जंगलों से हाथी निकलकर किस दिशा में जा रहे हैं, पता करेंगी जमशेदपुर की प्रियंका
झारखंड के जंगलों से हाथी निकलकर किस क्षेत्र में और क्यूं जा रहे हैं। किसी क्षेत्र में कौन-कौन से जीव-जंतु हैं। समय-समय पर वे कहां और क्यूं पलायन कर रहे हैं। प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय पूर्वी सिंहभूम की साइंस शिक्षिका प्रियंका झा इनका गहराई से पता लगाने में जुटी हैं।
रांची, जासं । झारखंड के जंगलों से हाथी निकलकर किस क्षेत्र में और क्यूं जा रहे हैं, किसी क्षेत्र में कौन-कौन से जीव-जंतु हैं और समय-समय पर वे कहां और क्यूं पलायन कर रहे हैं, इन सब बातों को गहराई से समझने का प्रयास प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय पटमदा, पूर्वी सिंहभूम की साइंस शिक्षिका प्रियंका झा कर रही हैं। प्रियंका का चयन सेंटर फार स्पेस साइंस एंड टेक्नोलाजी एजुकेशन इन एशिया एंड द पैसिफिक के ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए हुआ था। देशभर से पांच लोगों का चयन हुआ था। जिसमें झारखंड से केवल प्रियंका थी।
ट्रेनिंग 12 से 16 अप्रैल 2021 तक चला। ट्रेनिंग का विषय था- रिसेंट एडवांस इन स्पेस अप्लीकेशन फार फारेस्ट मॉनिटरिंग एंड असेस्मेंट। इसरो के इंडियन इंस्टीट्यूट आफ रिमोट सेंसिंग विंग व यूनाइटेड नेशन के तहत आयोजित इस ट्रेनिंग सत्र में बताया गया कि सैटेलाइन की मानिटरिंग कैसे होती है। प्रियंका ने बताया कि सैटेलाइट के माध्यम से डाटा देखने सहित अन्य जानकारी दी गई। इसके पिता कुमार विमल चंद झा टिस्को से सेवानिवृत हैं जबकि मां प्रावि बिरसानगर पूर्वी सिंहभूम में शिक्षिका हैं।
टैग करना होगा रिमोट सेंसिंग
प्रियंका ने कहा कि झारखंड के जंगलों से हाथी निकलकर ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचकर तबाही मचाते हैं। यदि पहले पता चल जाए कि हाथी किस दिशा में जा रहे हैं और अपना स्थान क्यूं छोड़ रहे हैं तो इस रोका भी जा सकता है। दलमा से हाथियों का पलायन हो रहा है। इन सबका पता रिमोट सेंसिंग टैग करके चल जाएगा। इसमें एक तरह की किरण से भी पता किया जाता है कि कौन सी जीव-जंतु कहां हैं।
बच्चों को दिला चुकी है दो गोल्ड
प्रियंका बायोडावर्सिटी कंजर्वेशन टॉपिक पर पीएचडी कर रही हैं। इनके को-गाइड इसरो के साइंटिस्ट हैं। प्रियंका खुद तो रिसर्च कर ही रही हैं साथ ही स्कूली बच्चों को भी इसके लिए प्रेरित करती हैं। वर्ष 2019 में इनके स्कूल की दो छात्राएं रिया दत्ता व बिष्टी हलधर ने बाल वैज्ञानिक कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्तर पर दो गोल्ड पाई थी। इनकी गाइड प्रियंका ही थी। छात्राओं ने अजोला पर रिसर्च किया था। प्रियंका ने बताया कि अजोला को पानी में छोड़ दें तो वह भारी हो जाता है। इसे पशु, मुर्गी, बकरी को खिलाने से इनके दूध और अंडे में प्रोटीन की मात्रा काफी बढ़ जाती है। धान की फसल वाली खेत में इसे छिड़क देने से पानी सूखता नहीं है और कम पानी में अधिक धान का उत्पादन होता है।