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नई नीति से शिक्षा में गुणवत्ता लाने का प्रयास : राज्यपाल

रांची राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति जनमानस की इच्छाओं के अनुरूप है वहीं इसके माध्यम से स्कूली व उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने का प्रयास किया गया है। मातृभाषा में बच्चों की पढ़ाई व्यावसायिक व शोध आधारित उच्च शिक्षा पर अधिक जोर इसकी खास विशेषता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 08:42 PM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 08:42 PM (IST)
नई नीति से शिक्षा में गुणवत्ता लाने का प्रयास : राज्यपाल
नई नीति से शिक्षा में गुणवत्ता लाने का प्रयास : राज्यपाल

रांची : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि जहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति जनमानस की इच्छाओं के अनुरूप है, वहीं इसके माध्यम से स्कूली व उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने का प्रयास किया गया है। मातृभाषा में बच्चों की पढ़ाई, व्यावसायिक व शोध आधारित उच्च शिक्षा पर अधिक जोर इसकी खास विशेषता है। राज्यपाल ने सोमवार को भारतीय शिक्षण मंडल, झारखंड प्रांत द्वारा 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा का महत्व' विषय पर आयोजित परिचर्चा के ऑनलाइन संबोधन में ये बातें कहीं।

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उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में मातृभाषा की अहमियत का ध्यान रखा गया है। हमारे बच्चे जो जानते हैं, अपनी भाषा में व्यक्त कर सकते हैं, लेकिन किसी विशिष्ट भाषा में नहीं बता सकते हैं। ऐसे में मातृभाषा में पढ़ने की बात अत्यंत सराहनीय है।

राज्यपाल ने कहा- स्वामीनाथन अय्यर की रिपोर्ट के अनुसार बच्चों के सीखने कि लिए सर्वाधिक सरल भाषा वही है, जो वे घर में बोली जाती है और सुनी जाती है। इसलिए विश्व के कई देशों में शिक्षा के क्षेत्र में अपनी मातृभाषा को प्राथमिकता प्रदान की गई है। उन्होंने कहा कि नई नीति लागू होने से बच्चों में आरंभ से ही इनोवेटिव आइडिया विकसित होंगे। झारखंड के परिप्रेक्ष्य में यह और भी महत्वपूर्ण और कारगर है। इस शिक्षा नीति के लागू होने के बाद यहां के विद्यार्थी भाषायी कारणों से पीछे नहीं रहेंगे। राज्यपाल ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिक डा. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में गठित आयोग द्वारा पंचायत से संसद तक विभिन्न स्तरों पर प्राप्त सुझावों और चर्चाओं के बाद यह नीति लागू की गई है। कहा कि ऐसे अहम विषयों पर चर्चाएं होनी चाहिए, ताकि लोग इन नीतियों की विशेषताओं से बेहतर तरीके से अवगत हो सकें। उन्होंने कहा कि नई नीति से विषयों के चयन की आजादी होगी और विज्ञान, कला, वाणिज्य की बंदिशें नहीं होंगी। विद्यार्थी विज्ञान के साथ कला के भी विषय ले सकेंगे।

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