झारखंड: नियोजन नीति के तहत सभी नई नियुक्तियों पर हाई कोर्ट की रोक Ranchi News
Jharkhand. सोनी कुमारी ने हाई स्कूल नियुक्ति मामले में नियोजन नीति को चुनौती दी है। नियोजन नीति में सरकार ने 13 अनुसूचित जिला और 11 गैर अनुसूचित जिला घोषित किया है।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एचसी मिश्र व जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में बुधवार को नियोजन नीति के तहत हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति सहित नियोजन नीति के तहत हो रही नियुक्ति की प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि नियोजन नीति के तहत 13 जिलों में शत-प्रतिशत पद आरक्षित करना असंवैधानिक प्रतीत हो रहा है, इसलिए इसकी सुनवाई लार्जर बेंच (संवैधानिक बेंच) में की जाएगी।
अदालत ने अगली सुनवाई के लिए चार नवंबर की तिथि निर्धारित की है। हालांकि इस आदेश से हाई स्कूल शिक्षकों की अबतक हो चुकी नियुक्ति प्रभावित नहीं होगी। हाई स्कूल शिक्षकों के लिए 17,572 पदों पर नियुक्ति होनी थी। इसमें से करीब 12 हजार पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति हो गई है। शेष पदों में से या तो रिक्त रह गए हैं या फिर कई विषयों में नियुक्ति नहीं हो पाई है। कई विषयों में नियुक्ति की अनुशंसा के बावजूद नियुक्ति नहीं हो पाई है। इन सभी पर रोक रहेगी। वहीं, प्राथमिक शिक्षकों के लिए आरक्षित पदों में से रिक्त पदों पर सीधी नियुक्ति की प्रक्रिया भी इस आदेश से प्रभावित होगी।
पांचवीं सूची में राज्यपाल को अधिकार
सुनवाई के दौरान सरकारी अधिवक्ता प्रशांत पल्लव ने अदालत को बताया कि संविधान की पांचवी अनुसूची और अनुच्छेद 244 के प्रावधानों के तहत राज्यपाल को ऐसा करने का अधिकार प्राप्त है। इसी के तहत ऐसा किया गया है। इस नीति पर राष्ट्रपति की भी सहमति प्राप्त है। जबकि प्रार्थी का कहना था कि ऐसा सिर्फ संसद ही कर सकती है। इधर, महाधिवक्ता अजीत कुमार ने कहा कि सरकार का निर्णय पूरी तरह से संविधान के दायरे में है एवं अदालत के आदेश की प्रति मिलते ही सरकार के स्तर पर उचित निर्णय लेते हुए हाई कोर्ट में रोक हटाने की याचिका दाखिल की जा सकती है।
नियोजन नीति को दी गई है चुनौती
इस संबंध में सोनी कुमारी ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति के लिए जारी विज्ञापन 21/2016 को चुनौती दी गई है। नियोजन नीति के तहत इस विज्ञापन में एक शर्त लगाई गई है कि राज्य के 11 गैर अनुसूचित जिलों के अभ्यर्थी 13 अनुसूचित जिलों में होने वाली नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं दे सकते हैं। प्रार्थी का कहना है कि किसी भी जिले में शत-प्रतिशत पदों को आरक्षित नहीं किया जा सकता है, यह असंवैधानिक है। इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने दिसंबर 2018 में इस मामले को खंडपीठ में स्थानांतरित कर दिया था।
यह है पूरा मामला
दरअसल नियोजन नीति के तहत राज्य सरकार की ओर से 14 जुलाई 2016 को एक अधिसूचना जारी की गई जिसमें राज्य के अधिसूचित 13 जिलों में होने वाली तृतीय और चतुर्थ वर्गीय नियुक्ति आगामी दस साल के लिए स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित रखने का प्रावधान किया गया। उक्त जिलों के निवासियों के पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ऐसा प्रावधान बनाया। हालांकि राज्य सरकार ने अब सभी जिलों के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों को स्थानीय निवासियों के लिए लॉक कर दिया है।