एक मैसेज और घंटेभर में मनपसंद किताब की होम डिलीवरी, रांची में दो दोस्तों ने शुरू किया 'वन टच बुक'
Jharkhand News रांची के दो दोस्तों ने नया स्टार्ट-अप वन टच बुक शुरू किया है। इस स्टार्ट अप को कम समय में ही काफी ज्यादा पसंद किया जाने लगा है। विश्वजीत के साथ उनके दोस्त साकेत भारती भी इसमें जुटे हैं।
रांची, [मधुरेश]। कोरोना संक्रमण के कारण उपजे लाॅकडाउन और वायरस के खतरे ने ऑनलाइन बिजनेस को काफी बढ़ावा दिया है। लोग घर बैठे खाना और कपड़ा ऑर्डर कर रहे हैं। मगर अब रांची में ऑनलाइन किताब ऑर्डर करने का भी ट्रेंड शुरू हो चुका है। बस एक मैसेज से आपको घर बैठे आपके पसंद की किताब एक घंटे में मिल जाएगी। यह नया स्टार्ट-अप केवल 20 वर्ष के विश्वजीत सिंह ने शुरू किया है। विश्वजीत ने यह बिजनेस पिछले सितंबर मे वन टच बुक के नाम से शुरू किया था।
इस स्टार्ट अप को कम समय में काफी ज्यादा पसंद किया जाने लगा है। विश्वजीत के साथ उनके दोस्त साकेत भारती भी जुटे हैं जो कंपनी में फाइनेंस के बैकबोन की तरह काम कर रहे हैं। पिछले एक वर्ष में अपने बेहतरीन कार्य के लिए कई प्रतिष्ठित संस्थाओं से वन टच बुक को बेस्ट स्टार्ट अप अवार्ड से सम्मानित किया गया है। कंपनी के द्वारा बीते एक वर्ष में 70 हजार से ज्यादा किताबों की होम डिलीवरी ऑन रिकाॅर्ड की जा चुकी है।
लोगों की परेशानी देख मिला आइडिया
विश्वजीत बताते हैं कि उन्हें अपने इस स्टार्टअप का आइडिया अपर बाजार में किताब की दुकान में भीड़ को देखकर आया। उन्होंने बताया कि जब वे काॅलेज में थे तो कई बार ऐसा होता था कि एक किताब के लिए पूरा शहर घूमना पड़ता था। इसके बाद भी किताब नहीं मिलती थी। दुकानदार उसे मंगवाने में कई दिनों का वक्त ले लेते थे। ऐसे में उन्होंने ऑनलाइन किताब दुकान के आइडिया पर काम करना शुरू किया।
ऑनलाइन या वाट्सएप पर कर सकते हैं ऑर्डर
ऑनलाइन किताब दुकान के लिए ग्राहक को वन टच बुक की साइट पर जाकर एक फार्म भरना होता है। इसके बाद कंपनी के लोग उनसे खुद संपर्क करते हैं। वहीं ग्राहक चाहे तो इंस्टाग्राम या वाट्सएप पर भी अपने किताब का ऑर्डर दे सकते हैं। कंपनी के लोग उस दुकान से संपर्क करते हैं जहां आपकी किताब सबसे सस्ती उपलब्ध हो। इसके बाद वह ऑर्डर कंफर्म होने के एक घंटे के अंदर अपने मेन ऑफिस अरगोड़ा के 15 किमी के दायरे में किताब पहुंचा देते हैं।
पांच हजार में शुरू किया स्टार्ट अप, अब कमा रहे लाखों
विश्वजीत बताते हैं कि स्टार्ट अप शुरू करने के लिए उनके पास काफी बड़ी रकम नहीं थी। ऐसे में उन्होंने केवल पांच हजार रुपये में काम शुरू किया। सबसे पहले एक डोमेन लेकर साइट बनाई। इसके बाद उन्होंने रांची के सारे किताब दुकानदारों से संपर्क कर उन्हें एक प्लेटफार्म पर लेकर आए। इससे किताब की उपलब्धता पता करने और सबसे सस्ते दाम में किताब उपलब्ध कराने में मदद मिली। शुरू में उन्होंने अपने दोस्त के साथ मिलकर खुद किताब डिलीवरी करना शुरू किया। अब उनके एक दूसरे दोस्त रामनाथ मुंडा ऑपरेशन का सारा काम देखते हैं। इसके अलावा कृष्णा मेहता और अमन बर्निवाल भी अब उनकी मदद कर रहे हैं।