देश का बजट पेश किया है। देश के नागरिकों के लिए बजट पेश किया है। क्योंकि देश और नागरिक एक दूसरे से अलग नहीं हो सकते। दोनों का एक दूसरे से अन्योन्याश्रय संबंध है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जो बजट पेश किया है, यह मोदी सरकार की उपलब्धियों का दस्तावेज भी है। हर वर्ग का ध्यान, हर जरूरतमंद तक सरकारी योजनाएं और सहायता पहुंचाना, इन सबका प्रावधान इस बजट में हमें दिखता है। चाहे आप एकलव्य विद्यालय की बात कर लें, चाहे उज्ज्वला योजना की बात कर लें, चाहे भारतीय रेल को नया विस्तार देने की बात करें या तो फिर राजमार्गों के विस्तार की - सरकार ने हर तरफ यह दिखाया है कि सबको साथ लेकर चलने से ही सबका विकास हो सकता है।
इस बजट में यह स्पष्ट बताया गया कि यदि रेल जरूरी है तो उज्ज्वला योजना भी जरूरी है। राजमार्गों का विकास जरूरी है तो एकलव्य विद्यालय का खुलना भी जरूरी है। अब तक की सरकारें किसी एक तरफ फोकस करके आगे बढ़ती चली जाती थी। परंतु इस सरकार ने चौतरफा फोकस किया है। लक्ष्य साधा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश को नई ऊंचाई प्रदान करने के लिए आर्थिक खाका खींचने का काम किया है।
बजट में केंद्र सरकार ने झारखंड में 69 नए एकलव्य विद्यालय खोलने की घोषणा की है। यह निश्चित रूप से हमारे आदिवासी परिवारों के बच्चों के लिए, उनके सपनों को नए पंख देने के लिए काम करेंगे। इसके अतिरिक्त किसानों की फसलों का एमएसपी बढ़ाकर डेढ़ गुणा करना किसानों के लिए बड़ी सुखद बात है। कोरोना वैक्सीन के लिए 35 हजार करोड़ का एलान करके सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि हर आम जनता के स्वास्थ्य की चिंता सरकार को है और कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से अपने देश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए सरकार संकल्पित है।
रेलवे के विकास के लिए दीर्घकालिक परियोजना, जहां देश की विकास की गति में नई रफ्तार जोड़ेगा, वहीं देश में सात टैक्सटाइल पार्क का निर्माण हमें कपड़ा उद्योग के क्षेत्र में विश्वव्यापी पहचान दिलाएगा। कुल मिलाकर कहें तो यह बजट इस देश के किसानों, मजदूरों से लेकर विद्यार्थियों, महिलाओं के लिए है। यानी हम कह सकते हैं कि बजट में परिवार के हर व्यक्ति की चिंता है। देश के हर नागरिक की चिंता है।
जरूरत इस बात की है कि केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारों का समन्वय अच्छा हो ताकि केंद्र की योजनाओं का लाभ हर राज्य की जनता को मिल सके।