अफसरों ने रद खनन पट्टे पर दे दी माइनिंग की अनुमति, सरयू राय बोले- चुप नहीं बैठेंगे
Jharkhand News Saryu Roy विधायक सरयू राय पहले भी खनन क्षेत्र में अनियमितताओं की ओर सरकार का ध्यान दिलाते रहे हैं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के कार्यकाल में हुए घोटालों पर पुस्तक समेत लौह अयस्क घोटाले को भी कलमबद्ध किया है।
रांची, [प्रदीप सिंह]। झारखंड में खनन क्षेत्र में अनियमितताओं की लंबी फेहरिश्त है। इसके लिए सबसे अधिक सुर्खियों में पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का कार्यकाल रहा है। अनियमितताओं के आरोप में उन्हें कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ा। इसे उजागर करने वाले विधायक सरयू राय ने उनके कार्यकाल की तमाम अनियमितताओं पर एक किताब तक लिख डाली। खनन क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों की कारगुजारियों को भी उन्होंने उजागर किया है।
इसका नतीजा यह हुआ कि कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई और कंपनियों के खनन पट्टे तक रद हुए। लौह अयस्क घोटालों पर रहबर की राहजनी नामक उनकी पुस्तक भी चर्चा में रही। लौह अयस्क के खनन से जुड़ा एक और विवाद सतह पर आया है। सरयू राय ने इसे लेकर कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि पूरे प्रकरण को लेकर वे अदालत की चौखट पर जाएंगे।
रद खनन पट्टा से दे दी खनन की अनुमति
सरयू राय का कहना है कि लौह अयस्क खनन करने वाली कंपनी शाह ब्रदर्श को रद खनन पट्टा से खनन की अनुमति अधिकारियों ने दे दी है। पट्टा देने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो वे कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है, जब बिना किसी सक्षम पदाधिकारी के आदेश के पश्चिमी सिंहभूम जिले के जिला खनन पदाधिकारी ने खनन पट्टा रद हो चुके खदान से लौह अयस्क भंडार को बेचने के लिए चालान दे दिया।
सारंडा वन प्रमंडल के वन पदाधिकारी ने भी इस लौह अयस्क के परिवहन के लिए अपने स्तर से परमिट जारी कर दिया। उन्होंने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी की है। अगर शाह ब्रदर्श को खनन की अनुमति रद नहीं हुई और अनुमति देने वाले पदाधिकारियों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई नहीं हुई तो इस पूरे मामले को लेकर भारत सरकार से लेकर हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे, लेकिन चुप नहीं बैठेंगे।
पदाधिकारियों का कृत्य आपराधिक
विधायक सरयू राय ने यह आरोप लगाया है कि लौह अयस्क खनन करने वाली कंपनी शाह ब्रदर्श ने अदालत को भी गुमराह किया है। उनके लौह अयस्क खदान के लीज को राज्य सरकार ने रद कर दिया था। इसके बाद शाह ब्रदर्श ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए सरकार के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच से याचिका खारिज हो गई थी।
इसके बाद शाह ब्रदर्श डबल बेंच में गए थे, जहां मामला लंबित है। इसके बाद शाह ब्रदर्स ने माइनिंग ट्रिब्यूनल का भी दरवाजा खटखटाया था, लेकिन वहां भी राहत नहीं मिली। अंत में शाह ब्रदर्स ने फिर से सिंगल बेंच को गुमराह करते हुए खनन के लिए राहत ले ली है, जिसके विरुद्ध सरकार को पुख्ता दस्तावेज के साथ अपना पक्ष रखना चाहिए। पदाधिकारियों ने जो कृत्य किया है, वह आपराधिक श्रेणी का है। दोनों को निलंबित किया जाना चाहिए और उन पर प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए।