खत्म हुआ खेल का मैदान और कब्रिस्तान विवाद, दोनों पक्षों में हुआ समझौता
Chatra News भूखंड पर कब्रिस्तान तथा खेल मैदान के लिए भी आवश्यकता के अनुसार भूमि उपलब्ध कराई जा सकती है। विवाद का हल दोनों समुदाय के लोगों को आपसी सहमति से निकालना चाहिए। ताकि गांव में अमन चैन कायम रह सके।
चतरा, जागरण संवाददाता। प्रखंड के परसौनी गांव में कब्रिस्तान तथा खेल मैदान की भूमि को लेकर चला आ रहा विवाद सोमवार को सलटा लिया गया है। विवादित भूमि को कब्रिस्तान तथा खेल मैदान के लिए आवश्यकता के अनुसार विभाजित करने का निर्णय लिया गया है। मंगलवार को मापी के पश्चात कब्रिस्तान व खेल मैदान के लिए भूमि का सीमांकन किया जाएगा। इस बाबत सोमवार को प्रखंड कार्यालय परिसर में अनुमंडल पदाधिकारी मुमताज अंसारी की अध्यक्षता में दोनों समुदाय के लोगों की बैठक हुई।
अधिकारियों ने मामले को लेकर की बैठक
बैठक में पुलिस उपाधीक्षक केदारनाथ राम, प्रखंड विकास पदाधिकारी साकेत कुमार सिन्हा, अंचल अधिकारी राम विनय शर्मा, पुलिस निरीक्षक शिव प्रकाश प्रसाद तथा थाना प्रभारी निरंजन मिश्रा भी शामिल हुए। बैठक में दोनों पक्ष के लोगों ने विवादित भूमि को लेकर अपना-अपना दावा उपस्थित अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया। दोनों समुदाय के लोगों की बातों को सुनने के पश्चात अनुमंडल पदाधिकारी ने सुझाव दिया कि विवादित भूखंड का रकवा काफी बड़ा है।
अमन-चैन कायम करने पर जोर
भूखंड पर कब्रिस्तान तथा खेल मैदान के लिए भी आवश्यकता के अनुसार भूमि उपलब्ध कराई जा सकती है। विवाद का हल दोनों समुदाय के लोगों को आपसी सहमति से निकालना चाहिए। ताकि गांव में अमन चैन कायम रह सके। सामाजिक कार्यकर्ता बिरजू तिवारी ने भी दोनों समुदाय के लोगों से आग्रह किया कि विवाद को शीघ्र समाप्त कर लिया जाए। इसी में परसौनी गांव की भलाई है। विवाद उत्पन्न करने वाले लोगों का ना कोई धर्म होता है, और ना ही जाति। ऐसे लोग समाज को सिर्फ लड़ाना जानते हैं।
दोनों पक्षों में हुई सहमति
बैठक के दौरान भाजपा के जिला महामंत्री मृत्युंजय सिंह, रामसेवक सिंह, बालेश्वर साव, कृष्णा साव, मो. मुजीब, मो. असलम, मो. अनवर आदि ने भी विवाद को सुलझाने के लिए स्वागत योग्य सुझाव दिया। तत्पश्चात दोनों समुदाय के लोगों की सहमति से तय किया गया की आवश्यकता के अनुसार कब्रिस्तान तथा खेल मैदान के लिए भूमि का सीमांकन कर दिया जाए। विवादित भूमि के सीमांकन को लेकर स्थल पर मौजूद कर्बला बाधक बन रहा था। इस समस्या का निराकरण मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा ही निकाला गया।
शांतिपूर्वक मामला सुलझाने का प्रयास
मकसूद आलम ने बैठक में उपस्थित अधिकारियों तथा ग्रामीणों को बताया की भूमि के सीमांकन में अगर कर्बला से बाधा उत्पन्न होती है तो ऐसी स्थिति में कर्बला को वहां से दूसरी जगह हस्तांतरित कर दिया जाएगा। बैठक के दौरान ही एक बारह सदस्यीय समिति का गठन किया गया। जिसमें दोनों समुदाय से छह-छह लोगों को शामिल किया गया। कमेटी में रामसेवक सिंह, कृष्णा साव, पिंटू कुमार सिंहष उपेंद्र साव, राम प्रकाश साव, बालेश्वर साव, मो. मुजीब, मो. असलम, मो. अनवर, मो. फैयाज अंसारी, मकसूद आलम को शामिल किया गया। कमेटी के उपरोक्त सदस्यों को यह जिम्मेवारी भी दी गई कि भविष्य में किसी भी तरह का विवाद उत्पन्न होने पर कमेटी के लोग शांतिपूर्वक विवाद को सुलझाएंगे।