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झारखंड के गढ़वा में PPE किट के इंतजार में 30 घंटे तक घर में पड़ा रहा वृद्ध का शव

झारखंड के गढ़वा जिले के भंडरिया में एक ही परिवार में 24 घंटे के भीतर चाचा-भतीजा की मौत से ग्रामीणों में डर का माहौल है। इनकी मौत कोरोना से होने के भय से उनके स्वजन एवं ग्रामीणों ने पीपीई किट नहीं मिलने से अंतिम संस्कार से दूरी बनाए रखा।

By Vikram GiriEdited By: Published: Fri, 21 May 2021 02:50 PM (IST)Updated: Fri, 21 May 2021 02:50 PM (IST)
झारखंड के गढ़वा में PPE किट के इंतजार में 30 घंटे तक घर में पड़ा रहा वृद्ध का शव
झारखंड के गढ़वा में PPE किट के इंतजार में 30 घंटे तक घर में पड़ा रहा वृद्ध का शव। जागरण

भंडरिया (गढ़वा), संसू । झारखंड के गढ़वा जिले के भंडरिया में एक ही परिवार में 24 घंटे के भीतर चाचा-भतीजा की मौत से ग्रामीणों में डर का माहौल है। इनकी मौत कोरोना से होने के भय से उनके स्वजन एवं ग्रामीणों ने पीपीई किट नहीं मिलने से अंतिम संस्कार से दूरी बनाए रखा। इसका नतीजा रहा कि 65 वर्षीय बंधु सिंह का शव पीपीई किट के अभाव में 30 घंटे तक अंतिम संस्कार के लिए रखा रहा।

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दरअसल, बीते मंगलवार को 42 वर्षीय दरोगा सिंह पिता जटा सिंह की मौत हो गई। अंतिम संस्कार के पश्चात घर में मायूसी थी कि बुधवार को उनके चाचा बंधु सिंह की भी मौत हो गई। घर में वृद्ध बंधु सिंह व उनकी पत्नी ही रहते थे। उनकी कोई संतान साथ में नही हैं, वहीं अन्य रिश्तेदार भी बीमार हैं।

ग्रामीणों की मुतबाकि प्रखंड मुख्यालय भंडरिया स्थित भीतर भंडरिया एवं जोगियामठ टोले में कोरोना का प्रकोप ज्यादातर घरों तक फैल गया है। हर दूसरे घर में सर्दी, खांसी व बुखार के मरीज हैं। मरीजों की माने तो अस्पताल में जाने पर कोई ध्यान नहीं देता, कुछ लोग कोरोना जांच करा भी लें तो रिपोर्ट आने में दस दिन से ज्यादा समय लग जाता है। तब तक मरीज को कोई दवा नहीं मिलती। दोबारा जाने पर भी रिपोर्ट नहीं मिलती है। ऐसी स्थिति में बीमारी बढ़ जाती है। ग्रामीणों की मानें तो झोलाछाप डाक्टर के हाथों सभी इलाज कराने को मजबूर हैं।

इधर, इनकी मौत के बाद गांव में सूचना देने के बावजूद कोरोना के भय से अंतिम संस्कार के लिए कोई सामने नहीं आया। पत्नी अकेले 24 घंटे से शव का देखभाल कर रही थी। स्थानीय लोगों ने सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. विजय किशोर रजक को इसकी सूचना दी। उन्होंने पीपीई किट की अनुपलब्धता बता अंतिम संस्कार के लिए भी पीपीई किट देने से इंकार कर दिया। ग्रामीणों का आरोप है कि आपदा के काल में अस्पताल से जुड़े लोगों के परिवार वालों का मृत्यु होने पर दर्जनों पीपीई किट तत्काल मुहैया हो जा रहा है।

लेकिन गरीब की मौत होने पर अस्पताल से पीपीई किट नहीं मिल पाता। उक्त घटना की सूचना पाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला कार्यवाह नितेश कुमार, समाजसेवी सतीश सिन्हा, देवानंद कुमार व संजय केशरी द्वारा संयुक्त रूप से पहल करते हुए अंतिम संस्कार के लिए स्थानीय लोगों को तैयार किया गया। साथ ही गढ़वा के युवा समाजसेवी विवेक तिवारी से संपर्क कर सदर अस्पताल से पीपीई किट, मास्क, गलब्स सहित अन्य सामग्री की व्यवस्था कराया गया। इसके बाद बंधु का अंतिम संस्कार गुरुवार को हो सका। भंडरिया के सांसद प्रतिनिधि रूप निरंजन सिन्हा ने चिकित्सक से बात कर पीपीई किट के लिए कहा, किन्तु डा. विजय रजक ने सीएचसी में पीपीइ्र किट आवश्यक से अधिक नहीं होने की बात कह किट देने से इनकार कर दिया। गढ़वा से पीपीई किट आने के पश्चात 30 घंटे बीतने पर शव का अंतिम संस्कार कराया गया। जिसमें गऊंवा विशेश्वर मांझी, बावन सिंह, विजय सिंह, सूर्यदेव सिंह आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

हमें जिला से गिनती कर ही पीपीई किट मुहैया कराया जाता है। प्रखंड में सीएसची के अलावा तीन अन्य सेंटरों पर कोरोना का टेस्ट किया जा रहा है। ऐसे में पीपीई किट हमें ही कम पड़ जा रही है। - डा. विजय रजक, प्रभारी, सीएचसी भंडरिया।


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