Jharkhand: केंद्र में कैबिनेट मंत्री बने अर्जुन मुंडा 35 की उम्र में बने थे सीएम
Arjun Munda. मोदी सरकार में पहली बार शामिल होने वाले अर्जुन मुंडा राष्ट्रीय राजनीति में पहचान के मोहताज नहीं हैं। वह 2003 2005 और 2010 में झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हैं।
रांची, जेएनएन। मोदी सरकार में पहली बार शामिल होने वाले अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) राष्ट्रीय राजनीति में पहचान के मोहताज नहीं है। वह 2003, 2005 और 2010 में झारखंड के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Jharkhand) रहे हैं। वह खरसावां विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने जाते रहे हैं। 2014 विधानसभा चुनाव में उन्हें झामुमो के दशरथ गागराई से हार का सामना करना पड़ा था। पांच साल के वनवास के बाद एक बार फिर भाजपा ने उन्हें खूंटी संसदीय सीट का टिकट थमाया। खूंटी सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की उम्मीदवारी ने ही इसे हॉट सीट बना दिया था।
वोटों की गिनती में अर्जुन मुंडा कांग्रेस के कालीचरण मुंडा से महज 1445 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। 16वें राउंड की गणना में जब अर्जुन मुंडा आगे निकले तो कांग्रेस समर्थकों ने धांधली के आरोप लगाते हुए पुनर्गणना की मांग कर दी। हालांकि बाद में कांग्रेसी खेमे के आरोपों को खारिज कर अर्जुन मुंडा की जीत की आधिकारिक घोषणा की गई थी। राज्य में यह सबसे कम अंतर से किसी सांसद की जीत थी। अर्जुन मुंडा का कोई अपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है। लोकसभा चुनाव में दायर शपथ पत्र के अनुसार उनकी संपत्ति 9.15 करोड़ रुपए है।
कड़िया मुंडा की सीट से लड़े अर्जुन मुंडा
अर्जुन मुंडा को भाजपा के वरिष्ठ नेता कडिय़ा मुंडा का टिकट काटकर खूंटी संसदीय क्षेत्र से लडऩे का मौका दिया गया था। कडिय़ा मुंडा खूंटी से आठ बार सांसद रहने के अलावे लोकसभा के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं।
27 साल में विधायक और 35 साल में सीएम बने
अर्जुन मुंडा 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बने। 1995 में खरसावां विधानसभा सीट से झारखंड मुक्ति मोर्चा से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2000 में अर्जुन मुंडा भाजपा में शामिल हो गए और 35 साल की उम्र में 2003 में झारखंड के मुख्यमंत्री बने। अर्जुन मुंडा 2009 में जमशेदपुर से सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी रहे हैं।
भालूबासा स्कूल से पूरी की स्कूली शिक्षा
पांच मई 1968 में जन्मे मुंडा गणेश और साइरा मुंडा की संतान हैं। परिवार के पांच बच्चों में अर्जुन मुंडा सबसे छोटे हैं। उन्होंने भालूबासा के हरिजन मध्य व उच्च विद्यालय से स्कूली शिक्षा पूरी की। इसके बाद उन्होंने रांची यूनिवर्सिटी से ग्र्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ओपन विश्वविद्यालय से सोशल साइंस में पीजी डिप्लोमा किया। अर्जुन मुंडा ने मीरा मुंडा से शादी की और उनके तीन बेटे हैं।
1980 में अलग झारखंड आंदोलन में भी रहे थे सक्रिय
अर्जुन मुंडा का राजनीतिक जीवन 1980 से शुरू हुआ। उस वक्त अलग झारखंड आंदोलन का दौर चरम पर था। अर्जुन मुंडा ने राजनीतिक पारी की शुरूआत 1995 में झारखंड मुक्ति मोर्चा से की। बतौर भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी 2000 और 2005 के चुनावों में भी उन्होंने खरसावां से जीत हासिल की। वर्ष 2000 में अलग झारखंड राज्य का गठन होने के बाद अर्जुन मुंडा बाबूलाल मरांडी के कैबिनेट में समाज कल्याण मंत्री बनाये गये। वर्ष 2003 में विरोध के कारण बाबूलाल मरांडी को मुख्यमंत्री के पद से हटना पड़ा और राज्य की कमान 18 मार्च 2003 को अर्जुन मुंडा को पहली बार सौंपी गई।
इसके बाद 12 मार्च 2005 को दोबारा उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन निर्दलीयों से समर्थन नहीं जुटा पाने के कारण उन्हें 14 मार्च 2006 को त्यागपत्र देना पड़ा। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। लगभग दो लाख के मतों के अंतर से जीत हासिल की। 11 सितम्बर 2010 को वे तीसरी बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। अर्जुन 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर सीट से झामुमो के दशरथ गागराई से हार गए।
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