Diwali Toys: इस दीवाली मिट्टी के खिलौनों पर टिकी कुम्हारों की आस
Diwali 2020 News अशोक प्रजापति बताते हैं कि दीवाली पर मिट्टी के दीये और लक्ष्मी गणेश की मूर्ति के साथ मिट्टी के बने खिलौने और गुल्लक की मांग काफी ज्यादा रहती है। लक्ष्मी पूजा पर गुल्लक को घर में रखकर धन की बचत का प्रतिक दिया जाता है।
रांची, जासं। हरमू मुक्ति धाम से थोड़ा आगे, पुरानी रांची में सड़क की बाएं तरफ एक पतली सड़क जाती है। यहां कुम्हारों का करीब 30 परिवार एक साथ गांव में रहता है। इन कुम्हार परिवारों का आज भी मुख्य पेशा मिट्टी के बर्तन, दीये और खिलौने बनाने का है। यहां रहने वाले अशोक प्रजापति बताते हैं कि दीवाली पर मिट्टी के दीये और लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति के साथ मिट्टी के बने खिलौने और गुल्लक की मांग काफी ज्यादा रहती है।
लक्ष्मी पूजा पर गुल्लक को खरीदकर घर में रखना धन की बचत का प्रतीक माना जाता है। मगर आम दिनों में अब गुल्लक और मिट्टी के खिलौनों की मांग न के बराबर है। हालांकि रांची में चीनी माल के बहिष्कार के बाद इस गांव के कुम्हारों की उम्मीद बढ़ी है। अब व्यापारी हमारे पास आम दिनों में भी थोड़े बहुत मिट्टी के खिलौने और मूर्ति लेने के लिए आने लगे हैं।
बच्चे-बड़े सभी करते हैं मिट्टी का काम
अपने आंगन में बैठकर मिट्टी के तोते को हरे रंग से रंग रही कविता प्रजापति बताती हैं कि उन्होंने मारवाड़ी काॅलेज से काॅमर्स की पढ़ाई की है। अब एमबीए करने के बारे में सोच रही हैं। मगर मिट्टी के खिलौने रंगने का काम वह बचपन से कर रही हैं। वह बताती है कि पढ़ाई-लिखाई अपनी जगह है। उन्हें अपना पुश्तैनी काम करने में शर्म नहीं है। यह उनका हुनर है। वह कहती है कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष मिट्टी के खिलौनों की मांग लगभग 35 प्रतिशत तक बढ़ी है। इसका एक बड़ा कारण चीनी सामानों का बाजार में कम आना है।
इस बस्ती से कई राज्यों में सप्लाई होता है मिट्टी से बने उत्पाद
पुरानी रांची के इस कुम्हार बस्ती से ओड़िशा और छत्तीसगढ़ के साथ बिहार और बंगाल के कुछ इलाकों में मिट्टी के उत्पाद की सप्लाई होती है। इन राज्यों से बड़े व्यापारी वाट्सएप पर उत्पाद को पंसद करके माल की लिस्ट दे देते हैं। कुम्हार यहां से तय समय पर माल पैक करके भेज देते हैं। माल मिलने के एक से दो दिनों में ही पैसा भी ऑनलाइन आ जाता है। हालांकि कई कुम्हार अभी इतने शिक्षित नहीं हुए हैं इसलिए केवल कैश में डील करते हैं।