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Jharkhand Assembly Special Session: खाली रही नेता प्रतिपक्ष की सीट, भाजपाई बोले- खरमास है

Jharkhand. कांके विधायक बोले रघुवर की कमी खली बाकी किसी ने नहीं लिया नाम। बाहर निकलकर हर भाजपा विधायक ने कहा चूड़ा-दही तक करें इंतजार।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 09:12 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 09:12 PM (IST)
Jharkhand Assembly Special Session: खाली रही नेता प्रतिपक्ष की सीट, भाजपाई बोले- खरमास है
Jharkhand Assembly Special Session: खाली रही नेता प्रतिपक्ष की सीट, भाजपाई बोले- खरमास है

रांची, राज्य ब्यूरो। विधानसभा में विपक्षी दल के नेता की सीट खाली रही और यही बात सभी को खली। सत्ता पक्ष जहां पूरी ताकत और संख्या के साथ मौजूद था वहीं विपक्ष का नेतृत्व करनेवाला ही कोई नहीं था। ऐसे में विधानसभा में शपथ लेकर निकलनेवाले भाजपा विधायकों से मीडिया का एक ही सवाल था - नेता प्रतिपक्ष कौन और कब तक। भाजपा के नेताओं ने भी पूरे अनुशासन के साथ खरमास की बात कही और चूड़ा-दही तक इंतजार करने का आग्रह किया।

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सभी की एक जैसी बातें बिलकुल पार्टी लाइन पर। इससे इतर कोई कुछ नहीं बोला लेकिन कांके विधायक इतना जरूर जोड़ गए कि विधानसभा में रघुवर दास की कमी खलेगी। शपथग्रहण कार्यक्रम के साथ ही भाजपा के मुखर विधायकों को पत्रकारों ने घेरा और सवाल शुरू हुए लेकिन जवाब एक ही था।

नेता प्रतिपक्ष पर फैसला खरमास के बाद होगा। राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा रही कि बाबूलाल मरांडी भाजपा में जा सकते हैं और ऐसे में खरमास तक रुकने की बात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि भाजपा विधायक बिरंची नारायण, अनंत ओझा आदि ने स्पष्ट किया कि खरमास के कारण ही नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं हो सका है।

सरयू ने कसा तंज, शपथ ग्रहण हो सकता है तो नेता का चयन क्यों नहीं

नेता प्रतिपक्ष का चयन नहीं होने पर सरयू राय ने तंज कसते हुए कहा कि अगर विधायक शपथ ले सकते हैं तो नेता प्रतिपक्ष का चयन भी हो सकता है। इसके साथ ही उन्होंने जोड़ा कि हिंदू धर्म में खरमास में भी कई काम होते रहे हैं और इसके लिए धर्म में उपाय भी हैं। नेता प्रतिपक्ष के नहीं होने से सदन में एक सूनापन देखने को मिला। मीडिया कर्मियों के बीच सरयू राय सबसे आकर्षण का केंद्र रहे।

उन्होंने कभी कोई हड़बड़ी भी नहीं दिखाई और सभी के प्रश्नों का जवाब भी दिया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि भाजपा को भरोसा था कि वह बहुमत में लौटेगी लेकिन उल्टा हो गया। पहली बार भाजपा सदन में सबसे बड़ी पार्टी तक नहीं बन सकी। उन्होंने कहा कि झामुमो का दायित्व है कि झारखंडी भाव के साथ सभी को साथ लेकर चले। कांग्रेस पर कहा कि अगर वह अपनी आदतों में सुधार कर ले तो यह सरकार बढिय़ा से चलेगी।


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