कांके डैम साइड में बदबू से सांस लेना भी दूभर
घास व जलकुंभी सड़ने से आ रही दुर्गध, पानी भी हो रहा दूषित
विवेक आर्यन, रांची :
कांके डैम के आसपास दुर्गध के मारे सांस लेना भी मुश्किल हो चुका है। यहां डैम किनारे की सड़ी घास की बदबू से पूरा गांव दुर्गध से जूझ रहा है। घर के कमरों से ले कर मोहल्ले की गलियों तक दुर्गध फैला है। कांके डैम के किनारे टिकरी टोला के लोगों का जीना मुहाल हो रहा है। कांके रोड से डैम की ओर बढ़ते ही कोई भी आसानी से दुर्गध महसूस कर सकता है। डैम के करीब जाते हुए गंध तेज हो जाती है और डैम के किनारे की स्थिति हद पार कर जाती है।
पूरे क्षेत्र की पड़ताल करने पर पाया गया कि गर्मी में जब डैम का जलस्तर कम होता है तो डैम के किनारे घास और अन्य जंगली पौधे उग जाते हैं। महीनों बाद जब डैम का जलस्तर बढ़ता है तो वे सभी पौधे और घास पानी में सड़ने लगते हैं। आस पास की नालियों का पानी भी जा कर वहीं मिलता है जो कि दुर्गध का कारण बन रहा है। पर्यावरणविद नितीश प्रियदर्शी बताते हैं कि जलकुंभियों के कारण पानी में ऑक्सीजन की कमी हो गई है जिससे हानिकारक बैक्टीेरिया पनप रहे हैं। कहां हुई चूक -
कांके डैम का इको सिस्टम पूरी तरह खत्म हो चुका है। ऐसे में पानी साफ करने की कोई व्यवस्था नहीं है। सरकार या विभाग की ओर से भी इसमें चूक हुई है। विभाग को इसकी जानकारी थी कि पानी का स्तर बढ़ कर पौधों तक पहुंचेगा तो बरसात के पूर्व ही डैम के किनारे के खर-पतवार को साफ किया जाना चाहिए था। डैम के किनारे की यह स्थिति हर साल की है। फिर भी विभाग या सरकार की ओर से कोई प्रयास नहंी किया जाता है। क्या है उपाय -
शहर के पर्यावरणविदों का कहना है कि डैम के दूषित पानी को ठीक करने की जरूरत है। डैम के पानी को ऑक्सीडाइज करने के लिए प्रयास होने चाहिए। ठोस उपाय के लिए डैम के पानी से सिंचाई एक बेहतर विकल्प है। फव्वारे के द्वारा सिंचाई करने पर पानी में ऑक्सीजन का स्तर बना रहेगा। इससे पौधों की सड़ने की नौबत नहीं आएगी। हर बरसात के पहले डैम के किनारे के खर-पतवार की सफाई करनी चाहिए। फिलहाल ब्लीचिंग पाउडर अथवा चूना का प्रयोग कर समस्या दूर की जा सकती है।
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1. हर बरसात में यही हाल रहता है। डैम में पानी भरता है और दुर्गध की कहानी शुरु होती है। हर साल बस बातें होती है, कार्रवाई कभी नहीं होती है।
: योगेंद्र पाठक। 2. पूरा क्षेत्र इस समस्या से तबाह है। बीमार होने का खरा बना रहता है। इस दुर्गध के साथ जीना मुश्किल हो रहा है। सरकार को कदम उठाना चाहिए।
: संतोष बैठा। 3. कचरा उठाने के लिए सप्ताह में एक बार लोग आते हैं। घरों कचरा नाले के माध्यम से डैम में मिलता है इससे बद्बू की समस्या उत्पन्न हा रही है।
: पार्वती देवी। 4. बद्बू के कारण तो घर तक छोड़ने की नौबत आ पड़ी है। बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी है। उनके बीमार पड़ने का भी खतरा ज्यादा रहता है।
: प्रभा केरकेट्टा।
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घरों में नहीं है शौचालय, खुले में हो रहा है मल त्याग -
टिकरी टोला के लोगों ने दुर्गध की शिकायत के साथ आस पास की गंदगी की ओर भी सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है। उन्होने बेहद कठोर शब्दों में कहा कि सरकार का जरा सा भी ध्यान उनके क्षेत्र पर नहीं है। दुर्गध की वजह गंदगी भी है जिसके दो प्रमुख कारण हैं। कांके रोड से ले कर डैम तक ढलान की वजह से नाले का सारा पानी डैम के किनारे जमा होता है जिससे लोग परेशान हैं।
दूसरी ओर मोहल्ले के कई घरों में शौचालय नहीं है और लोग मल का त्याग खुले में करते हैं। वहां के लोग सरकार से सामुहिक शौचालय की मांग कर रहे हैं। वे शौचालय के लिए अपनी जमीन देने को तैयार हैं। सरकार उनकी ओर ध्यान नहीं दे रही है।