सप्ताह का साक्षात्कार : जल्द पूरा होगा रांची-बंडामुंडा सेक्शन में रेल ट्रैक डबलिंग का काम, अगले पांच साल में एयरपोर्ट जैसा दिखेगा रांची स्टेशन
सप्ताह का साक्षात्कार जल्द पूरा हो जाएगा रांची बंडामुंडा सेक्शन में रेलवे के डबलिंग का काम
सप्ताह का साक्षात्कार : जल्द पूरा होगा रांची-बंडामुंडा सेक्शन में रेल ट्रैक डबलिंग का काम, अगले पांच साल में एयरपोर्ट जैसा दिखेगा रांची स्टेशन
साक्षात्कार : रांची रेल मंडल के डीआरएम प्रदीप गुप्ता।
कामन इंट्रो : रांची रेल मंडल ने कई उपलब्धियां हासिल की हैं। यात्री सुविधाओं से जुड़े कई काम हो रहे हैं तो नई ट्रेनों की सौगात सहित विभिन्न योजनाओं पर तेजी से काम चल रहा है। चाहे वह हटिया-बंडामुंडा रेल लाइन का दोहरीकरण हो, स्टेशनों व रेल यात्रा के दौरान गुणवत्तापूर्ण सुविधा उपलब्ध कराने की बात हो, सभी पर लगातार नजर रखी जा रही है। चल रहे काम व भविष्य की योजनाओं के बारे में रांची रेल मंडल के मंडलीय रेल प्रबंधक डीआरएम प्रदीप गुप्ता ने खुलकर बातें की। प्रस्तुत है जागरण संवाददाता शक्ति सिंह से बातचीत के अंश :
सवाल- हटिया- बंडामुंडा सेक्शन के रेल लाइन का डबलिंग रेलवे की महत्वकांक्षी योजना है। मगर ऐसा क्यों हो रहा है कि निर्माण कार्य में लगे विभिन्न एजेंसियों को काम रोक देना पड़ता है।
जवाब : असामाजिक तत्वों द्वारा निर्माण कार्य में अड़चन डालने के कारण काम प्रभावित हो रहा था। अब ऐसा नहीं है। पिछली बार हटिया-बंडामुंडा सेक्शन में समस्या उत्पन्न हुई थी। उसके बाद राज्य सरकार द्वारा सुरक्षा व्यवस्था बनाए जाने से रांची बंडामुंडा सेक्शन में डबलिंग का काम सुगम तरीके से चल रहा है। सितंबर से लगातार काम चल रहा है, जिसके कारण दो सेक्शन में 20 किलोमीटर लाइन चालू कर दी गई है। हटिया- बालसिरिंग भी इस माह में चालू कर दिया जाएगा। अप्रैल माह के अंत तक के 40 किलोमीटर लाइन डबलिंग हो जाएगा।
सवाल - गर्मी का मौसम है। और इस मौसम में रांची रेल मंडल के कुछ प्रमुख स्टेशनों पर पानी की किल्लत है। रांची स्टेशन और हटिया स्टेशन पर वाटर वेंडिंग मशीन भी खराब है। वहीं इटकी स्टेशन, नागजुआ और नर्कोपी स्टेशन पर पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है।
जवाब - रेलवे द्वारा गर्मी में यात्रियों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। इसके लिए ढाई महीने तक विशेष मॉनिटरिंग भी की जा रही है। मैंने स्वयं रांची से लोहरदगा के बीच विभिन्न स्टेशनों पर पानी की व्यवस्था का जायजा लिया है। यह बात सही है कि गर्मियों के मौसम में जल स्तर के नीचे जाने से चापानल खराब हो जाता है। जब कभी पानी को लेकर समस्या होती है तो तत्काल संबंधित स्टेशन के स्टेशन मास्टर द्वारा सूचना दी जाती है। 16 से 18 घंटे के बीच व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाती है। आइआरसीटीसी ने रांची और हटिया स्टेशन स्थित वाटर वेंडिंग मशीन के संचालक को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत स्टेशन पर टैब वाटर की व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया गया है, यही नहीं पानी की गुणवत्ता का पूरा ख्याल रखा गया है , इसकी नियमित मॉनिटरिंग भी होती है।
सवाल :- रांची और हटिया स्टेशन पर कुली की संख्या मात्र 28 है। यह संख्या पिछले 15 सालों से है। बुजुर्ग यात्रियों को काफी परेशानी होती है।
उत्तर : यह सवाल अच्छा है। कोरोना के कारण ट्रेनों का परिचालन काफी कम हो गया था। अब स्थिति सामान्य हो रही है। रेलवे का यह प्रयास है कि कोविड के पहले जो संख्या स्टेशन पर कुली की दिखती थी, उन्हें सम्मानित किया जाए। मुरी स्टेशन से भी कुछ कुलियों को लाया गया है। भविष्य में स्टेशन का रीडेवलपमेंट होना है। अगले 5 सालों में स्टेशन का स्वरूप बिल्कुल एयरपोर्ट की तरह होगा। जहां बुजुर्ग यात्रियों को परेशानी नहीं होगी।
सवाल :- रेलवे द्वारा रेलवे क्रॉसिंग गेट को बंद करने के लिए रोड ओवरब्रिज और जगह-जगह सबवे का निर्माण किया जा रहा है। इसके बावजूद राजधानी जैसे शहर में पांच प्रमुख क्षेत्र में रेलवे क्रॉसिंग है, जहां हजारों की संख्या में लोग आवागमन करते हैं। रोड ओवर ब्रिज का कार्य अभी अधूरा है। क्या राज्य सरकार का रेलवे को सहयोग नहीं मिल रहा है।
