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Power Cut ALERT! डीवीसी के पावर प्लांट ठप... कभी भी गुल हो सकती है आपके घरों की बिजली...

Power Cut Alert दामोदर घाटी निगम के पावर प्‍लांट ठप हो गए हैं। इसके चलते झारखंड के साथ-साथ पश्चिम बंगाल में भी बिजली आपूर्ति पर व्‍यापक असर पड़ने की संभावना है। पावर प्‍लांट ठप होने के पीछे खराब मौसम और कोयले की भारी किल्लत कारण बताया जा रहा है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sat, 02 Oct 2021 01:12 AM (IST)Updated: Sat, 02 Oct 2021 01:15 AM (IST)
Power Cut ALERT! डीवीसी के पावर प्लांट ठप... कभी भी गुल हो सकती है आपके घरों की बिजली...
Power Cut Alert: दामोदर घाटी निगम के पावर प्‍लांट ठप हो गए हैं।

रांची, राज्य ब्यूरो। Power Cut ALERT खराब मौसम के कारण दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के ताप विद्युत प्रतिष्ठानों पर असर पड़ा है। राज्य स्थित कोडरमा, चंद्रपुरा और बोकारो में डीवीसी के विद्युत संयंत्रों के उत्पादन पर इसका असर पड़ा है। इसके कारण झारखंड के साथ-साथ बंगाल में भी बिजली आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। इन पावर प्लांट्स में कोयले की भी किल्लत हो गई है। डीवीसी के कोलकाता स्थित मुख्यालय ने इस संबंध में अधिकारियों को आगाह करते हुए निर्देश दिया है कि स्थिति सामान्य करने की दिशा में तत्परता से कार्रवाई करें। झारखंड के आठ जिले डीवीसी कमांड एरिया में आते हैं। इसके अलावा बंगाल में डीवीसी बिजली की आपूर्ति करती है। डीवीसी के जनसंपर्क अधिकारी ने कहा कि

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संस्थान उपभोक्ताओं के लिए प्रतिबद्ध है। डीवीसी के पावर स्टेशन और सब-स्टेशन पर भी लगातार बारिश का विपरीत असर पड़ा है। इससे लगातार बिजली आपूर्ति में दिक्कतें आ रही है। विद्युत संयंत्रों को कोयले की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। इसकी वजह कोयला ट्रांसपोर्टिंग की समस्या है। डीवीसी प्रबंधन स्थिति सामान्य करने में जुटा हुआ है।

बिजली वितरण निगम ने भी जारी किया अलर्ट

झारखंड बिजली वितरण निगम ने भी भारी बारिश को देखते हुए अलर्ट जारी किया है। मुख्यालय ने आदेश जारी किया है कि सारे कर्मी सतर्क रहें और विद्युत आपूर्ति को सामान्य बनाए रखने का प्रयास करें। आपूर्ति बाधित होने की दशा में तत्काल ठीक करने की कोशिश की जाए। एहतियात के तौर पर सारे विद्युत स्टेशन पर कर्मी तैनात रहें।

शुक्रवार को उत्पादन और आपूर्ति

टीटीपीएस की एक यूनिट से 157 मेगावाट, सिकिदरी हाइडेल की दो यूनिटों से 109 मेगावाट, इनलैंड पावर से 35 मेगावाट, सेंट्रल पूल से 722 मेगावाट की आपूर्ति, कोई लोड शेडिंग नहीं।

डीवीसी पर निर्भरता कम करने की तैयारी

राज्य सरकार ने बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए तेजी से कदम आगे बढ़ाए हैं। चतरा के इटखोरी में संचरण लाइन और विद्युत सब-स्टेशन का निर्माण इस दिशा में बेहतर प्रयास है, जिसके सकारात्मक परिणाम आएंगे। चतरा और उसके समीपवर्ती जिले बिजली आपूर्ति के लिहाज से पीछे थे। यहां केंद्रीय उपक्रम दामोदर घाटी निगम के जरिए बिजली की आपूर्ति की जाती है। नया संचरण लाइन और बिजली सब-स्टेशन का निर्माण होने से जहां अब निगम पर निर्भरता समाप्त होगी, वहीं क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। कुछ माह पूर्व गढ़वा में भी संचरण लाइन का निर्माण कार्य पूरा हुआ था। इससे उस क्षेत्र की निर्भरता उत्तर प्रदेश की से मिलने वाली बिजली पर समाप्त हो गई।

बिजली संचरण नेटवर्क मजबूत

संताल परगना के इलाकों में भी बिजली का संचरण नेटवर्क मजबूत हुआ है। एक मायने में कह सकते हैं कि विद्युत की सशक्त आधारभूत संरचना को खड़ा करने में झारखंड सफल हुआ है। यह बदलाव लंबे प्रयास का नतीजा है। बिजली क्षेत्र में सुधारात्मक प्रयास लागू करने की दिशा में केंद्र के सहयोग और राज्य सरकार की तत्परता से यह संभव हो पाया है। बिजली संचरण लाइन और सब-स्टेशन की मौजूदगी से उपभोक्ताओं को गुणवत्तायुक्त विद्युत आपूर्ति संभव हो पाता है। इससे उद्योग के क्षेत्र में अछूते इलाकों को विकसित करने में मदद मिलेगी।

राजस्‍व की कम हो रही वसूली

उद्योग के लिए बिजली की पर्याप्त उपलब्धता बुनियादी जरूरत है। जिन क्षेत्र में उद्योगों का विकास हुआ है, वहां बिजली की उपलब्धता के कारण ही यह संभव हो पाया है। निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए भी यह आवश्यक है। राज्य सरकार ने कुछ वर्ष पूर्व बिजली की कंपनियों को घाटा शून्य करने के लिए विखंडन की प्रक्रिया को अंगीकार किया था। हालांकि इसके अपेक्षा के अनुरूप परिणाम नहीं आए। उपभोक्ताओं को भी इसका ख्याल रखना होगा कि बिजली आपूर्ति के मद में भुगतान नियमित करें।

राजस्व की कम वसूली के कारण बिजली क्षेत्र में कामकाज पर असर पड़ता है। राज्य सरकार को रिसोर्स गैप के मद में हर साल भुगतान करना पड़ता है। अगर यह समाप्त हो जाए तो नई बिजली परियोजनाओं पर कामकाज आरंभ किया जा सकता है। फिलहाल चतरा में नए निर्माण से दामोदर घाटी निगम पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। अगले चरण में बाकी बचे उन इलाकों में भी निगम पर निर्भरता खत्म होने के आसार हैं, जो उनके कमांड क्षेत्र के दायरे में आता है। पूरी तरह से आत्मनिर्भर होने के बाद झारखंड के विकास की गति और तेज हो सकेगी। 


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