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Padma Shri Award 2020: महज 10वीं तक पढ़े पद्मश्री मधु मंसूरी की आवाज पर झूमते हैं लोग

Padma Shri Award 2020 झारखंड आंदोलन से जुड़े नागपुरी गायक व गीतकार मधु मंसूरी हसमुख को पद्यश्री सम्मान की घोषणा से कला जगत में हर्ष का माहौल है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 07:52 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 07:52 PM (IST)
Padma Shri Award 2020: महज 10वीं तक पढ़े पद्मश्री मधु मंसूरी की आवाज पर झूमते हैं लोग
Padma Shri Award 2020: महज 10वीं तक पढ़े पद्मश्री मधु मंसूरी की आवाज पर झूमते हैं लोग

रांची, [नवीन शर्मा]। Padma Shri Award 2020 झारखंड की पहचान यहां के जंगल, नदियां व झरने हैं। यहां के जलप्रपात और कलकल बहती नदियों की धारा में  प्रकृति का मधुर संगीत गूंजता रहता है। यह संगीत यहां के निवासियों के जनजीवन में पूरी तरह रचा-बसा है। मधु मंसूरी हसमुख इसी वातावरण में पले-बढ़े हैं। इसलिए वे ऐसे आर्टिस्ट हैं जो विधिवत रूप से गायन का प्रशिक्षण नहीं लेने के बावजूद सहज और स्वाभाविक कलाकार हैं।  पद्मश्री पुरस्कार दिए जाने की घोषणा के बाद जब मधु मंसूरी को मोबाइल  फोन बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। मधु ने सम्मान दिए जाने पर कहा कि यह आप सब झारखंडियों के प्यार का परिणाम है। संगीत के प्रति झुकाव के बारे में मधु कहते हैं कि प्रकृति ही सबसे बड़ी गुरु है। 

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रातू के सिमलिया में हुआ जन्म

चार सितंबर 1948 को रांची के सिमलिया में मधु मंसूरी का जन्म हुआ था। सीधे तीसरी कक्षा में गांव के स्कूल में उनका दाखिला हुआ था। मधु मंसूरी अपनी जीवन यात्रा के बारे में बताते है कि वह महज 18 माह के होंगे जब उनकी मां की मौत हो गई थी। ऐसे में पिता अब्दुल रहमान ने ही माता-पिता दोनों की भूमिका निभाई। मधु बताते हैं कि स्कूल में एक बार कोई केंद्रीय मंत्री आए थे तो उनके सम्मान में गीत गाया था। उससे खुश होकर उन्होंने निश्शुल्क शिक्षा देने की अनुशंसा की थी। उसके बाद से सिर्फ 12 रुपये सालाना गेम फीस ही लगती थी। मधु 10वीं तक ही पढ़ पाए उसके बाद घर गृहस्थी में लग गए। नौवीं क्लास में थे उसी दौरान उनका विवाह भी हो गया।

 

सीसीएल अफसर प्रफुल्ल कुमार राय ने नागपुरी में गाने को प्रेरित किया

मधु बताते हैं कि पहले पिता से ही संगीत सीखना शुरू किया था। पहले फिल्मी गीत और ङ्क्षहदी भाषा में गीत गाता था। सीसीएल के अधिकारी प्रफुल्ल कुमार राय ने 1978 में मुझे मातृभाषा नागपुरी में गाने को प्रेरित किया। 

रातू प्रखंड के उद्घाटन के मौके पर भी गाने का मौका मिला

मधु बताते हैं कि उनके जीवन का एक ना भूलनेवाला पल वो था जब 2 अगस्त 1956 को उन्हें रातू प्रखंड की स्थापना के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में गाने का मौका मिला था। 

झारखंड आंदोलन को परवान चढ़ानेवाले कलाकारों में शुमार 

झारखंड आंदोलन में राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ- साथ ही सांस्कृतिक कर्मियों का भी खासा योगदान रहा है। मधु मंसूरी इस आंदोलन के अग्रणी पंक्ति में शामिल कलाकार रहे हैं। झारखंड में खेती बाड़ी, पटना में खलिहान गीत झारखंड आंदोलन के दौरान काफी मशहूर हुआ था। 

1976 में आया पहला नागपुरी अलबम

मधु मंसूरी के नागपुरी गीतों का पहला एलबम दिल की अभिलाषा 1976 को रिलीज हुआ था। इसके बाद 1982 में आए एलबम नागपुर कर कोरा के गीतों ने तो नागपुरी गीतों की दुनिया में धूम मचा दी। 

पद्श्री रामदयाल मुंडा भी थे फैन

मधु मंसूर की सुरीली आवाज का जादू झारखंडवासियों के साथ सीमावर्ती बंगाल और ओडिशा के इलाके के लोगों पर भी चला है। मधु बताते हैं कि पद्श्री रामदयाल मुंडा भी उनसे काफी स्नेह रखते थे। वे अपने अंतिम दिनों में कहते थे कि तुम्हें चुप नहीं होना है, गाते रहना है।


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