मरीज को रखना है रिम्स में तो घर से लाइए पंखा
कंचन कुमार, रांची : झारखंड का गौरव कहे जाने वाले अस्पताल रिम्स में मरीज तड़प रहे हैं। गरीब मरीजों की
कंचन कुमार, रांची : झारखंड का गौरव कहे जाने वाले अस्पताल रिम्स में मरीज तड़प रहे हैं। गरीब मरीजों की हालत अधिक खराब है। ऐसा नहीं है कि मरीजों का ईलाज नहीं हो रहा। दरअसल मरीजों को गर्मी से बचाव के कोई खास उपाय नहीं किए गए हैं। अस्पताल के कई वार्ड ऐसे हैं जहां के पंखे खराब हो चुके हैं। एसी बंद पड़ हैं। जो मरीज आसपास के हैं या आर्थिक रूप से सक्षम हैं, वे घर से या खरीदकर निजी पंखा लगाकर काम चला ले रहे हैं। लेकिन दूर-दराज से आए गरीब मरीजों की हालत खराब है।
न्यूरो के डॉ. सीबी शर्मा के वार्ड में सबसे खराब स्थिति है। यहां लगे पंखे शोभा की वस्तु बन गए हैं। कोई भी पंखा काम नहीं कर रहा। न्यूरो के ज्यादातर मरीज बेसुध बेड पर पड़े हैं। इलाज चल रहा है। लेकिन गर्मी से बेहाल हैं। कराली बेला, केरेडारी (हजारीबाग) से अपने मरीज का इलाज करा रहे ओमप्रकाश तिवारी बताते हैं कि अस्पताल का पंखा नहीं चलने के कारण उन्होंने बाजार से खरीदकर नया टेबल फैन लगाया है। इससे कुछ राहत है। वहीं चंद्रपुरा के दिनेश यादव एवं तेतरिया (गया) के प्रदीप चौधरी ने भी पंखा नहीं रहने के कारण मरीजों की बदहाली बयां की।
वार्ड में घुसते ही स्वस्थ्य व्यक्ति भी गर्मी से व्याकुल हो जाता है। गली में फर्श पर लगे बेड पर एक छोटे बच्चे का इलाज चल रहा है। बच्चे के पिता हाथ से गत्ते का पंखा बनाकर झेल रहे हैं। वार्ड में ज्यादातर पीले बल्ब लगे हैं, जोकि वार्ड को और भी गर्म कर रहे हैं। पूछने पर कई परिजनों ने बताया कि बाबू दूर से आए हैं। इतना पैसा नहीं कि दवा के अलावा कुछ और की खरीद की जा सके। इसलिए असह्यं गर्मी एवं उमस को भी चुपचाप झेलने को विवश हैं। अस्पताल के अन्य वार्डो की भी कमोवेश यही हाल है। बर्न वार्ड में लगे छह एसी में से चार खराब पड़े हैं। रिम्स में बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ एवं राज्य के लगभग सभी जिलों के गंभीर मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं। यहां उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बाहर से आए मरीजों के लिए स्वयं अपनी जरूरतों के अनुसार व्यवस्था कर पाना आसान नहीं होता।
पंखे खराब होने की सूचना मिली है, जल्द उसे बदला जाएगा। मरीजों को परेशानी नहीं होने दी जाएगी।
डॉ. आरके श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक, रिम्स।