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Terror Funding: गिरिडीह के चार नक्सलियों पर NIA ने दाखिल किया आरोपपत्र

Terror Funding Case टेरर फंडिंग के मामलों का अनुसंधान कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने सोमवार को रांची स्थित एनआइए की विशेष अदालत में रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के पूर्व कर्मी मनोज कुमार यादव उर्फ मनोज कुमार सहित चार माओवादियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Mon, 11 Jan 2021 09:15 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jan 2021 10:26 PM (IST)
Terror Funding: गिरिडीह के चार नक्सलियों पर NIA ने दाखिल किया आरोपपत्र
Terror Funding Case: राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने चार माओवादियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

रांची, राज्य ब्यूरो। Terror Funding Case राज्य में टेरर फंडिंग के मामलों का अनुसंधान कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने सोमवार को रांची स्थित एनआइए की विशेष अदालत में रामकृपाल कंस्ट्रक्शन के पूर्व कर्मी मनोज कुमार यादव उर्फ मनोज कुमार सहित चार माओवादियों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल कर दिया। जिनपर आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं, उनमें मनोज कुमार के अलावा कृष्णा दा उर्फ कृष्णा हांसदा उर्फ कृष्णा मांझी उर्फ अविनाश दा उर्फ सौरभ दा उर्फ आंनद, सुनील मांझी उर्फ सुनील मुर्मू उर्फ सुनील सोरेन उर्फ चोपा सोरेन और मनोज कुमार चौधरी शामिल हैं। चारों आरोपित गिरिडीह के रहने वाले हैं। इनमें से सिर्फ कृष्णा हांसदा फरार है, अन्य तीनों पूर्व में एनआइए के हाथों गिरफ्तार किए जा चुके हैं। फरार कृष्णा हांसदा सीपीआइ (माओवादी) का रीजनल कमेटी सदस्य है। उसपर झारखंड सरकार ने 15 लाख रुपये का इनाम रखा है। 

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रांची स्थित एनआइए की विशेष अदालत में दाखिल पूरक आरोप पत्र में एनआइए ने बताया है कि गिरिडीह जिले के डुमरी थाना क्षेत्र से 21 जनवरी 2018 को मनोज कुमार को छह लाख रुपये व संदिग्ध दस्तावेज के साथ गिरफ्तार किया था। इस मामले में डुमरी थाने में 22 जनवरी 2018 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। तब झारखंड पुलिस को छानबीन में पता चला था कि मनोज कुमार के पास से बरामद रुपये ठेकेदारों से माओवादियों के नाम पर उठाए गए थे। मनोज ने स्वीकारा था कि वह माओवादियों का रीजनल कमेटी सदस्य कृष्णा दा उर्फ कृष्णा हांसदा उर्फ अविनाश दा के लिए लेवी वसूलता है। डुमरी थाने के इस केस को टेकओवर करते हुए एनआइए ने 21 जुलाई 2018 को अपने यहां केस पंजीकृत किया था।

एनआइए के अब तक के अनुसंधान में जो निकला

एनआइए के अनुसंधान में यह खुलासा हुआ कि मनोज कुमार रामकृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का कर्मचारी था। उसका मूल काम माओवादियों व ठेकेदारों के बीच मध्यस्थ का काम करना था। वह माओवादियों के रीजनल कमांडर कृष्णा दा के लिए ठेकेदारों से लेवी वसूलता था। यूं कहें तो वह माओवादियों का सहायक ग्राउंड वर्कर था। वह लेवी के रुपये लेकर माओवादियों के रीजनल कमांडर कृष्णा हांसदा के पास जा रहा था कि पकड़ा गया था।

अनुसंधान के दौरान एक अन्य रीजनल कमेटी सदस्य 15 लाख रुपये का इनामी सुनील मांझी गिरफ्तार किया गया। छानबीन में पता चला कि कृष्णा हांसदा, सुनील मांझी तथा उनके सहयोगी लेवी के रुपयों से  हथियार, कारतूस तथा विस्फोटक खरीदते रहे हैं और इसी राशि से अपने संगठन का विस्तार तथा नए कैडर को बहाल करते रहे हैं। इसके बल पर ही वे सुरक्षा बल पर हमला करते हैं, आतंकी गतिविधियां चलाते हैं। इसके माध्यम से ही लोक संपत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, निर्दोष को भी मारते हैं। यह भी जानकारी मिली कि एक अन्य आरोपित मनोज कुमार चौधरी भी सीपीआइ माओवादियों का सदस्य है और सीनियर कैडर तक लेवी के रुपयों को पहुंचाता है। इस पूरे प्रकरण में एनआइए का अनुसंधान अभी जारी है।


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