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पीवी सिंधू ने दिए सफलता के चार मंत्र

बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने माना कि देश में खेल का माहौल बना है। अब अभिभावक भी अपने बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित करते हैं।

By Edited By: Published: Mon, 21 May 2018 07:18 AM (IST)Updated: Mon, 21 May 2018 11:46 AM (IST)
पीवी सिंधू ने दिए सफलता के चार मंत्र

रांची, जागरण संवाददाता। सफलता का कोई शॉटकर्ट नहीं होता। लगातार कड़ी मेहनत, त्याग, आत्मविश्वास और समर्पण अगर किसी खिलाड़ी में है तो उसे सफलता मिलेगी। कामयाबी के ये चार मंत्र भारत की स्टार महिला बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने जेएससीए में बने नए बैडमिंटन कोर्ट (रैकेट्स) के उद्घाटन के मौके पर दिए। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी अपना लक्ष्य निर्धारित कर पूरे समपर्ण भाव से तैयारी करें।

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सिंधू ने माना कि देश में खेल का माहौल बना है। अब अभिभावक भी अपने बच्चों को खेलने के लिए प्रेरित करते हैं। हमें भी यह देखना होगा कि क्षमतावान बच्चे पीछे ना रह जाएं। खिलाड़ियों को अपने पर विश्वास रखकर मेहनत करनी चाहिए। सिंधू ने कहा कि उन्हें यह सफलता एक दो साल में नहीं मिली है। 15 साल के परिश्रम के बाद मैं इस मुकाम तक पहुंची हूं।

रियो में स्वर्ण ना जीतने का गम:
सिंधू ने कहा, रियो ओलंपिक में स्वर्ण नहीं जीत पाने का मुझे गम है। जब मैं फाइनल मैच खेल रही थी तब मेरे मन में स्वर्ण या रजत के लेकर कोई द्वंद नहीं था। लेकिन मैच के बाद लगा कि मैने एक स्वर्ण जीतने का मौका गंवा दिया।

स्थानीय खिलाड़ियों की प्रतिभा की कायल:
सिंधू ने कहा कि यहां के बच्चों में काफी प्रतिभा है। मैं आज उनके साथ लगभग दस से पंद्रह मिनट तक खेली। उनके प्रदर्शन को देख मैं कह सकती हूं कि यहां के खिलाड़ियों में काफी प्रतिभा है।

टोक्यो ओलंपिक के पहले भी कई टूर्नामेंट हैं:
सिंधू ने कहा कि अभी मेरा लक्ष्य 2020 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक नहीं है बल्कि उससे पहले होने वाले अन्य टूर्नामेंट हैं। मैं एक-एक टूर्नामेंट को ध्यान में रखकर तैयारी करने में विश्वास रखती हूं।

रांची पसंद आई:
सिंधू ने कहा कि मैं पहली बार रांची आई हूं और मुझे यह अच्छी लगी। यहां के मौसम के बारे में काफी कुछ सुना था और मेरे आते ही बारिश शुरू हो गई। यहां के बच्चों में खेल के प्रति एक लगाव नजर आया है जो बड़ी बात है और इसका परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेगा।

फिटनेस के लिए सभी जागरूक हों: पुलेला गोपीचंद 
पीवी सिंधू के कोच व पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद ने कहा कि आज फिटनेस का महत्व बढ़ गया है। जिस तरह लोग पढ़ाई पर ध्यान देते हैं उसी तरह अब फिटनेस पर ध्यान देना होगा। हर क्षेत्र में फिटनेस की आवश्यकता होती है। पुलेला ने कहा कि कोई भी खेल खेलना जरूरी है। कोई यह सोच कर न खेले कि उसे चैंपियन बनना है। खेलने वाला ही चैंपियन है। उसे हार जीत से कोई लेना देना नहीं होता। वह निरंतर अपने काम में लगा रहता है।

आधारभूत संरचना विश्वस्तरीय:
जेएससीए में बने क्रिकेट स्टेडियम, बैडमिंटन, स्क्वायश कोर्ट को पुलेला गोपीचंद ने विश्वस्तरीय बताया। उन्होंने कहा कि एक जगह इतनी सुविधा मिलना बड़ी बात है। यहां के खिलाड़ी इसका लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने बीसीसीआइ के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी की प्रशंसा करते हुए कहा कि क्रिकेट से जुड़े रहने के बावजूद अन्य खेलों के लिए एक ही जगह उन्होंने सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं जो बड़ी बात है।

बैडमिंटन कोर्ट का किया उद्घाटन
इससे पूर्व पीवी सिंधू व पुलेला गोपीचंद ने दीप प्रज्ज्वलित कर बैडमिंटन कोर्ट (रैकेट्स) का उद्घाटन किया। मौके पर पीवी सिंधू, पुलेला गोपीचंद, सिंधू के पिता पीवी रमन्ना व पी चाडमेश्वरनाथ को शॉल ओढ़ाकर व मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया।

झारखंड की प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक: चौधरी
अतिथियों का स्वागत करते हुए बीसीसीआइ के कार्यवाहक सचिव अमिताभ चौधरी ने कहा कि केरल की तरह झारखंड की भी प्राकृतिक सुंदरता देखने लायक है। पर्यटन की यहां असीम संभावनाएं हैं। यहां जो भी आता है प्राकृतिक सुंदरता का मुरीद हो जाता है। उन्होंने सिंधू व पुलेला से यहां फिर आकर खिलाड़ियों को टिप्स देने को कहा। मौके पर झारखंड राज्य क्रिकेट संघ के अध्यक्ष कुलदीप सिंह, सचिव देवाशीष चक्रवर्ती उपस्थित थे।


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