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मृत हो गई रांची के सौंदर्य को बढ़ाने वाली हरमू नदी, नाले से भी बदतर हालात Ranchi News

Jharkhand News अप्रैल के महीने में हरमू नदी कई स्थानों पर सूखी हुई है। सरकार के द्वारा खर्च किए गए पैसे का कोई असर नहीं दिखता है। पिछले कुछ वर्षों में हरमू नदी पर आबादी का दबाव बढ़ा है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 04:05 PM (IST)Updated: Sun, 04 Apr 2021 06:27 PM (IST)
Jharkhand News पिछले कुछ वर्षों में हरमू नदी पर आबादी का दबाव बढ़ा है।

रांची, [संजय सुमन]। Jharkhand News रांची के सौंदर्य को बढ़ाने वाली और रांची के इतिहास की गवाह हरमू नदी अब मर चुकी है। राज्य सरकार की तमाम योजनाओं के बाद भी अप्रैल के महीने में ही यह सूख गई है। अब इसमें केवल नाले का पानी है। दरअसल, शहर के बाहरी भाग में कुछ लोगों के द्वारा जगह-जगह अवैध रूप से मिट्टी के बड़े-बड़े डैम बना दिए गए हैं। इसमें साफ पानी इकट्ठा होता है। वहां से आगे नदी सूखी हुई है। हालांकि शहर में आने के बाद नदी में पानी देखने को मिलता है।

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मगर यह असल में नाले का पानी है, जो हमारे घरों के सीवर से निकलकर नदी में मिल रहा है। पिछली सरकार में नदी के संरक्षण के लिए करीब सौ करोड़ रुपये खर्च किए गए। मगर हर दिन तिल-तिलकर नदी नाले में बदलती रही। सरकार के द्वारा खर्च किए पैसे का कोई असर नदी पर नहीं दिखता है। फिर पर्यावरण संरक्षण के लिए सरकार के द्वारा सितंबर 2018 में करीब चार हजार पौधारोपण किया गया। मगर इसमें से आज शायद ही कोई पौधा जिंदा है।

अब राज्य सरकार फिर से नदी जीर्णोद्धार और संरक्षण परियोजना से शहर के पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव के अध्ययन के लिए करीब 22 लाख रुपये खर्च कर रही है। इसमें नागपुर स्थित राष्ट्रीय अभियांत्रिक अनुसंधान संस्थान की मदद ली जा रही है। नदियों के संरक्षण कार्य से जुड़े पर्यावरणविद आशिष शीतल बताते हैं कि हरमू नदी का उद्गम लैटेराइट मिट्टी से है। यह बारिश के जल पर निर्भर है। बाकी समय यह सिर्फ गंदे पानी से भरा रहता है। पिछले कुछ वर्षों में हरमू नदी पर आबादी का दबाव बढ़ा है। इसके दोनों किनारों के आसपास तेजी से मोहल्ले बसे है। किनारों पर अतिक्रमण हुआ है।

जमीन दलालों ने भी हरमू नदी के किनारों पर अतिक्रमण कर जमीन बेच दी। किनारे बने खटाल और घरों से निकलनेवाला गंदा पानी हरमू नदी में ही गिर रहा है। इससे यह नदी पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी है। आशीष शीतल बताते हैं कि हरमू नदी के सौंदर्यीकरण की देखरेख के लिए नगर विकास विभाग ने एक कमेटी बनाई थी। उसी कमेटी ने जांच के बाद योजना के डीपीआर को ही त्रुटिपूर्ण करार दे दिया। इसके बाद भी उस डीपीआर के आधार पर किए गए निर्माण कार्यों पर 84 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए।


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