Jharkhand Power Crisis: झारखंड में गहरा सकता है बिजली संकट, डीवीसी के कमांड एरिया में बिजली कटौती जारी
Jharkhand Power Crisis डीवीसी के कमांड एरिया में बिजली कटौती जारी है। यहां बिजली संकट गहरा सकता है। बकाया नहीं मिलने के कारण यहां 300 मेगावाट की कटौती एक पखवारे से कर रहा है। डीवीसी हजारीबाग कोडरमा रामगढ़ गिरिडीह धनबाद बोकारो और चतरा में बिजली की आपूर्ति करता है।
रांची, राब्यू। राज्य में दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) के कमांड एरिया में बिजली कटौती लगातार जारी है। अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो बिजली संकट गहरा सकता है। डीवीसी प्रबंधन बकाया नहीं मिलने के कारण यहां 300 मेगावाट की कटौती एक पखवारे से कर रहा है। संभावना जताई जा रही थी कि डीवीसी प्रबंधन इसपर फैसला लेगा, लेकिन गुरुवार को कोलकाता में हुई डीवीसी निदेशक बोर्ड की बैठक में इसपर कोई नतीजा नहीं निकला। डीवीसी के एक अधिकारी के मुताबिक यह मुद्दा बैठक में उठाया गया।
बोर्ड में झारखंड सरकार के ऊर्जा सचिव सह राज्य ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष अविनाश कुमार शामिल हुए। देर रात तक चली बैठक में विभिन्न मुद्दों को निदेशक बोर्ड के समक्ष उठाया गया, जिसमें बिजली की लगातार कटौती, बकाया राशि का भुगतान और पेयजल के मद में राशि का दावा संबंधी मामले प्रमुख थे। इन ङ्क्षबदुओं पर डीवीसी निदेशक बोर्ड में राज्य का पक्ष रखा गया। गौरतलब है कि हजारीबाग, कोडरमा, रामगढ़, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो और चतरा में बिजली की आपूर्ति करता है।
बैठक में राज्य बिजली वितरण निगम की ओर से इन जिलों में हो रही कटौती और बिजली की मौजूदा स्थिति से डीवीसी निदेशक बोर्ड को अवगत कराया गया। जानकारी दी गई कि कमांड एरिया में बिजली की आपूर्ति की स्थिति काफी लचर है। मांग के मुकाबले आधे से भी कम बिजली की आपूर्ति की जा रही है। राज्य बिजली वितरण निगम अपने संसाधनों के बल पर स्थिति सामान्य करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन डीवीसी प्रबंधन से सहयोग नहीं मिलने के कारण गुणवत्तापूर्ण बिजली की आपूर्ति नहीं हो रही है।
हजारीबाग में 309 मेगावाट के डिमांड के मुकाबले 199 मेगावाट बिजली मिल रही है। इचाक और बड़कागांव में अधिक समस्या है। कोडरमा की मांग 152 मेगावाट की है, जबकि 87 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है। इसी प्रकार धनबाद की डिमांड 352 मेगावाट की है, लेकिन रोजाना पीक आवर में 272 मेगावाट ही मिल पा रहा है। गिरिडीह में 250 मेगावाट की मांग के मुकाबले 105 मेगावाट, बोकारो में 239 मेगावाट की डिमांड के मुकाबले 189 मेगावाट ही बिजली मिल पा रही है। स्थिति ऐसी ही रही तो आने वाले दिनों में बिजली संकट गहरा सकता है।