जवाब - सरकार से रेलवे का पूरा सहयोग है। जो भी कार्य किए जा रहे हैं सभी जनता के लिए हैं। अगर जनता ही विरोध करे तो इसमें ज्यादा करने का मौका नहीं मिलता है। मेकॉन का मामला केंद्र सरकार के पास है। हरी झंडी मिलते ही अप्रोच रोड बन जायेगा। नया सराय में रोड ओवर ब्रिज का काम रेलवे की ओर से लगभग पूरा हो गया है। केवल क्रॉस रोड का निर्माण राज्य सरकार को करना है। यहां कुछ अतिक्रमण है जिन्हें राज्य सरकार को हटाना हैं। चुटिया स्थित रेलवे क्रॉसिंग वाला मामला लोगों के विरोध के कारण नहीं बन रहा है। वही केतारी बागान के फाटक को चौड़ा किया गया है। डबल बैरियर लगाया गया है। एचईसी वाले मामले में संयुक्त निरीक्षण कर एलाइनमेंट फाइनल कर लिया गया है।
सवाल - रेलवे द्वारा सभी ट्रेनों बायो टॉयलेट लगाए गए हैं। लेकिन जब यह ट्रेनें प्लेटफार्म पर लगती है तो वहां आंख बंद कर कोई भी यात्री बता देगा कि प्लेटफार्म पर कोई ट्रेन लगी है क्योंकि ट्रेन से काफी बदबू आती है। क्या मानक का पालन नहीं हो रहा है।
जवाब - बायो टॉयलेट में सभी मानकों का पालन किया जाता है जो उसके लिए निर्धारित है। मगर कहीं बाहर कुछ यात्री बायो टॉयलेट में प्लास्टिक या अन्य चीज डाल देते हैं जिसकी मनाही है। यही कारण है कि स्टेशन पर ट्रेन के आने के बाद स्टेशन पर एक अलग सी दुर्गंध देती है। यात्रियों को बीच-बीच में काउंसलिंग किया जाता है। जरूरत पड़ने पर एक दो यात्रियों पर फाइन भी काटा जाता है। इसके बावजूद सुधार नहीं दिखेगा तो मजबूरन सख्ती बरतनी पड़ेगी।
सवाल - रांची-लखनऊ ट्रेन परिचालन को लेकर का मामला काफी आगे बढ़ चुका है। राजधानी के लोगों को यह ट्रेन कब तक मिलेगी।
जवाब : वर्तमान स्टेटस यही है कि जो रेलवे का अप्रैल माह के अंत में अगले एक साल के लिए टाइम टेबल बनता है। उस टाइम टेबल में रांची लखनऊ ट्रेन को शामिल किया गया है। ट्रेन दक्षिण पूर्व रेलवे होते हुए ईसीआर जाएगी, इसके बाद ट्रेन एनसीआर जाएगी और अंत में नॉर्दन रेलवे पहुंचेगी। इसमें 4 जोनल कार्यालय शामिल है। ट्रेन परिचालन के पहले 4 जोनल कार्यालय के बीच समन्वय जरूरी रखता है। इसलिए इंडियन रेलवे टाइम टेबल कमेटी की बैठक में चर्चा होगी। अप्रैल के अंत में बैठक होनी है उम्मीद है कि इसे टाइम टेबल कमेटी शामिल कर लिया जाएगा।
सवाल : रांची रेल मंडल में पहले से ही लोको पायलट की कमी है। मगर दूसरे मंडल से ट्रेन परिचालन के लिए मुरी लॉबी से लोको पायलट भेजे गए। सुधार की दिशा में क्या कदम उठाए जा रहे हैं।
जवाब : रेलवे में कोई भी काम अकेले नहीं होता है। इसके लिए समन्वय की जरूरत होती है। ऐसा मामला संज्ञान में आने पर दो डिवीजन के बीच बातचीत होती है। और समस्या का समाधान भी किया जाता है।
सवाल : रांची रेल मंडल में एक्सेस लोड मालगाड़ी के परिचालन की अनुमति क्यों दी जाती है। यही वजह है कि हाल के दिनों में रेल बर्निंग (ट्रैक पर का व्हील स्लिप या खिसाव का होना) का मामला सामने आया था।
जवाब :सिर्फ एक्सेस लोड से ही रेल बर्निंग की समस्या नहीं है। कई बार मौसम की समस्या देखने को मिलती है। कई बार व्हील स्लीप का मामला बारिश होने और लोको पायलट भी होता है। लोको पायलट द्वारा बैंकर्स मांगे जाने पर स्थित सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
सवाल - लोको पायलट की शिकायत रहती है कि कई बार उन्हें बिना गार्ड के ट्रेन परिचालन के लिए दबाव बनाया जाता है। हाल के दिनों में ऐसा मामला मुरी लॉबी में आया था।
जवाब - रेलवे में हर चीज के लिए नियम बना हुआ है, ऐसा नहीं है कि मालगाड़ी में गार्ड नहीं दिया जाता है। कुछ ही मामलों में गार्ड नहीं दिया जाता है। वह भी नियम के तहत किया जाता है। किसी लोको पायलट पर गार्ड न देने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया जाता है। जहां तक टीयूटीटी की बात है, जब इसकी सुविधा ट्रेन में होगी,तो स्वतः गार्ड नहीं दिया जाएगा।