सरकार को चुनौती देने की साजिश, सरकारी योजनाओं का बहिष्कार
दो पंचायतों में सरकार को खुली चुनौती देने की साजिश का मामला सामने आया है
राधागोविंद सिंह, बुंडू (रांची)। खूंटी में पत्थलगड़ी कर सरकार, कानून और संविधान को चुनौती देने वाली राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की गूंज अभी थमी भी नहीं कि राजधानी से चंद किलोमीटर दूर बुंडू प्रखंड की दो पंचायतों में ऐसी ही ताकतों द्वारा सरकार को खुली चुनौती देने की साजिश का मामला सामने आया है। वहां की स्थिति अभी ज्यादा बिगड़ी नहीं है, लेकिन जिस तरह से अधिकारी चैन की नींद सोए हुए हैं, उसे देखते हुए उसके जल्द ही गंभीर रुख लेने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
रांची से 28 किलोमीटर दूर तैमारा और 55 किलोमीटर दूर चुरगी पंचायत में पत्थलगड़ी कर सरकारी योजनाओं का रास्ता बंद कर दिया गया है। ये दोनों बुंडू प्रखंड की पंचायतें हैं। यहां राष्ट्रविरोधी ताकतें सक्रिय हैं। दोनों पंचायतों में पत्थर गाड़कर उस पर ग्रामीणों की ओर से उनके अपने संविधान का हवाला देते हुए उसकी आड़ में सरकारी योजनाओं के बहिष्कार की बात लिखी गई है।
उसमें स्पष्ट किया गया है कि पंचायत में कोई विकास कार्य बिना ग्राम पंचायत की अनुमति के नहीं हो सकता है। वर्ष 2016-17 की शुरुआत तक वहां की हालत सामान्य थी। चुरगी पंचायत के सरजमडीह, लोवाहातू, चुरगी और पानसकाम गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 39 आवास स्वीकृत किए गए।
योजना की प्रथम किस्त के रूप में लाभुकों को 26-26 हजार रुपये उनके बैंक खाते में डाले गए। प्रथम किस्त जारी होने के बाद ही पंचायत में पत्थलगड़ी कर दी गई। इसके बाद एक-दो लोगों को छोड़कर शेष लोगों ने प्रधानमंत्री आवास योजना का कार्य शुरू ही नहीं किया। ग्रामीणों को इसकी समझ है कि उनका यह फैसला सरकार और कानून विरोधी है। इसलिए कोई भी अपना नाम सार्वजनिक नहीं करना चाहता है। नाम न छापने की गारंटी देने पर कई लोग खुलकर बयानबाजी करते हैं। वे कहते हैं कि वे अपनी पंचायत में कोई भी सरकारी योजना का काम नहीं लेंगे।
यही स्थिति तैमारा पंचायत के बेड़ा, हांजेद, लाबगा गांव की भी है। यहां के लोग भी सरकारी योजना के काम का विरोध कर रहे हैं। चुरगी पंचायत में वर्ष 2017-18 में 118 प्रधानमंत्री आवास दिया जाना था। इसमें मात्र 8 लोगों ने ही आवास लिए। शेष 110 लोग प्रधानमंत्री आवास नहीं ले रहे हैं।
बीएलडब्ल्यू के निलंबन की अनुशंसा
चुरगी पंचायत में सरकारी कार्य नहीं होने के कारण बुंडू बीडीओ राजकिशोर प्रसाद ने बीएलडब्ल्यू रामरतन मुंडा के निलंबन की अनुशंसा उच्चाधिकारियों से की है। मूल समस्या की अनदेखी कर उन्होंने कागजी कार्रवाई कर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर दिया है।
ग्रामीण नहीं लेना चाहते तो मैं क्या करूं
वीएलडब्ल्यू रामरतन मुंडा का कहना है कि ग्रामीण पत्थलगड़ी कर योजना लेना ही नहीं चाहते हैं, तो वे क्या कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि बुंडू बीडीओ मामले की गंभीरता को देखते हुए एक बार भी उस पंचायत में नहीं गए हैं।
ग्राम सभा को चाहते हैं समानांतर अधिकार
ग्रामीण पूरे अनुसूचित क्षेत्र में समानांतर सरकार चलाने का अधिकार चाहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार के जितने भी विकास कार्य हैं वे सभी ग्रामसभा के माध्यम से हों। सरकार विकास की राशि सीधे ग्रामसभा को दे। क्षेत्र में सड़क बने, पुल बने, डैम बने या जन्म मृत्यु का प्रमाणपत्र बने सभी कार्य कराने का अधिकार सिर्फ ग्रामसभा को हो।
बैठक में उभरा मतभेद
पिछले दिनों चुरगी पंचायत के लोवाहातू गांव में ग्रामीणों की ग्रामसभा हुई। इसमें इन मांगों को लेकर ग्रामीणों में मतभेद सामने आया। इसमें लोग सरकार की योजनाओं को नहीं लेने पर अड़े थे। पर, कुछ बुद्धिजीवियों ने कहा कि यह क्षेत्र पहले से ही बेहद पिछड़ा है, अगर हम सरकारी योजनाओं को नहीं लेंगे, तो क्षेत्र का विकास कैसे होगा? इससे तो हम और पिछड़ते जाएंगे। हमें सरकार द्वारा दी जानेवाले सहयोग राशि लेनी चाहिए लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती की तरह है।
सीएनटी एसपीटी एक्ट में संशोधन का विरोध
ग्राम सभा में केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार द्वारा सीएनटी एसपीटी एक्ट में संशोधन प्रस्ताव का सामूहिक विरोध किया गया। कहा गया कि अगर इसमें बदलाव किया गया, तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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मुझे मामले की जानकारी है। सभी को भारत के संविधान को मानना होगा। जो सरकार का नियम है उसी प्रावधान के अनुसार सभी को चलना है। किसी को भी समानांतर सरकार चलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
-सरोज तिर्की, बुंडू एसडीओ।
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चुरगी व तैमारा पंचायत के लोग प्रधानमंत्री आवास आवास योजना का लाभ नहीं लेना चाह रहे हैं। ऐसे में आवासों का आवंटन दूसरी पंचायत के लोगों में कर दिया गया है। इस मामले में हम क्या कर सकते हैं। इससे ज्यादा बात करने पर उन्होंने यह कहते हुए फोन काट दिया कि आवाज नहीं आ रही है। ज्यादा बात करना है तो सोमवार को कार्यालय आ जाएं।
- राजकिशोर प्रसाद, बीडीओ, बुंडू