राहुल गांधी के बयान से गठबंधन पर उठे सवाल, झामुमो का मुंह ताक रही कांग्रेस
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के बयानों से इतर झारखंड की महागठबंध सरकार में शामिल राज्य में सत्ताधारी झामुमो और कांग्रेस ने जिम्मेदारियों के बेहतर निर्वाह का दावा किया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां पूरी जिम्मेदारी से काम किया जा रहा है लेकिन जहां हमारी भूमिका सहयोगी की है वहां के हालात अलग हैं। महाराष्ट्र को लेकर दिए गए उनके बयान पर राजनीतिक हलकों में विवेचना शुरू हो गई है। झारखंड में भी झामुमोनीत गठबंधन सरकार है, जिसमें कांग्रेस सहयोगी की भूमिका में है। कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जिन चार विभागों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है, उनके मंत्री कांग्रेस कोटे से ही हैं।
स्वास्थ्य विभाग की अहम जिम्मेदारी है और इसके मंत्री कांग्रेस विधायक बन्ना गुप्ता हैं। पैसे की बड़ी जरूरत के कारण वित्त विभाग की भूमिका अहम हो जाती है और इसका भार प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव पर है। लोगों को रोजगार मुहैया कराने का बड़ा माध्यम ग्रामीण विकास विभाग के तहत मनरेगा बन रहा है जिसे कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम देख रहे हैं। कृषि कार्यों पर निर्भरता बढऩे के कारण कांग्रेस कोटे से कृषि मंत्री बादल पत्रलेख की जिम्मेदारी से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
इधर सत्ताधारी झामुमो और कांग्रेस गठबंधन ने व्यापक तौर पर जिम्मेदारी के निर्वाह का दावा किया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि गठबंधन की सरकार में कांग्रेस सक्रिय तौर पर सहयोगी की भूमिका में है। राहुल गांधी ने जिस परिप्रेक्ष्य में यह बात कही है, वह सही है। सहयोगी के नाते हमारा समन्वय भी बेहतर है। महत्वपूर्ण फैसले में भी हमारी भागीदारी है।
प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि झारखंड में स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, वित्त सरीखे महत्वपूर्ण विभाग कांग्रेस के पास हैैं। सभी विभागीय मंत्री बेहतर काम कर रहे हैैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कामकाज की सराहना राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। चाहे प्रवासी मजदूरों के लिए सबसे पहले ट्रेन लाने की बात हो या उन्हें सुरक्षित घर तक पहुंचाना हो, हर मोर्चे पर बेहतर काम हो रहा है। सामुदायिक और दीदी किचन के माध्यम से लोगों को भोजन कराया जा रहा है। झारखंड पहला राज्य है जहां पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों को बसों के जरिए भेजा जा रहा है।