राजनीतिक वार-पलटवार में उलझी झारखंड की राजनीति, आपस में भिड़े सत्ता पक्ष-विपक्ष
Raghubar Das Political Updates Jharkhand News योजनाओं के उद्घाटन पर जिच है। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास निशाने पर हैं। कार्यकाल की जांच आयोग से कराने की सत्ता पक्ष की दलील है। इस पर भाजपा ने पलटवार किया है।
रांची, [ प्रदीप सिंह]। झारखंड में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला इन दिनों परवान पर है। एक तरफ योजना के उद्घाटन को लेकर मचा विवाद और दावेदारी है तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के बहाने सत्ता पक्ष ने विपक्ष की घेराबंदी कर दी है। एम्स, देवघर की ओपीडी के उद्घाटन का विवाद इस कदर बढ़ा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कार्यक्रम ही स्थगित कर दिया। सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
इसे जनभावना के विपरीत बताते हुए आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का अपमान बताया गया। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य के मुताबिक यह गलत प्रवृति है और अघोषित आपातकाल का उदाहरण भी। उधर निशिकांत दुबे भी स्पष्ट किया कि अब कोरोना संक्रमण को लेकर लागू पाबंदियां हटने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. हर्षवर्धन एम्स की ओपीडी का उद्घाटन करेंगे। ओपीडी के अलावा देवघर, एम्स के निर्माण की घोषणा को लेकर भी जिच है।
भाजपा का दावा है कि यह योजना यूपीए की सरकार ने ड्राॅप कर दी थी, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि इसे यूपीए-दो की सरकार ने मंजूरी दी थी। भाजपा बस इसका श्रेय लेना चाहती है। कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर का कहना है कि भाजपा के पास उपलब्धियों के नाम पर कुछ नहीं है। हमारी योजनाओं पर शिलापट्ट लगाकर ये अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। अब ऐसा नहीं होगा। टीकाकरण इसका उदाहरण है।
आज भाजपा के लोग एक दिन में अस्सी लाख टीका लगाने को भारी उपलब्धि बताते नहीं थक रहे, लेकिन केंद्र में यूपीए-दो के शासनकाल में 2012 में एक दिन में 17 करोड़ पोलियो टीकाकरण हुआ था। पक्ष-विपक्ष के बीच बढ़ती तनातनी का एक केंद्र बिंदु पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी हैं। उनके खिलाफ सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने एक आयोग बनाकर जांच की नसीहत सरकार को दी है।
पूर्व मंत्री सरयू राय की शिकायतों पर उनके खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो ने जांच की प्रक्रिया भी आरंभ की है। यह विवाद और बढ़ेगा। रघुवर दास ने स्पष्ट कहा है कि वे इससे नहीं घबराते। सरकार जांच करा ले। उधर सरयू राय ने भी पुराने विवादों को उछालते हुए कड़ी कार्रवाई के लिए सरकार पर दबाव बनाया है। दोनों पक्ष हथियार डालने के मूड में नहीं दिखते। यह भी तय है कि आरोप-प्रत्यारोप का यह सिलसिला आने वाले दिनों में और बढ़ेगा और यह सियासी लड़ाई अदालत की दहलीज तक पहुंचेंगी।
राजनीतिक टकराव रोकने को तय प्रोटोकॉल सभी विभागों को जारी
देवघर में एम्स ओपीडी के उद्घाटन को चल रहे विवाद के कुछ दिन पूर्व ही मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग ने सभी विभागीय प्रमुखों से लेकर जिलों के डीसी-एसपी तक को पत्र लिखकर प्रोटोकॉल को सख्ती से पालन कराने की बात कही है। प्रधान सचिव वंदना डाडेल की ओर से जारी पत्र में केंद्र प्रायोजित और केंद्रीय योजनाओं से लेकर राज्य की योजनाओं तक के लिए प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन करने को कहा गया है।
सरकार की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि शिलान्यास एवं उद्घाटन के लिए योजना स्थल से संबंधित जन प्रतिनिधियों यथा सांसद, विधायक, जिला परिषद अध्यक्ष, सदस्य, नगर निगम के महापौर, प्रमुख एवं मुखिया को आमंत्रित किया जाए। विभाग ने कहा है कि सभी प्रकार की योजनाओं के शिलान्यास के अवसर पर योजना का विस्तृत विवरण यथा योजना का नाम, योजना की राशि, योजना पूर्ण होने की अवधि आदि की सूचना अंकित होनी चाहिए।
केंद्रीय योजनाओं के लिए शिलापट्ट पर अंकित नामों के लिए क्रम
मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय राज्य मंत्री, राज्य सरकार के मंत्री, स्थानीय सांसद और विधायक।
राज्य सरकार की योजना के तहत प्रोटोकॉल इस प्रकार है : मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, स्थानीय मंत्री, बीस सूत्री के प्रभारी मंत्री, सांसद और विधायक।