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झारखंड में गैर अनुसूचित जिलों में हो सकेगी शिक्षकों की नियुक्ति, पढ़ें सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Teachers Recruitment Jharkhand News शीर्ष कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा गया कि राज्य के 11 गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति पर कोई रोक नहीं है और न ही सुप्रीम कोर्ट में इससे संबंधित कोई मामला सुनवाई के लिए लंबित है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 10 Jul 2021 03:44 PM (IST)Updated: Sat, 10 Jul 2021 03:48 PM (IST)
Teachers Recruitment, Jharkhand News शीर्ष कोर्ट में कहा गया कि अब इससे संबंधित कोई मामला लंबित नहीं है।

रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड के 11 गैर अनुसूचित जिलों में होने वाली शिक्षक नियुक्ति के अभ्यर्थियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस नवीन सिन्हा और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि राज्य के 11 गैर अनुसूचित जिलों की नियुक्ति पर कोई रोक नहीं है और न ही सुप्रीम कोर्ट में इससे संबंधित कोई मामला सुनवाई के लिए लंबित है। अदालत ने कहा कि प्रार्थी हाई कोर्ट में संशोधित आदेश के लिए याचिका दाखिल करें।

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दरअसल, हाई कोर्ट की एकल पीठ ने इस मामले में यह कहते हुए सुनवाई बाद में निर्धारित की है, कि इससे संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुनवाई के दौरान अभ्यर्थियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट की वृहद पीठ ने गैर अनुसूचित जिलों में होने वाली नियुक्ति पर कभी रोक नहीं लगाई है। क्योंकि नियोजन नीति के तहत गैर अनुसूचित जिलों में स्थानीयता के आधार पर कोई आरक्षण नहीं दिया गया है।

इसलिए हाई कोर्ट की वृहद पीठ के पारा 66 में दिए गए आदेश के अनुसार ही गैर अनुसूचित जिलों में नियुक्ति होनी चाहिए। इस पर अदालत ने कहा कि प्रार्थी हाई कोर्ट के आदेश में संशोधन के लिए याचिका दाखिल करें, ताकि इस मामले में सुनवाई की जा सके। बता दें कि सोनी कुमारी के मामले में वृहद पीठ ने 13 अनुसूचित जिलों में नियोजन नीति के अनुसार होने वाली शिक्षक नियुक्ति को रद कर दिया था।

क्योंकि इन जिलों में स्थानीय लोगों को शत-प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। इसके खिलाफ नियुक्त हुए शिक्षकों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है, जो लंबित है। इसी को आधार बनाकर हाई कोर्ट ने इनकी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट के निष्पादन के बाद सुनवाई करने की तिथि निर्धारित की है। उक्त आदेश के खिलाफ सुनील वर्मा व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की थी।


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