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दलालों का खेल समझिए, पहले फर्जी नाम पर बुक कर लिए स्लॉट, फिर रजिस्ट्री कराने के बदले ग्राहकों से पैसे वसूलने की लगाई जुगत

धनतेरस पर इस बार उम्मीद से कम जमीन-फ्लैटों की रजिस्ट्री हुई। मंगलवार को कचहरी चौक स्थित मुख्य रजिस्ट्री कार्यालय में महज 22 डीड की रजिस्ट्री हुई। कांके के मोरहाबादी स्थित ऑफिस में 16 डोरंडा शहरी में 20 ग्रामीण में 51 और बुंडू में सिर्फ 5 डीड की ही रजिस्ट्री हुई।

By Sanjay Kumar SinhaEdited By: Published: Wed, 03 Nov 2021 11:53 AM (IST)Updated: Wed, 03 Nov 2021 11:53 AM (IST)
दलालों का खेल समझिए, पहले फर्जी नाम पर बुक कर लिए स्लॉट, फिर रजिस्ट्री कराने के बदले ग्राहकों से पैसे वसूलने की लगाई जुगत
दीपावली से एक दिन पहले रजिस्ट्री कार्यालय में सुबह से ही जुटने लगे लोग।

रांची(जासं): धनतेरस पर इस बार उम्मीद से कम जमीन-फ्लैटों की रजिस्ट्री हुई। मंगलवार को कचहरी चौक स्थित मुख्य रजिस्ट्री कार्यालय में महज 22 डीड की रजिस्ट्री हुई। जबकि कांके अंचल के मोरहाबादी स्थित ऑफिस में 16, डोरंडा शहरी में 20, ग्रामीण में 51 और बुंडू में सिर्फ 5 डीड की ही रजिस्ट्री हुई। चारों ऑफिस को मिला ले तो आंकड़ा 114 तक आकर रुक गया। जबकि कचहरी चौक स्थित मुख्य रजिस्ट्री ऑफिस में प्रतिदिन रजिस्ट्री का स्लॉट 130 तय है और औसतन 60-65 डीड की रजिस्ट्री होती है।

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दरअसल, प्रत्येक ऑफिस निबंधन विभाग द्वारा स्लॉट तैयार किया गया है। स्लॉट से ज्यादा रजिस्ट्री नहीं हो सकती है। रजिस्ट्री से एक दिन पहले ही ऑनलाइन आवेदन करना होता है। कचहरी चौक स्थित मुख्य रजिस्ट्री ऑफिस में अधिकतम 130 डीड की रजिस्ट्री हो सकती है। धनतेरस में रजिस्ट्री कराने वालाें की संभावित भीड़ को देखते हुये रजिस्ट्री ऑफिस में सक्रिय दलालों ने अधिकतर स्लॉट फर्जी नाम से बुक करा लिये थे। वास्तविक ग्राहकों को स्लॉट मिला ही नहीं। मंगलवार को जब बुकिंग में दर्ज नाम बदलने के तीन-चार मामले आये तो अवर निबंधक ने इसे गंभीरता से लिया। छानबीन की तो पता चला कि रजिस्ट्री ऑफिस के कुछ कम्प्यूटर ऑपरेटरों से मिलीभगत कर दलालों ने फर्जी नाम पर बुकिंग करा ली है। इसपर अवर निबंधक ने तत्काल नाम बदलने से मना कर दिया।

अवर निबंधक से दलालों के मंसूबे हो गए फेल, ग्राहकों को नहीं लगा सके चूना : जानकारी के अनुसार दलाल एक डीड की रजिस्ट्री के बदले 15-20 हजार रुपये वसूलने की जुगत में थे। दलालों की मंशा थी कि स्लॉट बुक हाेने से जब वास्तविक ग्राहक निराश होंगे तो उनसे सौंदा किया जाएगा। स्लॉट में दर्ज नाम बदलकर रजिस्ट्री करवा दी जाएगी और इसके बदले में मनमाफिक रकम वसूला जाएगा। अवर निबंधक की सख्ती से यह खेल पूरा नहीं हो सका।


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