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रात गहराते ही राजधानी रांची के थानों में होता है यह नजारा, जानकर आप हो जाएंगे हैरान

राजधानी रांची का आलम यह है क‍ि रात में कहीं थाने में एक भी पुलिस कर्मी नहीं म‍िलते तो कहीं एक सिपाही के भरोसे थाना होता है। शुक्रवार रात दैन‍िक जागरण ने राजधानी के थानों की पड़ताल की। इस दौरान थानों की सजगता की पोल खुलती नजर आई।

By M EkhlaqueEdited By: Published: Sun, 12 Dec 2021 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 12 Dec 2021 06:00 AM (IST)
रात गहराते ही राजधानी रांची के थानों में होता है यह नजारा, जानकर आप हो जाएंगे हैरान
रांची ज‍िले के सदर थाना में रात को सो रहा जवान। जागरण

रांची, (संजय सिन्हा/नीलमणि चौधरी) : रांची पुलिस 24 घंटे आपकी सेवा में तत्पर है। यह हकीकत नहीं बल्कि स्लोगन भर है। स्थिति इसके बिलकुल उलट है। यह हम नहीं कह रहे कि बल्कि राजधानी के थाने खुद अपनी यही स्थिति बयां कर हैं। यहां के थानों में रात होते ही ओडी अफसर गायब हो जाते हैं। थाने में मोजूद पुलिस कर्मी भी नींद में डूबे रहते हैं। ऐसे में अगर अचानक कोई घटना घट जाए तो कोई पूछने वाला नहीं है।

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ओडी अफसर के मिलने की तो गुंजाइश ही नहीं

रात में सड़क के साथ थानों में भी सन्नाटा पसर जाता है। किसी थाने में खोजने से भी पुलिसकर्मी नहीं मिलते तो कोई थाना महज एक-दो सिपाही के भरोसे रहता है। रात के समय थाने में ओडी अफसर के मिलने की तो गुंजाइश ही नहीं है। रात गहराती है तो साहब अपने घर चले जाते हैं। ऐसे में अगर कोई पीडि़त थाना पहुंचता है तो सवेरे आकर अपनी समस्या बताने को कहा जाता है। ऐसे में शायद थाने में रखे सरकारी माल-असबाब भी सुरक्षित नहीं। शुक्रवार की रात 12 बजे से दो बजे के बीच दैनिक जागरण की टीम ने शहर की सुरक्षा व्यवस्था और थानों की पड़ताल की। कुछ थानों में तो कोई था ही नहीं।

रात 12.40 बजे चुटिया थाना

चुटिया थाना का मुख्य गेट खुला हुआ था। प्राथमिकी दर्ज होने वाले कमरे में एक दो पुलिस कर्मी मौजूद थे। जागरण की टीम के अंदर प्रवेश करते ही पुलिस कर्मी चौकन्ने हो जाते हैं। थाने आने का कारण पूछते हैं। तसल्ली होने के बाद पुलिस कर्मी फिर अपने काम में जुट जाते हैं। हालांकि, थाने के प्रवेश द्वार पर कोई भी सुरक्षा कर्मी तैनात नहीं था।

रात 1.8 बजे डोरंडा थाना

थाने के आसपास सड़क पर पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ था। थाना का मुख्य गेट बंद मिला। कुछ प्रयास के बाद गेट खुला। इसके बाद कैमरा मैन के साथ टीम थाने के भवन पहुंचे। थाने में जहां ओडी अफसर बैठते हैं वहां एक सिपाही आराम कर रहे थे। ओडी अफसर और अन्य अधिकारी के बारे में पूछने पर बताते हैं कि एक घंटा पहले ही ओडी अफसर चले गए। कुछ कर्मी गश्ती पर निकले हैं। कुछ काम हो तो कल आइयेगा। आज अब कुछ नहीं होगा।

रात 1.36 बजे ह‍िंदपीढ़ी थाना

ह‍िंंदपीढ़ी थाना को संवेदनशील इलाका माना जाता है। इलाके में अधिकतर आपराधिक घटनाएं घटती रहती हैं। टीम जब थाने पहुंची तो गेट पर एक सिपाही कुर्सी पर आराम की मुद्रा में थे। वही थाना संभाल रहे थे। ओडी अफसर और बाकी अधिकारी के बारे में पूछने पर ठीक से कुछ भी नहीं बता पाए। सिर्फ इतना ही कहा कि फिलहाल तो हम ही थाने में हैं। अंदर के एक खंडहरनुमा कमरे में किसी केस के सिलसिले में पूछताछ के लिए एक युवक को बैठाया गया था। बाहर से कमरे की सिटकिनी लगाई गई थी। ताकि वो भाग न जाए। जर्जर भवन की ओर इशारा करते हुए सिपाही बताते हैं। यहां आराम भी कैसे करें, कब छत गिर जाए पता नहीं। ऐसे में रात के समय कोई यहां नहीं रुकता है।

रात 1.50 बजे कोतवाली थाना

शहर के बीचोबीच स्थित कोतवाली थाना राजधानी के प्रमुख थाना में से एक है। अपर बाजार के पूरे व्यापारिक इलाके की सुरक्षा की जिम्मेदारी कोतवाली थाना पुलिस पर होती है। हालांकि, कोतवाली थाना की स्थिति खुद भगवान भरोसे है। थाना के भवन का प्रवेश द्वार बंद था। अंदर हॉल की लाइट कटी हुई थी। ओडी अफसर के कमरे के अलावा थाने के तमाम कमरे खुले हुए थे। इस समय अगर कोई पुलिस से मदद मांगने कोतवाली थाने जाते तो उन्हें निराशा ही हाथ लगती। जागरण की टीम थाने की चहलकदमी कर बाहर निकल गई। लेकिन, एक भी पुलिस कर्मी नहीं मिले। ऐसे में कोई फाइल या फिर हथियार ही लेकर चलता बने तो कोई बड़ी बात नहीं।

रात 2.01 बजे लालपुर थाना

पड़ताल के दौरान लालपुर थाने में एक एएसआइ और एक सिपाही आराम करते मिले। प्रवेश करते ही एक सिपाही ने टोका क्या बात है। कहां से आए हैं। टीम ने ओडी अफसर से मिलने की बात बताई तो सिपाही दौड़ कर अंदर गए। अंदर आराम कर रहे एएसआई को जगाया। अपना नाम उमेश ङ्क्षसह बताने वाले एएसआइ ने कहा कि ओडी अफसर की जिम्मेदारी आज उन्हीं की है। रात में थाने में सिर्फ दो कर्मी ही हैं। यह पूछने पर उन्होंने बताया कि बाकी कर्मी फील्ड में गश्त कर रहे हैं।

रात 2.11 बजे सदर थाना

सदर थाना के पूरे परिसर में घूम लेने के बाद भी एक भी पुलिस कर्मी नहीं दिखे। काफी खोजबीन करने के बाद प्राथमिकी दर्ज करने वाले कमरे में टेबुल पर एक पुलिसकर्मी कंबल ओढ़े सो रहे थे। आगंतुक कक्ष खुला हुआ था। जागरण की टीम करीब 10 मिनट तक थाने में परिसर में टहलती रही लेकिन अंदर सो रहे पुलिसकर्मी की नींद नहीं खुली। हां, परिसर में तीन-चार कुत्ता जरूर रखवाली करता मिला।


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