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ये बेफिक्री का धुआं, पड़ेगा बेहद महंगा

राची धूमपान और तंबाकू दोनों जानलेवा है। दोनों के पैकेट में बड़े अक्षर

By JagranEdited By: Published: Sat, 30 May 2020 10:42 PM (IST)Updated: Sat, 30 May 2020 10:42 PM (IST)
ये बेफिक्री का धुआं, पड़ेगा बेहद महंगा
ये बेफिक्री का धुआं, पड़ेगा बेहद महंगा

जागरण संवाददाता, राची : धूमपान और तंबाकू दोनों जानलेवा है। दोनों के पैकेट में बड़े अक्षरों में लिखा होता है कि यह जानलेवा है बावजूद खरीदने वालों की कतार दुकानों में खत्म नहीं होती। लोग बड़े बेफिक्र होकर सिगरेट, बीड़ी और हुक्के का कश लगाते हैं लेकिन ये लापरवाही स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदेह होती है। कई बार तो यह कैंसर जैसी बीमारी में तब्दील हो जान भी ले लेती है। हर साल 31 मई को इन्हीं पदार्थो का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए विश्व स्तर पर धूमपान व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दौरान अलग-अलग अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों, तम्बाकू निषेध केंद्रों, सरकारी कार्यालयों आदि में यह दिवस विशेष रूप से मनाया जाता है। निकोटिन हृदय, फेफड़े, पेट के साथ-साथ तंत्रिका तंत्र के लिए भी खतरनाक तंबाकू सेवन से होने वाले नुकसान के बारे रिम्स की दंत रोग विशेषज्ञ डॉ अर्पिता रॉय बताती हैं कि तम्बाकू का सेवन सिर्फ और सिर्फ दुष्परिणाम लाता है। तंबाकू में अत्यधिक नशे की आदत का कारण निकोटीन नामक पदार्थ होता है। निकोटीन आपको कुछ समय के लिए अच्छा महसूस कराता हैं, लेकिन इसका लंबे समय तक उपयोग, आपके हृदय, फेफड़े और पेट के साथ-साथ आपके तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित करता हैं। इसका लंबे समय तक प्रयोग करने से खांसी और गले में परेशानी होना, धब्बेदार त्वचा, दातों का रंग खराब (दातों का पीलापन) होना आदि है।

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उन्होंने बताया कि एक अवधि के बाद, व्यक्ति का शरीर, शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर निकोटीन का आदी हो जाता है तथा अंत में व्यक्ति गंभीर स्वास्थ्यगत समस्याओं से पीड़ित हो जाता है। तंबाकू में हजारों तरह के रासायनिक तत्व या केमिकल्स होते हैं। इसमें से कई तत्व कैंसर का कारण बनते हैं। तंबाकू का सेवन सबसे ज्यादा मुंह के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है। मुंह के कैंसर के आकड़े 5 साल में 114 फीसद बढ़े डॉ अर्पिता ने बताया कि ओरल कैंसर (मुंह का कैंसर) एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। भारत में एक तिहाई कैंसर का बोझ ओरल कैंसर का है। दिल से जुड़ी समस्या के बाद कैंसर मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। ग्लोबो केन 2019 के अनुसार, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर, लिप एंड ओरल कैविटी कैंसर के लिए या 10.4 फीसद हिस्सा है। यह सबसे ज्यादा प्रभाव पुरुषों में डालता है। जिसके बाद उन्हें फेफड़े का कैंसर होता है। महिलाओं में स्तन कैंसर गर्भाशय ग्रीवा और अंडाशय कैंसर सबसे आम है। भारत में मुंह के कैंसर में 5 साल में 114 फीसद वृद्धि हुई है। 2012 में जहा 56000 मामले थे, वे 2018 में बढ़कर 119992 तक पहुंच चुके हैं। इसका मुख्य कारण पान मसाला और गुटका जैसे पैक्ड तंबाकू का सेवन है। वहीं झारखंड राज्य की बात करें तो रिम्स के डेंटल और ओंकॉलजी विभाग में हर महीने 200 से 250 मरीज सिर्फ मुंह के कैंसर से पीड़ित पहुंचते हैं।

इन संकेतों को पहचानकर आप कैंसर की बीमारी का प्रारंभिक स्टेज में ही पता लगा सकते हैं लगातार सास फूलना

कई बार ऐसा होता है कि बिना किसी थकान के या जरा सा चलने से ही सास फूलने लगती है, अगर आपके साथ ऐसा कुछ हो तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें। क्योंकि सामान्यत: ज्यादा तेज दौड़ने या चलने से ही सास फूलती है। भूख कम लगना

