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पिता ने नहीं दी बाइक तो बना ली इलेक्ट्रिक साइकिल, पॉकेट खर्च व ट्यूशन पढ़ाकर पूरा किया सपना VIDEO

Jharkhand Hindi News Simdega News रामकृष्ण सिमडेगा कालेज में इंटर आर्ट्स के छात्र हैं। उन्होंने सरकारी स्कूल एसएस सिमडेगा से दसवीं की पढ़ाई पूरी की है। उसने बताया कि उसके घर की माली हालत अच्छी नहीं है। कालेज करीब 6 से 7 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 16 Sep 2021 04:39 PM (IST)Updated: Thu, 16 Sep 2021 07:03 PM (IST)
पिता ने नहीं दी बाइक तो बना ली इलेक्ट्रिक साइकिल, पॉकेट खर्च व ट्यूशन पढ़ाकर पूरा किया सपना VIDEO
Jharkhand Hindi News, Simdega News रामकृष्ण सिमडेगा कालेज में इंटर आर्ट्स के छात्र हैं।

सिमडेगा, [वाचस्पति मिश्र]। झारखंड के सिमडेगा जिले में इंटर के छात्र रामकृष्ण की कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही प्रेरणादायी भी। उन्होंने पिता से एक दिन बाइक की मांग की। पिता ने बाइक चलाने से मना करते हुए जब इसे देने से इन्‍कार कर दिया, तब रामकृष्ण ने कुछ नया करने की योजना बनाई। देखते ही देखते उसने अपनी पॉकिट मनी एवं छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर 20 हजार रुपये जमा किए और उससे इलेक्ट्रिक साइकिल बनाकर अपना सपना पूरा किया।

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एक बार चार्ज करने के बाद यह इलेक्ट्रिक साइकिल 40 किलोमीटर चलती है। इंटर में पढ़ने वाले रामकृष्ण के इस जुनून से घर ही नहीं, पूरे शहर के लोग भी हैरान व उत्साहित हैं। इतना ही नहीं, शुरू में इलेक्ट्रिक साइकिल बनाने को जिस पिता ने फिजूलखर्ची बताया था, उन्होंने ही रामकृष्ण के लगन, परिश्रम व सफलता को देखकर 5000 रुपये देकर रामकृष्ण की हौसला अफजाई की। विदित हो कि रामकृष्ण कुमार नीचे बाजार आदर्श नगर के रहने वाले हैं। उन्होंने सरकारी स्कूल एसएस सिमडेगा से दसवीं की पढ़ाई पूरी की है।

वह अभी सिमडेगा कॉलेज में 12वीं कला के छात्र हैं। उसने बताया कि उसके घर की माली हालत अच्छी नहीं है। उसके पिता हरिश्चंद शाह की एक गुमटीनुमा दुकान है। इससे परिवार का किसी तरह गुजारा होता है। वहीं गत डेढ़ वर्षों से लॉकडाउन के कारण दुकान बंद रहने से परिवार की माली हालत और बदतर हो गई। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को देखकर रामकृष्ण छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगा।

उसे हर दिन कालेज करीब 6 से 7 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। जबकि घर में एकमात्र बाइक होने के कारण उसे पिता चलाते थे। कई बार बाइक मांगने पर पिता ने इंकार कर दिया था। इसके बाद उसने देखा कि लॉकडाउन में महंगाई काफी तेजी से बढ़ी है। खासकर पेट्रोल की कीमत में बेतहाशा वृद्धि हुई है। मध्यम वर्गीय एवं गरीब परिवार के लिए पेट्रोल का खर्च निकालना बेहद मुश्किल हो रहा था। इसी को देखते हुए उसने इलेक्ट्रिक साइकिल बनाने का सपना देखा।

फिर उसने साइकिल खरीदी और उसे इलेक्ट्रिक से जोड़ने के लिए यूट्यूब एवं इंटरनेट से जानकारियां जुटाईं। जरूरी उपकरण ऑनलाइन एवं ऑफलाइन के माध्यम से मंगवाए। इसके बाद करीब 45 दिन की मेहनत से अपने साइकिल को इलेक्ट्रिक रूप में परिवर्तित किया। साइकिल में मोटर, बैटरी, एक्सिलरेटर, हॉर्न और चार्जर, वायर आदि लगाया।

उसने बताया कि अपने प्रोजेक्ट पर और भी वृहद स्तर पर करना चाहता है। वह शहर में वर्कशॉप एवं दुकान खोलना चाहता है। उसने बताया कि 2 घंटे चार्ज करने के बाद इलेक्ट्रिक साइकिल 40 किलोमीटर तक सफर तय करती है, जो गरीब परिवार के लिए बेहद सस्ती व सुलभ होगी।

10 लोगों ने साइकिल के लिए किया संपर्क

रामकृष्ण ने बताया कि उसके द्वारा बनाई गई इलेक्ट्रिक साइकिल की खूब डिमांड हो रही है। करीब 10 लोगों ने ऐसी साइकिल बनवाने के लिए उससे संपर्क किया है। वह चाहता है कि सभी को ऐसी साइकिल बनाकर दे।


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