RSS के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष बने रामचंद्र खराड़ी
Vanavasi Kalyan Ashram राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले खराड़ी भील जनजाति से आते हैं और वे गृहस्थ जीवन जी रहे हैं। वे आरएसएस के स्वयंसेवक हैं और 25 वर्षों से वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता हैं।
रांची, [संजय कुमार]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन वनवासी कल्याण आश्रम की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की तीन दिवसीय बैठक नागपुर में चल रही है। 11 अक्टूबर से प्रारंभ बैठक के पहले दिन आरएसएस के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले की उपस्थिति में राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद के अध्यक्ष रामचंद्र खराड़ी का राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में सर्वसम्मति से चयन किया गया। खराड़ी स्व. जगदेवराम उरांव के निधन के बाद रिक्त अध्यक्ष पद का दायित्व ग्रहण करेंगे।
वनवासी कल्याण आश्रम के प्रथम अध्यक्ष स्व. बालासाहेब देशपांडे व स्व. जगदेवराम उरांव के बाद तृतीय अध्यक्ष के रूप में रामचंद्र खराड़ी अखिल भारतीय अध्यक्ष का कार्यभार संभालेंगे। राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले खराड़ी भील जनजाति से आते हैं और गृहस्थ जीवन जी रहे हैं। आरएसएस के स्वयंसेवक हैं और 25 वर्षों से वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए बैठक में मात्र 30 अखिल भारतीय आधिकारी उपस्थित रहे।
सोमवार की बैठक में आरएसएस के सरकार्यवाह भय्याजी जोशी भी उपस्थित रहेंगे। वनवासी कल्याण केंद्र के मुख्यालय छत्तीसगढ़ के जशपुर में 15 जुलाई 2020 को जगदेवराम उरांव का हृदयाघात से निधन हो गया था। उसके बाद से वनवासी कल्याण आश्रम के वरीष्ठ उपाध्यक्ष कृपा प्रसाद सिंह कार्यकारी अध्यक्ष पद का दायित्व संभाल रहे थे। नागपुर में रविवार को नए अध्यक्ष का चुनाव होने के बाद कृपा प्रसाद सिंह ने अध्यक्ष पद का कार्यभार उनको सौंप दिया।
1952 में हुई थी स्थापना
उल्लेखनीय है कि 26 दिसंबर 1952 को रामाकांत केशव बालासाहेब देशपांडे के मार्गदर्शन में वनवासी कल्याण केंद्र की स्थापना छत्तीसगढ़ के जशपुर में हुई थी। वनवासियों के कल्याण के लिए काम करने वाले इस संगठन का पूरे देश में काम चल रहा है। सबसे ज्यादा काम झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, असम, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार में है। संगठन के अभी पूरे देश में 1200 पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं। आदिवासियों के बीच शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्राम विकास, सामाजिक जागरण, जनजाति हित रक्षा व खेलकूद के क्षेत्र में इस संगठन के कार्यकर्ता काम करते हैं।
राजस्थान में कई महत्वपूर्ण सरकारी पदों पर किया है काम
रामचंद्र खराड़ी का जन्म 15 जनवरी 1955 में राजस्थान के उदयपुर जिला के खरबर गांव में एक भील जनजाति परिवार में हुआ। स्नातक तक की पढ़ाई के बाद उन्होंने सरकारी सेवा में प्रवेश किया। तहसीलदार, सब डिविजनल मजिस्ट्रेट, अतिरिक्त जिला अधिकारी आदि सरकारी पदों पर रहकर राजस्थान के विभिन्न जिलों में उन्होंने कार्य किया। भूमि संबंधी मामलों का निपटारा करने हेतु उन्होंने सरकारी पद पर रहकर काफी सराहनीय कार्य किया। इसके कारण सरकारी कामकाज के क्षेत्र में उनका नाम काफी चर्चित रहा।
2014 में सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर धार्मिक एवं सामाजिक कार्य में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। जनजाति समाज के परंपरागत धर्म-संस्कृति की रक्षा के साथ-साथ गायत्री परिवार के कार्य में भी 1995 में वे संपर्क में आए। उनके नेतृत्व में 17 स्थानों पर गायत्री माता मंदिर का निर्माण कार्य हुआ। 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में यजमान की भी भूमिका उन्होंने निभाई थी। कई स्थानों पर सामूहिक विवाह कराने में भी उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका कल्याण आश्रम से संपर्क 2003 में डुंगरपुर कल्याण आश्रम के भवन निर्माण के समय में आया। 2016 में वे राजस्थान के अध्यक्ष बने।
2019 में दाेबारा इस दायित्व के लिए वे चुने गए। गत दो वर्षों से वे कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में भी कार्यरत थे। गत पांच वर्षों में कल्याण आश्रम के सभी अखिल भारतीय कार्यक्रम में उनका सान्निध्य देश भर के कार्यकर्ताओं को प्राप्त हुआ। देश भर के सभी प्रमुख कार्यकर्ताओं के साथ उनका अच्छा संपर्क भी स्थापित हो चुका है। विचारों में स्पष्टता के साथ प्रभावी वक्ता के रूप में भी उनका परिचय कार्यकर्ताओं के बीच में बना हुआ है। 2017 में संत ईश्वर सेवा पुरस्कार भी उन्हें प्राप्त हुआ था।