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Jharkhand: राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू बोलीं, झारखंड के लिए वरदान साबित होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति

New National Education Policy 2020 News राज्यपाल ने कहा कि कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। नीति को लागू करने के लिए नियुक्ति जरूरी है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 05:21 PM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 05:25 PM (IST)
Jharkhand: राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू बोलीं, झारखंड के लिए वरदान साबित होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति
Jharkhand: राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू बोलीं, झारखंड के लिए वरदान साबित होगी राष्ट्रीय शिक्षा नीति

रांची, राज्य ब्यूरो। राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 झारखंड के लिए वरदान साबित होगी। खासकर जनजातीय क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए। इस नीति के लागू होने के बाद यहां के विद्यार्थी भाषायी कारणों से पीछे नहीं रहेंगे। वे अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान सकेंगे। राज्यपाल सोमवार को उच्च शिक्षा के विकास में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की भूमिका पर आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन में अपना विचार रख रही थीं। वीडियो कान्फ्रेंसिंग से आयोजित इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए।

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राजभवन से इस सम्मेलन से जुड़ती हुई राज्यपाल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों की काफी सराहना की। कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा का ध्यान रखा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पूरे भारत में 700 प्रकार के जनजातीय समुदाय के लगभग 10 से 11 करोड़ की संख्या में लोग निवास करते हैं। यदि हम मातृभाषा के लिए जनजातीय भाषा का चयन आबादी के अनुसार करें तो अत्यन्त उपयुक्त होगा, क्योंकि 700 भाषाओं में पाठ्यक्रम तथा पुस्तकों की व्यवस्था कराने में समय लग सकता है।

राज्यपाल ने कहा कि झारखंड में कॉलेजों में शिक्षक छात्र अनुपात ठीक नहीं है। शिक्षकों के कई पद रिक्त हैं। लगभग 12 वर्षों से शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है। शिक्षकेत्तर कर्मियों की भी कमी है। उन्होंने नई शिक्षा नीति के उद्देश्य को पूरा करने के लिए रिक्त सभी पदों पर नियुक्ति जरूरी बताई। राज्यपाल ने जनजातीय क्षेत्रों में लोगों को आजीविका के साधन सुलभ कराने हेतु रोजगारपरक आधुनिक शिक्षा जैसे, कृषि एवं कृषि उत्पाद वस्तुओं के निर्माण, मत्स्य पालन, कुक्कुट पालन, गो-पालन, सूकर पालन, मधुमक्खी पालन, मशरूम की खेती आदि पर विशेष जोर देने की वकालत की।

जनजातीय भाषाओं के शिक्षक तैयार करने के लिए मिले स्कॉलरशिप

राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय क्षेत्रों की मुख्य समस्या उनकी बोल-चाल और रुचि की भाषा एवं शिक्षा की भाषा अलग रहना है। इससे विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति आकर्षण का अभाव देखा गया। विभिन्न जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों में बहुभाषी शिक्षा शुरू होने के बावजूद आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिली, क्योंकि जनजातीय भाषाओं में योग्य शिक्षकों का अभाव है।

ऐसे में योग्य शिक्षक तैयार करने हेतु जनजातीय बाहुल्य क्षेत्रों के उस भाषा के मेधावी विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप प्रदान कर शिक्षक प्रशिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने पाठ्यक्रमों में जनजातीय कला, संस्कृति, रीति-रिवाज़, परंपरा, खेल, कथाओं, वीर गाथाओं को उनके निज भाषाओं में लिखा जाना आवश्यक बताया।

झारखंड में खेल विश्वविद्यालय खोलने की वकालत

राज्यपाल ने केंद्र द्वारा झारखंड में खेल विश्वविद्यालय खोले जाने की वकालत की। कहा, झारखंड के लोग खेल के क्षेत्र में अत्यंत निपुण हैं और उन्होंने अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर भी ख्याति अर्जित की है। जनजातीय बच्चे तीरंदाजी, हाॅकी, फुटबाॅल के अतिरिक्त शेकोर के अलावा कई पारंपरिक खेलों में अत्यन्त रुचि रखते हैं। इनकी रुचि को देखते हुए इन खेलों को कोर्स में शामिल करते हुए उनकी दक्षता को और निपुण एवं प्रखर किया जा सकता है।

जनजातीय क्षेत्रों में खर्च में हो स्पष्टता

राज्यपाल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छह फीसद डीजीपी खर्च करने के लक्ष्य की सराहना की, लेकिन कहा कि इसके लिए दिए जानेवाले अनुदानों के समय यह स्पष्टता रहनी चाहिए कि जनजातीय क्षेत्रों में किस-किस मद में कहां खर्च करना है। तभी जनजातीय क्षेत्रों के विद्यार्थियों को इसका लाभ मिल पाएगा।


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