Jharkhand Crime: भारतीय रेलवे के चार बड़े अफसरों ने ली रिश्वत, सीबीआइ अदालत में चार्जशीट दाखिल
Jharkhand Latest News सीबीआइ ने रांची स्थित विशेष अदालत में राइट्स के जीएम डीजीएम सहित चार अफसरों के खिलाफ दाखिल की चार्जशीट। तीन जून को सीबीआइ ने की थी बड़ी कार्रवाई। आरोपितों के 12 ठिकानों पर एक साथ की थी छापेमारी। पढ़िए पूरा मामला।
रांची, राज्य ब्यूरो। Rail India Technical and Economic Services सीबीआइ की रांची स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने केंद्र की सार्वजनिक उपक्रम कंपनी रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनोमिक सर्विसेज (राइट्स) के महाप्रबंधक (परियोजना) अभय कुमार, उप महाप्रबंधक (परियोजना) राजीव रंजन, देवघर की हरदेव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के संचालक अवतार सिंह व कर्मी शशि कुमार के खिलाफ सीबीआइ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दी है। सीबीआइ ने दाखिल चार्जशीट में स्पष्ट किया है कि राइट्स के अधिकारियों ने बिल भुगतान के लिए ठेकेदार से रिश्वत ली थी।
तीन जून को 12 ठिकानों पर हुई थी छापेमारी
तीन जून को सभी आरोपितों के 12 ठिकानों पर सीबीआइ ने एक साथ छापा मारा तो मौके से 65.5 लाख रुपये नकदी व कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले थे। ये दस्तावेज यह बताने के लिए पर्याप्त थे कि इन अधिकारियों ने कहां से कितने की रिश्वत ली। इनकी पैतृक संपत्ति व नौकरी में आने के बाद बनाई गई संपत्ति के बारे में भी सीबीआइ ने हिसाब मांगा था। राइट्स के जीएम व डीजीएम शशि कुमार से दो लाख 72 हजार 500 रुपये रिश्वत ले रहे थे कि रंगे हाथ पकड़े गए थे।
दो जून को सीबीआइ ने दर्ज की थी प्राथमिकी
सीबीआइ ने दो जून को ही इस मामले में राइट्स के दोनों अधिकारियों, हरदेव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के संचालक व उनके कर्मी तथा अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की थी। इसके बाद राइट्स के महाप्रबंधक परियोजना अभय कुमार के पटना, चंपारण व अशोक नगर स्थित कार्यालय, उप महाप्रबंधक राजीव रंजन के मोरहाबादी तेतरटोली, राजबंशी नगर पटना व अशोक नगर स्थित कार्यालय, ठेकेदार अवतार सिंह के देवघर, गुरुग्राम हरियाणा व देवघर स्थित हरदेव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के कार्यालय में छापेमारी की थी।
ठेका लेने व भुगतान में अधिकारियों ने ली थी रिश्वत
देवघर की हरदेव कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड (एचसीपीएल) व मध्य प्रदेश के सतना की मेहरोत्रा बिल्डकान प्राइवेट लिमिटेड (एमबीपीएल) की संयुक्त उपक्रम कंपनी को पतरातू स्थित परियोजना का ठेका दिया गया था। सीबीआइ की रांची स्थित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली थी कि राइट्स के अधिकारी टेंडर को सुचारू बनाने व ठेकेदार के बिल भुगतान के लिए ठेकेदार से रिश्वत लेकर नियम विरुद्ध जाकर, मापन पुस्तिका व बिल में हेराफेरी की और ठेका कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए गैर कानूनी तरीके से मदद की।