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Meinhardt Scam: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एसीबी को दिया लिखित जवाब, सवाल भी उठाए; जानें

Jharkhand News Raghubar Das Political Updates Meinhardt Scam तत्कालीन आइएएस अधिकारी शशिरंजन कुमार ने ई-मेल के माध्यम से जवाब देने पर सहमति दी है। मैनहर्ट का मामला वर्ष 2006 का है। तब अर्जुन मुंडा सरकार में रघुवर दास नगर विकास मंत्री थे।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 05:49 PM (IST)Updated: Fri, 09 Jul 2021 09:34 AM (IST)
Meinhardt Scam: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एसीबी को दिया लिखित जवाब, सवाल भी उठाए; जानें
Jharkhand News, Raghubar Das, Political Updates, Meinhardt Scam मैनहर्ट का मामला वर्ष 2006 का है।

रांची, राज्य ब्यूरो। बहुचर्चित मैनहर्ट मामले का अनुसंधान कर रही झारखंड सरकार की जांच एजेंसी भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने नोटिस का जवाब लिखित रूप में दे दिया है। उन्होंने अपने जवाब के साथ कई सवाल भी खड़े किए हैं। अब एसीबी उनके जवाब की समीक्षा करेगा और जरूरत पड़ी तो उन्हें एसीबी के सामने सशरीर उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहेगा। इसी मामले में दूसरे आरोपित तत्कालीन आइएएस अधिकारी शशिरंजन कुमार ने ई-मेल के माध्यम से जवाब देने पर सहमति दी है।

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रघुवर दास ने अपने लिखित जवाब में इस पूरे मामले को राजनीतिक बताया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में 15 सालों में आरोपों के अलावा कुछ भी नहीं मिला। इस अवधि में कई सरकारें आईं और चली गईं। वर्ष 2011 में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कंपनी को भुगतान किया गया था, तब अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री और हेमंत सोरेन वित्त मंत्री थे। इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

इसकी भी जांच कराई जाय कि जिस कंपनी को उसके निकम्मेपन के कारण हटाकर मैनहर्ट को काम दिया गया, उस कंपनी के पैरोकार कौन थे, इसमें उनका क्या लाभ था। कंपनी का दफ्तर किसके परिसर में था। एसीबी इसकी जांच करेगा तो इन सभी मामलों की पोल खुल जाएगी। ज्ञात हो कि विधायक सरयू राय के आवेदन पर मुख्यमंत्री ने एसीबी को पूरे मामले की जांच का आदेश दिया था। नवंबर 2020 में इससे संबंधित पीई एसीबी ने दर्ज किया था। मैनहर्ट का मामला वर्ष 2006 का है। तब रघुवर दास तत्कालीन अर्जुन मुंडा सरकार में उप मुख्यमंत्री व नगर विकास मंत्री थे।

उसी वक्त रांची में सीवरेज-ड्रेनेज का काम आर्ग स्पाम प्राइवेट लिमिटेड को मिला था। करीब 75 फीसद डीपीआर बनने के बाद सरकार ने कंपनी से काम वापस ले लिया था और उक्त काम मैनहर्ट को दे दिया गया था। आरोप है कि नियम-कानून को ताक पर रखकर मैनहर्ट को काम दिया गया था। इसके लिए नियम व शर्तों की अवहेलना की गई थी। काम देने के लिए शर्त रखा गया था कि उसी कंपनी को काम मिलेगा, जिसका टर्नओवर 300 करोड़ से अधिक हो और जिसे सीवरेज-ड्रेनेज में काम करने के लिए तीन साल का अनुभव हो। शर्तों को पूरा नहीं करने के बावजूद मैनहर्ट को यह काम दे दिया गया था।


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