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फिजिकल कोर्ट के लिए कर ली गई थी तैयारी, अधिवक्ता ही नहीं हुए तैयार

झारखंड हाईकोर्ट ने एक दिसंबर से फिजिकल कोर्ट शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली थी। लेकिन अधिवक्ताओं की ओर से इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाने की वजह से यह मामला लटक गया है।झारखंड हाई कोर्ट के एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से पिछले महीने ही मांग की गई थी ...

By Kanchan SinghEdited By: Published: Sat, 28 Nov 2020 09:44 AM (IST)Updated: Sat, 28 Nov 2020 09:44 AM (IST)
फिजिकल कोर्ट के लिए कर ली गई थी तैयारी, अधिवक्ता ही नहीं हुए तैयार
झारखंड हाईकोर्ट ने एक दिसंबर से फिजिकल कोर्ट शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली थी

रांची,राज्य ब्यूरो। झारखंड हाईकोर्ट ने एक दिसंबर से फिजिकल कोर्ट शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली थी। लेकिन अधिवक्ताओं की ओर से इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाने की वजह से यह मामला लटक गया है। दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट के एडवोकेट एसोसिएशन की ओर से पिछले महीने ही मांग की गई थी कि झारखंड हाई कोर्ट के कुछ बेंच में फिजिकली सुनवाई की जाए। इसके बाद तत्काल चीफ जस्टिस के आदेश पर एक नोटिस जारी किया गया और कहा गया कि जो भी अधिवक्ता जिन-जिन मामलों में फिजिकल सुनवाई चाहते हैं, उन मामलों की सूची हाई कोर्ट को भेजें। इसमें शर्त थी कि विपक्षी पार्टियों का भी कंसेंट होना जरूरी है। हाई कोर्ट की नोटिस के बाद ही उम्मीद की गई थी कि कुछ बेंच में फिजिकल सुनवाई हो सकती है। इसके लिए हाईकोर्ट स्तर से शुरुआत भी करी दी गई और एक दिसंबर से फिजिकल कोर्ट की शुरुआत होनी थी। लेकिन झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल अंबुज नाथ की मानें तो अब तक सिर्फ 4 अधिवक्ताओं ने फिजिकल कोर्ट में सुनवाई होने के लिए आवेदन दिया है। लेकिन इस आवेदन में विपक्षी पार्टियों का कंसेंट शामिल नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर एक तरह के मामलों की सूची मिलती तो कुछ बेंच में फिजिकल कोर्ट की सुनवाई की जा सकती थी। लेकिन अधिवक्ताओं के उत्साह नहीं दिखाने की वजह से अब एक दिसंबर से फिजिकल कोर्ट शुरू नहीं हो पाएगा। पिछले दिनों ही दैनिक जागरण की ओर से यह मुद्दा उठाया गया था कि झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता फिजिकल कोर्ट की सुनवाई में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। हालांकि उस दौरान एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना था कि अधिवक्ता कोरोना वायरस के चलते इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। इधर, स्टेट बार काउंसिल के कई पदाधिकारी लगातार यह मांग कर रहे हैं कि हाईकोर्ट सहित निचली अदालतों में फिजिकल कोर्ट में सुनवाई की जाए। लेकिन हाईकोर्ट की रिपोर्ट से पता चलता है कि अधिवक्ता ही फिजिकल कोर्ट शुरू करने में उत्साह नहीं दिखा रहे हैं।

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