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13 घंटे के सफर में रेलवे ने यात्रियों को दिया दाल-चावल और खिचड़ी

शनिवार को कानपुर में ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद नई दिल्ली से रांची पहुंची राजधानी एक्सप्रेस के यात्रियों को भारी परेशानी होनी पड़ी।

By Edited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 02:25 AM (IST)Updated: Sun, 21 Apr 2019 02:34 PM (IST)
13 घंटे के सफर में रेलवे ने यात्रियों को दिया दाल-चावल और खिचड़ी
13 घंटे के सफर में रेलवे ने यात्रियों को दिया दाल-चावल और खिचड़ी

रांची, जासं। शनिवार को कानपुर में ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद नई दिल्ली से रांची आ रही राजधानी एक्सप्रेस को रूट परिवर्तित कर लखनऊ-मुगलसराय-वाराणसी होते हुए रांची के लिए रवाना गया। इसके कारण ट्रेन में सफर करनेवाले यात्री लगभग 13 घंटे तक परेशान हुए। ट्रेन शनिवार रात 9:40 बजे रांची रेलवे स्टेशन पहुंची। कई यात्रियों को लेने उनके परिजन भी स्टेशन पर घंटों इंतजार करते रहे।

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यात्रियों ने बताया कि रूट बदले जाने के बाद 13 घंटे का अतिरिक्त सफर बहुत ही कष्टदायक रहा। रेलवे प्रशासन की ओर से दोपहर के भोजन में सिर्फ चावल-दाल दिए गए। सब्जी का नामोनिशान तक नहीं था। लोगों का कहना था कि राजधानी जैसी ट्रेन में सफर करने से अच्छा है लोग फ्लाइट से दिल्ली जाएं। यात्रियों ने रेलवे प्रशासन को कोसते हुए कहा कि यदि वे यात्रियों की सुविधा पर ध्यान देते तो 13 घंटे के दौरान भोजन की अच्छी व्यवस्था कर सकते थे।

सफर के दौरान यात्रियों को मात्र एक बोतल पानी उपलब्ध कराया गया। दोबारा पानी की मांग करने पर पैसे लिए गए। काफी परेशानी हुई। भोजन में दाल-चावल व खिचड़ी मिली। पूरे सफर के दौरान मात्र एक बोतल पानी मिला। - अनुग्रह, यात्री।

सफर में थोड़ी परेशानी हुई। भोजन में दाल-चावल मिला। सब्जी नहीं दी गई। शाम में थोड़ा स्नैक्स भी दिया गया। - नारायणी, यात्री। 13 घंटे तक परेशान हुए। जिंदा रखने के लिए रेलवे ने सिर्फ दाल-चावल परोसा। यदि रेल प्रशासन चाहता तो भोजन की अच्छी व्यवस्था कर सकता था। - एसके पाठक, यात्री।

पूरे सफर के दौरान मात्र एक बोतल पानी दिया गया। दोबारा पानी की मांग करने पर पैसे देने पड़े। इससे अच्छा है राजधानी छोड़ फ्लाइट से यात्रा करें। - गौरव शर्मा, यात्री।

बोगी के ट्रे में एक चॉकलेट तक की व्यवस्था नहीं थी। पानी भी खरीदकर पीना पड़ा। राजधानी में सफर करने का कोई फायदा नहीं। - अंजली शर्मा, यात्री।

कोच काफी पुराने हैं। तीन वर्षो से एक ही कोच देखने को मिल रहा है। कोच की क्वालिटी दिनोंदिन खराब होती जा रही है। - कुणाल शर्मा, यात्री।

रेलवे से जितना संभव हो सका, अच्छा प्रयास किया गया। हालांकि कोच में काफी गंदगी थी। मच्छरों से काफी परेशानी हुई। - उमा गोयल, यात्री।

13 घंटे का सफर काफी कष्टदायक रहा। भोजन-पानी को लेकर कोई परेशानी नहीं हुई। दाल-चावल व खिचड़ी उपलब्ध कराए गए। - मो. शमशाद, यात्री।


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