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झारखंड में 41 हजार टैब से हटाए जाएंगे रघुवर दास के वीडियो, 20 करोड़ होंगे खर्च

Jharkhand. शिक्षा मंत्री ने स्कूलों के टैब से आखिरकार वीडियो हटाने का आदेश दिया। 13 हजार रुपये में खरीदे गए टैब हटाने पर खर्च होंगे चार हजार रुपये से अधिक।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 06 Feb 2020 10:57 AM (IST)Updated: Thu, 06 Feb 2020 05:28 PM (IST)
झारखंड में 41 हजार टैब से हटाए जाएंगे रघुवर दास के वीडियो, 20 करोड़ होंगे खर्च
झारखंड में 41 हजार टैब से हटाए जाएंगे रघुवर दास के वीडियो, 20 करोड़ होंगे खर्च

रांची, राज्य ब्यूरो। सरकारी स्कूलों को दिए गए 41 हजार टैब से पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के वीडियो हटाए जाएंगे। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो ने सभी टैब से पूर्व मुख्यमंत्री का वीडियो हटाने का आदेश दिया। विभाग ने उनकी स्वीकृति के बाद इससे संबंधित फाइल मुख्य सचिव को भेज दी। तत्कालीन पदाधिकारियों की लापरवाही और अदूरदर्शिता के कारण टैब से वीडियो शामिल कराने का खामियाजा सरकारी स्कूलों के बच्चे ही भुगतेंगे।

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बताया जाता है कि निर्माण के समय में ही वीडियो शामिल किए जाने के कारण उक्त वीडियो हटाने में प्रति टैब चार हजार रुपये से अधिक खर्च आ सकते हैं। ऐसे में वीडियो हटाने पर ही 16 करोड़ रुपये से अधिक का बोझ राज्य सरकार पर पड़ सकता है। टैब लगभग 13 हजार रुपये की दर से खरीदे गए थे और अब वीडियो हटाने पर प्रत्येक पर चार हजार रुपये से अधिक खर्च हो जाएंगे।

टैब स्कूलों से मंगाकर कंपनी को भेजने तथा वापस स्कूलों को भेजने पर जो खर्च आएगा वह अलग है। सूत्रों की मानें तो टैब आपूर्ति करनेवाली एचपी कंपनी से जब वीडियो हटाने को लेकर मंतव्य मांगा गया तो कंपनी ने इसमें बड़ी राशि खर्च होने की बात कही है। हालांकि यह राशि कितनी होगी यह स्पष्ट नहीं बताया गया है। कंपनी ने इसे टाइम टेकिंग भी बताया है।

ऐसे में टैब स्कूलों से वापस मंगाकर कंपनी को भेजने, वहां सभी में वीडियो हटाने तथा वापस मंगाकर दोबारा स्कूलों को भेजने में छह माह से अधिक समय लग सकता है। यदि ऐसा होता है तो इस दौरान ई-विद्यावाहिनी के तहत स्कूलों की रिपोर्टिंग तथा शिक्षकों की उपस्थिति ठप हो जाएगी।

वीडियो हटाने में खराब हो सकते हैं दस फीसद टैब

बताया जाता है कि कंपनी ने यह भी कहा है कि टैब से वीडियो हटाने के क्रम में बड़ी संख्या में टैब खराब भी हो सकते हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे लगभग दस फीसद टैब खराब हो सकते हैं। ऐसे में सरकार को इतने और टैब खरीदने पर लगभग पांच करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं। इस तरह वीडियो हटाने, परिवहन और नए टैब की खरीद में करीब 20 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। टैब खरीद पर रघुवर सरकार ने करीब 53 करोड़ खर्च किए थे।

जिम्मेदार पदाधिकारियों पर होगी कार्रवाई : मंत्री

विभागीय मंत्री ने अपने आदेश में इसपर सवाल उठाया कि कोई भी व्यक्ति मुख्यमंत्री के रूप में हमेशा नहीं रह सकता, ऐसे में मुख्यमंत्री का वीडियो टैब में शामिल नहीं किया जाना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा कि जिस पदाधिकारी के लिखित या मौखिक आदेश से ऐसा किया गया तथा जो इसके लिए जिम्मेदार होंगे, उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी। मंत्री ने कहा कि उन्होंने स्वयं टैब खोलकर देखा है जिसमें मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बड़ाई करते नजर आते हैं।

बड़ा सवाल, पैसे की बर्बादी का दोषी कौन !

स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने टैब खरीदने की जिम्मेदारी सूचना तकनीक विभाग के अधीन कार्यरत जैप आइटी को दी थी। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने जब टैब में वीडियो शामिल करने के आदेश की जानकारी जैप आइटी से मांगी तो कहा गया कि तत्कालीन सचिव द्वारा इसका मौखिक आदेश दिया गया था। जैप आइटी ने किसी पदाधिकारी का नाम नहीं लिया। ऐसे में यह सवाल उठता है कि किसके विरुद्ध कार्रवाई होगी। इस पैसे की बर्बादी का दोषी कौन है।


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