ईद में करें अमन-चैन की दुआ
रमजान का पाक महीना गुजरने वाला है। और ईद की नमाज लोग अपने-अपने ।
संसू, घाटो (रामगढ़): रमजान का पाक महीना गुजरने वाला है। और ईद की नमाज लोग अपने-अपने घरों में पढ़ने वाले हैं। वैसे में ईद के पाक मौके पर अल्लाह-तवाला से देश व समाज में अमन-चैन फिर से कायम होने की दुआ करें।
आज हमारा वतन एक महामारी से लड़ रहा है, वैसे में देश के लिए दुआ करना बेहद जरूरी हो गया है। रमजान का महीना हमदर्दी और भाईचारे का महीना है। इस माह अगर कोई गरीबों और यतीमों को सच्चे दिन से सहायता करता है, तो अल्लाह उसको सवाब से मालामाल कर देता है। रमजान में लोगों को फितरा व जकात करनी चाहिए। रोजा दोजख की आग से बचाने का काम करता है। रोजा जन्नत
में जाने का एक जरिया बनता है। जो इमानवालों के लिए अल्लाह-तवाला ने
जन्नत बनाया। रोजा हर मुसलमानों पर फर्ज है, लेकिन जो बेहतर बीमार हो, और रोजा रखने से जान जाने का खतरा हो, वैसे लोग प्रतिदिन 50 रुपये निकालकर अल्लाह के रास्ते में खर्च करने का काम करें। रमजान में जो लोग कर्जदारों से घिरे हुए हैं, उस परिवार को जकाज देना फर्ज नहीं है। इस्लाम में पहले कर्ज अदा करने का हुक्म है। रमजान को अल्लाह ने नेकियों का महीना बनाया
है। रमजान का महीना अल्लाह की रहमतों का खजाना है। रमजान बरकतों का महीना है। जिसमें अल्लाह की बेशुमार रहमतें बरसती हैं। रमजान सब्र का महीना है। और सब्र का इनाम जन्नत है। रोजा इंसान को बुरे कामों से बचाकर नेक कामों की ओर प्रेरित करता है। रोजा एक ऐसी इबादत है जो रूहानी और जिस्मानी
ऐतबार से इंसान के लिए फायदेमंद है। रोजा व्यवहार,इंसाफ, इंसानियत,
हमदर्दी का सबक देता है। रोजे की अहमियत यह है कि रोजेदार को हर सांस पर सवाब मिलता है। जकात अपने आमदनी का ढाई प्रतिशत निकालना चाहिए।