भूख न लगने की वजह ज्यादातर पाचन तंत्र का खराब होना होता है। अगर आपको पाचन संबंधी कोई परेशानी है और भूख नहीं लग रहीं है तो ये कुछ दिनों में ठीक हो जाता है। लेकिन अगर आपके साथ ये समस्या लंबे समय से है तो जरूरत है कि आप किसी डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि ये समस्या कैंसर के शुरुआती लक्षणों में से एक हो सकती है। लगातार खून बहना

आपको अगर कभी शौच के रास्ते या फिर खासते या थूकते समय ब्लीडिंग हो जाए तो तुरंत ही किसी अच्छे डॉक्टर से सम्पर्क करें। चाहे ये लक्षण कैंसर का ना भी हो लेकिन शरीर में किसी न किसी बीमारी का संकेत तो है ही। घाव का ठीक न होना

डायबिटीज के मरीजों के साथ होता है कि यदि उनके शरीर में कोई घाव हो जाए तो वह जल्दी ठीक नहीं होता। लेकिन अगर आपको शुगर की बीमारी नहीं है और कहीं पर चोट लगने पर वो ठीक होने का नाम नहीं ले रही है तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें। क्योंकि यहीं छोटी-छोटी लापरवाहिया आगे चलकर बड़ी परेशानी का कारण बनती हैं।

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मुंह के कैंसर से बचने के लिए फेफड़े जला रहे लोग

मुंह को कैंसर से बचने के लिए लोग अब अपना फेंफड़ा जला रहे हैं। यह कैंसर पीड़ितों और बाजार के तंबाकू के कारोबार के आकड़े का कहना है। औसतन प्रतिमाह रिम्स में 40 से 42 मरीज आते हैं जिसमें 26 फेंफड़े के कैंसर तो 18 में मुंह का कैंसर के मरीज हैं। बाजार भी कहता है कि गुटखा की अपेक्षा लोग सिगरेट का सेवन अधिक करने लगे हैं। शहर में पिछले दो साल में सिगरेट का कारोबार 33 प्रतिशत बढ़ा है जबकि गुटखा का 30 प्रतिशत घटा है।

रिनपास पूर्व चिकित्सक डॉ एके नाग के अनुसार तंबाकू का सेवन युवाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचाता है। दरअसल तंबाकू एक मीठा और धीमा जहर है। पहले उनके पास जो मरीज आते थे उनकी उम्र 40 से 60 के बीच की होती थी। लेकिन अब तंबाकू से ग्रसित युवाओं की संख्या बढ़ रही है। चिकित्सकों के पास आने वाले मरीजों में अवसाद के शिकार लोगों में 40 प्रतिशत ऐसे मरीज हैं जो तंबाकू का अत्याधिक सेवन करते हैं। खर्चीला जहर

शहर के ज्यादातर लोग रोजाना कम से कम 30 रुपये किसी ना किसी तंबाकू के सेवन पर इस्तेमाल करते हैं। यानी हर महीने 900 रुपये तथा साल में 10,000 रुपये उनका खर्च तंबाकू पर होता है। दुकानों पर अड्डेबाजी करते हुए तंबाकू का सेवन करने वाले 20 ले 25 की उम्र वाले ज्यादा हैं। सिगरेट का कारोबार बढ़ा है

सिगरेट पीने वालों की संख्या पिछले दो साल में बढ़ी है। विशेष तौर पर प्रीमियम सिगरेट पीने वाले बढ़े हैं। पहले 50 बंडल सिगरेट का कारोबार प्रतिदिन का था जो बढ़कर अब 80 पर आ गया है। शहर में आठ प्रीमियम और लगभग 150 दूसरे प्रकार के सिगरेट बाजार में हैं। शहर में सिगरेट के लगभग 150 थोक कारोबारी हैं। औसतन ये प्रतिदिन 80 बंडल सिगरेट बेचते हैं। एक बंडल में 50 पैकेट होता है। घट रहा है गुटखा का धंधा

पिछले दो साल में शहर में गुटखा का कारोबार घटा है। एक थोक कारोबारी पहले 300 बंडल प्रतिदिन बेचता था जो घटकर 100 पर आ गया है। सात प्रीमियम और 14 दूसरे दर्जे का गुटखा बाजार में है। इसके अलावा शहर या अन्य स्थानों से नन ब्राडेड लगभग 50 तरह के गुटखे यहा बिकते हैं। खैनी की खपत ज्यादा

पहले की अपेक्षा शहर में पैकेट वाली खैनी का बाजार गिरा है। पत्ते वाली खैनी लोग ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। वैसे बाजार में पैकेट वाली खैनी 10 प्रकार की हैं। एक थोक कारोबार प्रतिदिन 50 पैकेट बेचता है।


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