PM मोदी आज शाम झारखंड के व्यापारिक संघों से करेंगे सीधी बात, देश में निर्यात बढ़ाने पर करेंगे चर्चा
कोरोना संक्रमण के बाद से आयी व्यापारिक मंदी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा लगातार बड़े स्तर पर कोशिशें की जा रही है। इसके तहत एमएसएमई स्माल स्केल इंडस्ट्रीज और बड़े उद्योगों को राहत देने के लिए कई बड़े पैकेज और सहुलियतें दी गयी है
रांची, जासं । कोरोना संक्रमण के बाद से आयी व्यापारिक मंदी को दूर करने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा लगातार बड़े स्तर पर कोशिशें की जा रही है। इसके तहत एमएसएमई, स्माल स्केल इंडस्ट्रीज और बड़े उद्योगों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार के द्वारा कई बड़े पैकेज और सहुलियतें दी गयी है। देश में उद्योग और व्यापार की स्थिति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद मॉनिटर कर रहे हैं। इसके तहत आज शाम छह बजे वो झारखंड के व्यापारिक सगठनों से सीधी बात करें। ये बात वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की जाएगी। इस वार्ता का आयोजन प्रधानमंत्री कार्यालय के द्वारा किया जा रहा है। वार्ता में झारखंड सहित देशभर के बड़े व्यापारिक संघों को आमंत्रित किया गया है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के द्वारा बताया गया है कि इस बैठक में देश में निर्यात बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी व्यापारिक संगठनों से निर्यात में आ रही परेशानियों के बारे में सीधे जानकारी लेंगे। झारखंड से इस वार्ता में फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, जेसिया, आदित्यपुर स्माल इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, और आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र टाटा कांड्रा रोड शामिल होंगे। इस संघों को वार्ता में शामिल होने के लिए झारखंड उद्योग निदेशालय के द्वारा पत्र जारी किया गया है।
फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वार्ता पर व्यापारियों में उत्साह है। ये अच्छी बात है कि देश का शीर्ष नेता निर्यात और उद्योग से जुड़ी समस्या को जानने के लिए खुद पहल कर रहे हैं। राज्य से कोयला, स्टील, आयरन, आटोमोबाइल पार्ट, और अन्य छोटे मैकेनिकल पार्ट का निर्यात होता है। मगर कोरोना संक्रमण के बाद से व्यापारी केंटेनर नहीं मिलने की समस्या से परेशान हैं। इससे निर्यात की लागत काफी बढ़ जाती है।
वही जेसिया के अध्यक्ष फिलिप्स मैथ्यू ने बताया कि झारखंड पोर्ट ड्राई स्टेट है। ऐसे में यहां से सामान विभिन्न माध्यम से पोर्ट तक पहुंचाना पड़ता है। पहले इस ट्रास्पोर्ट पर राज्य सरकार के द्वारा कुछ सब्सिडी दी जाती थी। मगर पिछले दो वर्ष से ये पैसा व्यापारियों को सही से नहीं मिल पा रहा है। इससे आर्थिक बोझ बढ़ा है। इसके साथ पोर्ट में रैक नहीं मिलने से सामान की डिलीवरी सही समय पर नहीं हो पाती। इससे आयातक की नाराजगी भी झेलनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि निर्यात को सुगम बनाने के लिए सिंगल विंडो क्लियरेंस पर काम किया जाना चाहिए।