परिजन खुद खरीद कर ला रहे आक्सीजन, पॉजिटिव मरीज भर्ती होने के लिए लगा रहे चक्कर
राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। ह
मनोरंजन, रांची : राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। हर तरफ चीख-पुकार सुनाई दे रही है। कोरोना पॉजिटिव मरीज भर्ती होने के लिए अस्पताल के चक्कर लगा रहे हैं। वार्ड के अंदर दवाएं व आक्सीजन नहीं मिल पा रही। परिजन खुद अपने मरीजों के लिए आक्सीजन सिलेंडर खरीद कर ला रहे हैं। अपने हाथ से ही लगा भी रहे हैं। कोविड जांच के लिए अपने वाले लोगों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। कई बीमार ऐसे हैं जो खड़े रह पाने में असमर्थ हैं। ऐसे लोग अस्पताल के फर्श पर लेटकर अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। अलग-अलग वार्ड में भर्ती बीमार लोगों को अलग-अलग समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बीमारों के ब्लड सैंपल की जांच कराना तक मुश्किल हो गया है।
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कैमरे की नजर में तस्वीरें
स्थान : रिम्स, ट्रामा सेंटर
समय : शाम साढ़े पांच बजे
स्थिति : कोविड वार्ड में भर्ती मरीज को आक्सीजन नहीं मिल पा रहा था। मरीज का आक्सीजन लेवल लगातार नीचे जा रहा था। परिजनों ने खुद बाजार से खरीद कर आक्सीजन की व्यवस्था की। इसे अपने मरीज को लगाने का दायित्व भी परिजन को ही दे दिया गया।
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स्थान : रिम्स परिसर
समय : दोपहर 12.30 बजे
स्थिति : कोविड वार्ड में भर्ती होने के लिए कई महिला मरीज अस्पताल लाई गईं। बेड उपलब्ध नहीं होने का हवाला देकर भर्ती करने से इन्कार कर दिया गया। महिला अस्पताल परिसर में गाड़ी में तड़प रही थी। एक महिला बाहर जमीन पर बैठी थी। परिजनों ने बताया भर्ती करने के लिए महिला को लेकर तीन दिन से लेकर आ रहे हैं।
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स्थान : रिम्स परिसर
समय : दोपहर डेढ़ बजे
स्थिति : कोरोना की जांच के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग अस्पताल पहुंचे। कतार में खड़े होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे। कई लोग गंभीर रूप से बीमार दिखे। इन लोगों में देर तक खड़े रह पाने की क्षमता नहीं थी। लिहाजा कई संदिग्ध मरीज अस्पताल के फर्श पर लेटकर अपने नंबर का इंतजार करते हुए दिखे।
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आक्सीजन सिलेंडर की भारी डिमांड, आपूर्ति नहीं कर पा रहे सप्लायर
शहर के अलग-अलग हिस्सों में आक्सीजन सिलेंडर की बिक्री अलग-अलग सेंटर पर हो रही है। सिलेंडर के वजन के अनुसार इसकी अलग-अलग कीमतें निर्धारित हैं। एक ग्राहक ने बताया कि 10 लीटर के सिलेंडर के लिए 10 हजार रुपये दिए। बताया जा रहा है कि न्यूनतम 2500 रुपये से लेकर 70 हजार रुपये तक के सिलेंडर बाजार में उपलब्ध हैं। आक्सीजन सिलेंडर की डिमांड इतनी है कि सप्लायर आपूर्ति नहीं कर पा रहे।
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दोपहर 1 बजे
डोरंडा घाघरा
संजय सुमन, रांची एंबुलेंस की कतार लगी है। 32 एंबुलेंस एक के बाद एक कतार में दिख रही हैं। सभी में संक्रमित शव हैं। स्वजन इनके अंतिम संस्कार का इंतजार कर रहे हैं। जहां पर घाट है वहां पर खाने-पीने की दुकानें नहीं हैं। चार पांच दिन पहले एक-दो दुकानें थीं, जो संक्रमण के डर से बंद हो गई हैं। स्वजन पीपीई किट पहने हुए हैं। अंतिम संस्कार में देरी की वजह से पास के ही मैदान में घंटों इंतजार कर रहे हैं। इंतजार लकड़ी का है। निगम के कर्मी कह रहे हैं कि लकड़ियां नहीं हैं। अभी-अभी निगम कर्मी लकड़ियां लेकर पहुंचे हैं। बता रहे हैं कि मोरहाबादी में सूखे पेड़ों की लकड़ियां काटकर ला रहे हैं। पानी का एक टैंकर थोड़ी देर में पहुंचा है।
समय 2.30 बजे
परिजनों का धैर्य जवाब दे रहा है। जो लकड़ियां उतारी जा रहीं थीं, उनसे ही लोगों ने रास्ते घेर दिया है। स्वजन बोल रहे हैं कि असहाय हैं। अस्पताल में सुविधाएं नहीं हैं और यहां श्मशान घाट पर लकड़ियां नहीं हैं। करें तो क्या करें। बाद में जीसीबी पहुंची तब जाकर लकड़ियां उठाकर चिता सजाने की शुरुआत हुई।
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घाघरा के स्वर्णरेखा घाट पर 46 शवों का हुआ अंतिम संस्कार
सोमवार को घाघरा में रात साढ़े नौ बजे तक कुल 46 शवों का अंतिम संस्कार हुआ है। जबकि, हरमू मुक्तिधाम में भी शवों का अंतिम संस्कार चल रहा है। यहां 20 शवों का अंतिम संस्कार हुआ है। गौरतलब है कि घाघरा स्वर्णरेखा घाट पर लकड़ियों की कमी की वजह से शवों का अंतिम संस्कार बाधित हो गया था। मगर, अंतिम संस्कार का काम फिर शुरू हो गया है। यहां नगर निगम की तरफ से लकड़ियों का स्टाक रखा गया है।