Poverty Index : झारखंड की लगभग आधी आबादी गरीब, नीति आयोग की इस रिपोर्ट पर पक्ष-विपक्ष का क्या है कहना...देखें.......
Poverty Index एक दिन पहले ही नीति आयोग(NITI) Aayog) द्वारा जारी पहली बहुआयामी गरीबी सूचकांक को जारी किया है। जिसमें झारखंड अंतिम तीन पायदानों में शामिल हो पाया है। जारी रिपोर्ट की माने तो केवल गरीबी(Poverty) ही नहीं कुपोषण(Malnutrition) भी इस राज्य की पहचान बनते जा रही है।
रांची जासं। Poverty Index : करीब चार दशक पहले राज्य के दिशोम गुरु के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले शिबू सोरेन(Shibu Soren) ने झारखंड को विकसित राज्य बनाने के लिए एक आंदोलन की शुरूआत की थी। जिसकी नींव उन्होंने धनबाद(Dhanbad) जिला में रखते हुए इसके आस पास के इलाकों से गरीबी उन्मूलन के नाम पर इस आंदोलन की आगे बढ़ाया। साथ ही इसको विकसित राज्य बनाने के लिए अलग राज्य गठन की भी मांग रखी। नतीजा झारखंड राज्य का गठन हुए भी बाइस(22) साल बीत गए। लेकिन देश की 60 फीसद खनिज जरूरतों को पूरी करने वाले झारखंड के वासी गरीबी से और गरीब होते जा रहे हैं। इसकी पुष्टि नीति आयोग के सर्वेक्षण के नतीजे भी करते दिख रहे हैं। अभी एक दिन पहले ही नीति आयोग द्वारा जारी पहली बहुआयामी गरीबी सूचकांक(Poverty Index) को जारी किया है। जिसमें झारखंड अंतिम तीन पायदानों में शामिल हो पाया है।
झारखंड की लगभग आधी आबादी गरीब: रिपोर्ट
जारी रिपोर्ट की माने तो केवल गरीबी ही नहीं, कुपोषण(Malnutrition) भी इस राज्य की पहचान बनते जा रही है। यह रिर्पोट कहती है कि झारखंड की लगभग आधी आबादी यानि 4216 प्रतिशत लोग गरीब हैं। वहीं राज्य के चौबीस जिलों में एक धनबाद भी इन समस्याओं से बुरी तरह से परेशान है। जबकि इस जिले की पहचान ही ब्लैक डायमंड यानि कोयला नगरी के रूप में है।
आइए जानते हैं कि पक्ष-विपक्ष ने क्या कहा:
इस बाबत जब हमने विभिन्न दलों के नेताओं से इस कारण जानना चाहा तो सबने एक दूसरे के दलों की सरकार को इसके लिए दोषी ठहराना चालू कर दिया। भाजपा के लोगों ने वर्तमान सरकार के साथ-साथ पूरी प्रशासनिक व्यवस्था को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की तो वहीं, कांग्रेस और उसके तमाम सहयोगियों ने इसका ठीकरा केंद्र की भाजपा सरकार पर फोड़ डाला। आइए जानते हैं कि किसने क्या कहा।
हेमंत सरकार सीधे सीधे दोषी : राज सिंहा
बीजेपी नेता और धनबाद सदर विधायक राज सिंहा ने सीधे सीधे वर्तमान सरकार पर हमला करते हुए कहा कि इसके लिए हेमंत सरकार सीधे सीधे दोषी है। इस सरकार में अधिकारी और अफसरशाही हावी है। वे किसी भी जनप्रतिनिधि की बात सुनना नहीं चाहते। इसका नतीजा सरकार की लोक-कल्याणकारी योजनाओं के लागू करने में देरी के रूप में सामने आ रही हे। और लोग उन योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
भाजपा सरकार ने गरीबी उत्थान के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है: ढुल्लू महतो
वहीं, बीजेपी नेता और बाघमारा विधायक ढुल्लू महतो ने सीधे हेमंत सोरेन को ही कटघरे में खड़ा कर दिया और कहा कि राज्य को उन्होंने और ज्यादा गरीबी की ओर ढकेल दिया है। सरकार की रूचि राज्य का विकास करने की जगह माफिया राज्य को बढावा देने में ज्यादा है। यही कारण है कि धन, धान्य और खनिज संपदा की प्रचुरता के बावजूद सूबे आज सबसे ज्यादा गरीब राज्यों की सूची में शामिल है। जबकि केंद्र की भाजपा सरकार ने गरीबी उत्थान के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है।
राज्य सरकार में शामिल लोग कल्याण की बजाए स्वकल्याण में लगे हुए हैं: अपर्णा सेनगुप्ता
अपने दोनों विधायकों की बातों से सहमति जताते हुए निरसा बीजेपी विधायक अपर्णा सेनगुप्ता कहती हैं कि राज्य सरकार में शामिल लोग कल्याण की बजाए स्वकल्याण में लगे हुए हैं। ऐसे में राज्य से भला गरीबी कैसे दूर होगी।
केेंद्र की सरकार झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है: बनी पूर्णिमा नीरज सिंह
वहीं, कांग्रेस कोटे से झरिया से विधायक बनी पूर्णिमा नीरज सिंह ने इसके लिए केंद्र सरकार को दोषी ठहराया। उनका मानना है कि केेंद्र की सरकार झारखंड के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। साथ ही केंद्र से मिलने वाले राजस्व का सही से बंटवारा नहीं होने के कारण भी सूबे के लोगों को बुनियादी सुविधा मयस्सर नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण नीति आयोग द्वारा जारी रिर्पोट में राज्य की रैंकिंग नीचे रही है।