ज्रेडा के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर प्राथमिकी के लिए एक माह बाद भी आदेश नहीं
रांची सरकारी नियमों को ताक पर रखकर नौकरी करने सरकारी खातों से 170 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान करने सहित कई गंभीर मामलों में फंसे ज्रेडा (झारखंड रिन्यूएबल इनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर एसीबी में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी है।
रांची : सरकारी नियमों को ताक पर रखकर नौकरी करने, सरकारी खातों से 170 करोड़ से अधिक की राशि का भुगतान करने सहित कई गंभीर मामलों में फंसे ज्रेडा (झारखंड रिन्यूएबल इनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) के पूर्व निदेशक निरंजन कुमार पर एसीबी में अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी है। इसकी मुख्य वजह यह है कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट सौंपने के एक महीने के बाद भी मंत्रिमंडल सचिवालय सह निगरानी विभाग ने प्राथमिकी की अनुमति नहीं दी। प्रारंभिक जांच की फाइल विभाग में पड़ी हुई है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर ही राज्य सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को पूरे मामले में प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज कर जांच का आदेश दिया गया था। एसीबी ने प्रारंभिक जांच में निरंजन कुमार के विरुद्ध लगे आरोपों को सत्य पाया और राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज करने संबंधित अनुमति के लिए भी विभाग को लिखा था। अब तक एसीबी को इससे संबंधित आदेश नहीं मिल सका है।
निरंजन कुमार भारतीय डाक-तार लेखा एवं वित्त सेवा के वरीय पदाधिकारी हैं। जांच में पता चला था कि निरंजन कुमार ने जाली बैंक गारंटी के बावजूद हैदराबाद की कंपनी को गलत तरीके से टेंडर दिया और उस फाइल को दबाए रखा। वर्ष 2019 में जब नए डायरेक्टर अशोक कुमार ने पदभार ग्रहण किया, तो इसका खुलासा हुआ। इसके बाद रांची के डोरंडा थाने में कंपनी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई। इतना ही नहीं, जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ कि ज्रेडा के लिए कोई आइएएस, आइएफएस या टेक्निकल अफसर ही निदेशक बनने योग्य है, इसके बावजूद निरंजन कुमार बिना योग्यता के पहले निदेशक बने।
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