बच्चों को दें ऐसी शिक्षा, जो रोजगार के साथ संस्कार भी सिखाए Ranchi News
Jharkhand. नई शिक्षा नीति पर आयोजित सेमिनार में रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रमेश पांडेय ने कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति से देश आज भी मुक्त नहीं हुआ है।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 09:24 PM (IST)Updated: Mon, 12 Aug 2019 09:24 PM (IST)
रांची, जासं। मैकाले शिक्षा पद्धति से देश आज भी मुक्त नहीं हुआ है। नई शिक्षा नीति में भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति को अपनाने पर जोर दिया जाना चाहिए। बच्चों को शिक्षा ऐसी दी जानी चाहिए, जिससे रोजगार के साथ-साथ संस्कार भी सीखने को मिले। ये बातें रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रमेश पांडेय ने कही। वे सोमवार को नई शिक्षा नीति पर विद्या विकास समिति की ओर से आयोजित एक दिवसीय सेमिनार के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन कुदलुम स्थित आदित्य प्रकाश जालान बीएड कॉलेज में किया गया था।
डॉ. पांडेय ने कहा कि नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाना चाहिए। बच्चों को मूल्यपरक शिक्षा देने के साथ-साथ उनके चरित्र निर्माण पर भी विचार किया जाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि के रूप में विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि उच्च शिक्षा में मूल्यपरक शिक्षा को अनिवार्य स्थान देने से ही शिक्षा का मुख्य उद्देश्य पूर्ण होगा। यह शिक्षा केवल दिखावे के लिए न हो। उसमें जीवन दर्शन का समावेश हो एवं उसकी पूर्ण अंकों के अनिवार्य विषय के रूप में परीक्षा ली जाए। विशेष रूप से आमंत्रित रामकृष्ण मिशन के स्वामी भवेशानंद ने शिक्षा के त्रिभाषा सूत्र पर प्रकाश डाला।
शिक्षा ऐसी हो जो समाज के हित में अपने पेशे का उपयोग करना भी सिखाए : दिलीप झा
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में विद्या भारती के क्षेत्रीय सचिव दिलीप झा ने कहा कि शिक्षा वही है, जो नौकरी तो दिलवाए पर समाज के हित में अपने पेशे का उपयोग करना भी सिखाए। नई शिक्षा नीति में ऐसी व्यवस्था बने जो समाज के हित के लिए काम करने वाले मनुष्यों का निर्माण कर सके और अच्छे पेशेवर भी तैयार कर सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र संघचालक देवव्रत पाहन ने कहा कि नई शिक्षा नीति को भारतीय शिक्षा नीति का नाम दिया जाना चाहिए। शिक्षकों का आचरण ऐसा होना चाहिए, जिसका बच्चे अनुसरण कर सके।
मानव संसाधन विकास विभाग को भेजी जाएगी रिपोर्ट
तीन सत्रों में आयोजित इस सेमिनार में स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा पर विस्तृत रूप से चर्चा हुई एवं कई महत्वपूर्ण सुझाव आए। इस रिपोर्ट को 15 अगस्त से पहले विद्या विकास समिति के तत्वावधान में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय भेजे जाएंगे। कार्यक्रम में डॉ. आरके राय, राय विवि की कुलपति डॉ. सविता सेंगर, विद्या विकास समिति के प्रदेश सचिव मुकेश नंदन ने भी अपने विचार रखे। संचालन अमरकांत झा एवं धन्यवाद ज्ञापन रमेशमणि पाठक ने किया। मौके पर डॉ. डीएन सिंह, प्राचार्य डॉ. रामकेश पांडेय, कॉलेज के सचिव राजीव कमल बिïट्टू, डॉ. जेडी पांडेय, प्राधानाचार्य जितेंद्र तिवारी, मनोज भारद्वाज सहित कई विवि एवं कॉलेजों के शिक्षक एवं शिक्षाविद उपस्थित थे।
डॉ. पांडेय ने कहा कि नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर दिया जाना चाहिए। बच्चों को मूल्यपरक शिक्षा देने के साथ-साथ उनके चरित्र निर्माण पर भी विचार किया जाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि के रूप में विनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि उच्च शिक्षा में मूल्यपरक शिक्षा को अनिवार्य स्थान देने से ही शिक्षा का मुख्य उद्देश्य पूर्ण होगा। यह शिक्षा केवल दिखावे के लिए न हो। उसमें जीवन दर्शन का समावेश हो एवं उसकी पूर्ण अंकों के अनिवार्य विषय के रूप में परीक्षा ली जाए। विशेष रूप से आमंत्रित रामकृष्ण मिशन के स्वामी भवेशानंद ने शिक्षा के त्रिभाषा सूत्र पर प्रकाश डाला।
शिक्षा ऐसी हो जो समाज के हित में अपने पेशे का उपयोग करना भी सिखाए : दिलीप झा
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में विद्या भारती के क्षेत्रीय सचिव दिलीप झा ने कहा कि शिक्षा वही है, जो नौकरी तो दिलवाए पर समाज के हित में अपने पेशे का उपयोग करना भी सिखाए। नई शिक्षा नीति में ऐसी व्यवस्था बने जो समाज के हित के लिए काम करने वाले मनुष्यों का निर्माण कर सके और अच्छे पेशेवर भी तैयार कर सके। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह क्षेत्र संघचालक देवव्रत पाहन ने कहा कि नई शिक्षा नीति को भारतीय शिक्षा नीति का नाम दिया जाना चाहिए। शिक्षकों का आचरण ऐसा होना चाहिए, जिसका बच्चे अनुसरण कर सके।
मानव संसाधन विकास विभाग को भेजी जाएगी रिपोर्ट
तीन सत्रों में आयोजित इस सेमिनार में स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा पर विस्तृत रूप से चर्चा हुई एवं कई महत्वपूर्ण सुझाव आए। इस रिपोर्ट को 15 अगस्त से पहले विद्या विकास समिति के तत्वावधान में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय भेजे जाएंगे। कार्यक्रम में डॉ. आरके राय, राय विवि की कुलपति डॉ. सविता सेंगर, विद्या विकास समिति के प्रदेश सचिव मुकेश नंदन ने भी अपने विचार रखे। संचालन अमरकांत झा एवं धन्यवाद ज्ञापन रमेशमणि पाठक ने किया। मौके पर डॉ. डीएन सिंह, प्राचार्य डॉ. रामकेश पांडेय, कॉलेज के सचिव राजीव कमल बिïट्टू, डॉ. जेडी पांडेय, प्राधानाचार्य जितेंद्र तिवारी, मनोज भारद्वाज सहित कई विवि एवं कॉलेजों के शिक्षक एवं शिक्षाविद उपस्थित थे।
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