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सीएनटी बिलः आदिवासी सांसदों-विधायकों से रायशुमारी करेगी भाजपा

भाजपा सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक पर अपने आदिवासी सांसदों व विधायकों से बात करेगी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 28 Jun 2017 09:50 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jun 2017 04:22 PM (IST)
सीएनटी बिलः आदिवासी सांसदों-विधायकों से रायशुमारी करेगी भाजपा
सीएनटी बिलः आदिवासी सांसदों-विधायकों से रायशुमारी करेगी भाजपा

राज्य ब्यूरो, रांची। सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक के विभिन्न पहलुओं पर भाजपा अपने आदिवासी सांसदों व विधायकों से रायशुमारी करेगी। सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक के राजभवन से वापस आने के बाद पार्टी की भावी रणनीति पर चर्चा के दौरान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने यह बातें साझा की।

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मंगलवार को प्रदेश कार्यालय पहुंचे लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि उन्हें कुछ दिन पूर्व सरकार ने जानकारी दी थी कि बिल कुछ आपत्तियों के साथ वापस किया गया है। गिलुवा ने कहा कि हमने सरकार से कहा है कि बिल जिन आपत्तियों को लेकर वापस किया गया है उसके विभिन्न पहलुओं पर हम विचार विमर्श करेंगे। इस कड़ी में भाजपा के आदिवासी विधायकों से रायशुमारी की जाएगी।

इस बैठक में पार्टी के वरिष्ठ सदस्य पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और वरिष्ठ सांसद कडि़या मुंडा भी उपस्थित रहेंगे। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी बुलाया जाएगा। 29 जून की शाम चार बजे होने वाली बैठक में एक्ट से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर विमर्श किया जाएगा। बैठक में आए सुझावों के आधार पर एक दस्तावेज तैयार किया जाएगा और सरकार पर इस बात के लिए दबाव बनाया जाएगा कि वह इन सुझावों को संशोधित एक्ट में शामिल करे। इसके बाद एक्ट को कैबिनेट से पास कराकर विधानसभा में लाया जाए।

हम इस बात के पक्षधर हैं कि विधानसभा में बिल पर खुली बहस हो। इसके बाद बिल को पास कराकर राज्यपाल को भेजा जाए। गिलुवा ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से उन्हें संशोधित बिल में कोई कमी दिखाई नहीं देती है। सरकार ने एक्ट में जो सरलीकरण किया है वह आदिवासियों के हित में है। उन्होंने विपक्षी दलों पर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग जबरदस्ती माहौल खराब बना रहे हैं।

डैमेज कंट्रोल को अर्जुन मुंडा ने संभाली कमान

राजभवन द्वारा सीएनटी-एसपीटी संशोधित बिल वापसी के बाद अचानक आक्रामक हुए विपक्षी दलों के नेताओं पर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा जमकर बरसे। मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर उन्होंने विपक्षी दल के किसी नेता का नाम लिए बगैर कहा कि जो झारखंड को जलाने सरीखे बयान दे रहे हैं उन्हें यह ख्याल रखना चाहिए कि विपक्ष की मर्यादा होती है। इसका पालन सबको करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि आदिवासियों की सबसे बड़ी शुभचिंतक भाजपा है। राज्यपाल ने जिन बिंदुओं पर आपत्ति जताते हुए विधेयक वापस किया है उसपर पार्टी विचार करेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि सीएनटी-एसपीटी संशोधित विधेयक को सिरे से नकारा नहीं जा सकता। ऐसे कई बिंदु भी हैं जो आदिवासी समाज के व्यापक हित में हैं। विपक्ष इसे हल्के तरीके से ले रहा है, जो ठीक नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि विधेयक लाने से पहले सभी पक्षों से व्यापक विचार-विमर्श नहीं हुआ। बदली परिस्थिति में विधेयक के सकारात्मक पक्ष को उभारते हुए तमाम स्तरों पर रायशुमारी करनी चाहिए।

सीएनटी पर मुख्यमंत्री ने साधी चुप्पी

अमूमन जनसंवाद के तहत सीधी बात कार्यक्रम के अंत में मुख्यमंत्री रघुवर दास मन की बातें अफसरों संग साझा करते हैं। मीडिया से भी रूबरू होते हैं, लेकिन मंगलवार को ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। जब मीडियाकर्मियों ने उनसे कुछ बोलने का आग्रह किया तो उन्होंने चुप्पी साध ली। मुख्यमंत्री कुछ नहीं बोले और तेज कदमों से चलते हुए सूचना भवन के बाहर निकल गए।

दोबारा बिल न भेजे सरकार: आजसू

सरकार में सहयोगी की भूमिका निभा रही आजसू पार्टी के विधायक विकास मुंडा ने सरकार को नसीहत दी है कि वह सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन पर दोबारा पहल नहीं करे। उन्होंने कहा कि उनकी व्यक्तिगत राय है कि यदि सरकार दोबारा संशोधन विधेयक लाने का प्रयास करती है तो वे अपनी पार्टी के समक्ष सरकार से समर्थन वापसी का भी प्रस्ताव रख सकते हैं। पार्टी पर दबाव बनाएंगे कि वह इसपर बड़ा फैसला ले।

बिल निरस्त करे सरकार नहीं तो आएगा जलजला: झाविमो

झाविमो के महासचिव बंधु तिर्की ने सीएनटी संशोधन बिल को तत्काल निरस्त करने की मांग सरकार से की है। उन्होंने कहा है कि अगर सरकार इस एक्ट में दोबारा संशोधन का प्रस्ताव लाती है तो राज्य में जलजला आ जाएगा। उन्होंने कहा कि 31 अक्टूबर को मोरहाबादी मैदान में पूरे राज्य से आदिवासियों का हुजूम उमड़ेगा, जहां सरकार की आदिवासी विरोधी नीतियों का खुलासा किया जाएगा।

राज्य में अशांति फैलाना चाहता है विपक्ष: भाजपासी

एनटी संशोधन बिल की वापसी के बाद गरमाई राजनीति के बीच भाजपा ने विपक्ष पर पलटवार किया है। प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण प्रभाकर ने कहा है कि विपक्ष बताए कि राजधानी रांची और उप राजधानी दुमका के मुख्य चौराहे की जमीन पर आदिवासी-मूलवासी व्यवसाय करे या हल चलाए। कहा कि सीएनटी-एसपीटी मुद्दे पर धमकी भरी भाषा का प्रयोग कर विपक्ष राज्य में अशांति फैलाना चाहता है।

बिल की वापसी संवैधानिक प्रक्रिया है। कांग्रेस के शासन में भी कई विधेयक पुनर्विचार के लिए लौटाए गए थे। प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि जब 1996 में उद्योगपतियों के लिए राजद ने सीएनटी-एसपीटी की धारा 49 में संशोधन किया तो लालू प्रसाद के डर से झामुमो-कांग्रेस दुबक गई थी। विपक्ष नहीं चाहता कि राज्य के आदिवासियों और मूलवासियों का विकास हो।
 

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