जानिए, मधु कोड़ा की राजनीति डगर क्यों हुई और भी मुश्किल
मधु कोड़ा के नाम सबसे लंबे समय तक निर्दलीय मुख्यमंत्री बने रहने का भी रिकार्ड है।
रांची, राज्य ब्यूरो। कोयला घोटाले में दोषी करार दिए गए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की मुश्किलें और बढ़ती दिखाई दे रही हैं। उनका राजनीतिक करियर अब पूरी तरह से दांव पर है। यदि कोर्ट ने अपने फैसले में सख्त रुख अख्तियार किया तो मधु कोड़ा को प्रत्यक्ष राजनीति से तकरीबन किनारा करना पड़ सकता है।
निर्दलीय मुख्यमंत्री के तौर पर लंबे समय तक प्रदेश का नेतृत्व कर चुके मधु कोड़ा पर चुनाव आयोग ने तीन साल तक चुनाव न लड़ने की पाबंदी लगा रखी है। उन पर चुनाव प्रचार का हिसाब नहीं देने का आरोप था। अगर उन्हें तीन साल से अधिक की सजा होती है तो वे चुनाव लड़ने के लिए आजीवन अयोग्य घोषित किए जा सकते थे। अब देखना है कि उन्हें कोयला घोटाले में कितने साल की सजा सुनाई जाती है। यह सजा उनके स्वयं और उनकी पार्टी के राजनीतिक भविष्य को भी तय करेगी।
मधु कोड़ा के नाम सबसे लंबे समय तक निर्दलीय मुख्यमंत्री बने रहने का भी रिकार्ड है। वे 14 सितंबर, 2006 से 23 अगस्त 2008 तक इस पद पर रहे। इससे पूर्व वे बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा सरकार में मंत्री भी रहे। उनपर लगे तमाम आरोपों के बावजूद वे 2009 का संसदीय चुनाव अपने बूते जीते। जाहिर है कोल्हान में उनकी जमीन अभी भी मजबूत है।
मधु कोड़ा की अपनी जय भारत समानता पार्टी है। पिछले विधानसभा चुनाव में यह पार्टी कोल्हान में पांच सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें से जीत महज एक सीट पर हासिल हुई। उनकी पत्नी गीता कोड़ा जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और वर्तमान में झारखंड विधानसभा की सदस्य हैं। कई मौकों पर गीता कोड़ा ने सत्ताधारी दल भाजपा के पक्ष में वोट दिया है।
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