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Quit India Movement: पठार पर भी सुनी गई थी अगस्त क्रांति की धमक, रांची से 349 लोग हुए थे गिरफ्तार

Quit India Movement रांची जिला स्कूल के छात्रों ने स्थानीय विद्यालय में हड़ताल करवा दी। बड़ी संख्या में विद्यार्थी कचहरी हाता में जमा हुए और गोलीकांड की निंदा की।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sun, 09 Aug 2020 10:03 AM (IST)Updated: Sun, 09 Aug 2020 10:06 AM (IST)
Quit India Movement: पठार पर भी सुनी गई थी अगस्त क्रांति की धमक, रांची से 349 लोग हुए थे गिरफ्तार
Quit India Movement: पठार पर भी सुनी गई थी अगस्त क्रांति की धमक, रांची से 349 लोग हुए थे गिरफ्तार

रांची, [संजय कृष्ण]। 1942 में अगस्त क्रांति की धमक पठार पर भी सुनी गई थी। छोटानागपुर व संताल परगना नौ अगस्त से लेकर 18 अगस्त तक धधकता रहा। रांची में नौ अगस्‍त को हड़ताल रही। संध्या जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में तालाबंदी कर दी गई। इसके बाद लोगों की सभा हुई, जिसमें काफी संख्या में छात्र-नौजवान भी शामिल हुए। शहर के पुराने क्रांतिकारी रहे डॉ. यदुगोपाल मुखर्जी को पकड़ लिया गया। रामरक्षा उपाध्याय, नारायणजी, नंदकिशोर भगत, नागेश्वर प्रसाद भी गिरफ्तार कर लिए गए।

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दस को नारायण चंद्र लाहिड़ी भी पकड़ लिए गए। अतुल चंद्र मित्र को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस कलकत्ता पहुंची। अतुल बाबू वहां अपना इलाज करवा रहे थे। पुलिस की आंखों में धूल झोंक वे 10 अगस्त की रात रांची पहुंचे और कार्यकर्ताओं से मिलकर उन्हें अगस्त आंदोलन का कार्यक्रम बताया। इस बीच पटना में गोलीकांड हो गया तो उसकी खबर रांची भी पहुंची। यहां छात्र काफी आवेश में आ गए और रांची जिला स्कूल के छात्रों ने स्थानीय विद्यालय में हड़ताल करवा दी।

शहर भर में जुलूस निकाला गया। बड़ी संख्या में विद्यार्थी कचहरी हाता में जमा हुए और गोलीकांड की निंदा की। वहां से फिर जिला कांग्रेस कार्यालय पहुंचे, जहां पुलिस का ताला लगा हुआ था। युवाओं की भीड़ ने ताला तोड़ दिया। पुलिस सामने थी, पर कुछ न कर सकी। 13 अगस्त को लड़के जिला ऑफिस पहुंचे। पुलिस ने गिरफ्तारियां शुरू कर दीं। एक दर्जन युवाओं को गिरफ्तार कर लिया गया।

14-15 अगस्त को रांची शहर में छात्रों ने जुलूस निकाला। 22 लोग गिरफ्तार किए गए। 17 अगस्त का दिन बड़ा उथल-पुथल का रहा। आगा खां पैलेस में महादेव देसाई के मरने की खबर पर जनता उग्र हो गई। लोग कहते घूमने लगे कि सरकार ने जहर देकर मार दिया है। सारे शहर में हड़ताल हो गई। हिंदू-मुसलमानों का लंबा जुलूस निकला, जिसे तितर-बितर होने का हुक्म एसडीओ ने दिया, पर जुलूस अपनी राह चलता रहा। नारेबाजी करता हुआ बढ़ता रहा।

एसडीओ ने लाठी चार्ज का आदेश दिया, लेकिन पुलिस ने इनकार कर दिया। एक बार नहीं, तीन बार। पुलिस का रुख देख जुलूस शांत हो गया और एसडीओ से कहा कि नगर रक्षा समिति तक ही जाना है, आगे नहीं। लेकिन एसडीओ एक कदम भी आगे जाने देना नहीं चाहता था। इस दिन कई बड़े कांग्रेसी नेता पकड़े गए। मांडर, कुडू, चैनपुर, बेड़ो व बिशुनपुर के थानों पर झंडे फहराए गए। कुडू को छोड़कर बाकी सब जगह ताले लगा दिए गए। अरगोड़ा रेलवे स्टेशन को जला दिया गया।

रांची-लोहरदगा के बीच रेलवे लाइन को उखाड़ दिया गया। हिनू हवाई अड्डे, लोहरदगा का फौजी कैंप, रांची का पोस्ट आफिस और उस समय का ग्रीष्मकालीन सचिवालय में भी तोडफ़ोड़ की गई। तार काटने का काम कोकर गांव के हलके में किया गया। यानी, तब कोकर एक गांव ही था। नामकुम में भी तोडफ़ोड़ की गई।

रांची में नौ अगस्त से 18 अगस्त के बीच 12 लोग नजरबंद किए गए थे, 349 की गिरफ्तारी हुई थी और 916 दंडित किए गए थे। करीब छह हजार जुर्माना वसूला गया था। लेकिन संताल परगना में 26 लोग मारे गए और पचास हजार जुर्माना वसूला गया था। पलामू में भी तीन सौ लोग दंडित किए गए थे और 1286 घायल हुए। 3400 सामूहिक जुर्माना वसूला गया था। बड़े नेताओं को हजारीबाग जेल भेज दिया गया।


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