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नेतरहाट विद्यालय : जानिए क्‍यों बजता है देश-दुनिया में इस स्‍कूल का डंका, अलुमनी नहीं भूल पाते यहां की यादें

नेतरहाट विद्यालय में अपने परिवार के साथ पहुंचकर 1960-75 बैच के करीब 40 पूर्ववर्ती छात्रों ने अपने गौरवशाली अतीत पर फख्र किया।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 12:09 PM (IST)Updated: Fri, 16 Nov 2018 12:09 PM (IST)
नेतरहाट विद्यालय : जानिए क्‍यों बजता है देश-दुनिया में इस स्‍कूल का डंका, अलुमनी नहीं भूल पाते यहां की यादें
नेतरहाट विद्यालय : जानिए क्‍यों बजता है देश-दुनिया में इस स्‍कूल का डंका, अलुमनी नहीं भूल पाते यहां की यादें

रांची, जेएनएन। हिंद प्रेम संबल है,विश्व प्रेम साध्य बना।अन्तरतर का गाये मधुमय संगीत सदा,वन्दे। वन्दे हे सुंदर मम सखा नेतरहाट सदा। सन 1954 में स्थापित गुरुकुल परम्परा को आत्मसात कर F.G piears ने जो बिना चहारदीवारी वाले आश्रम पद्धतियुक्त नौनिहालों को सुंदर शैक्षणिक व पारिवारिक वातावरण परिवेश के लिए नेतरहाट विद्यालय की नींव तत्कालीन बिहार के मुख्यमंत्री डॉ श्री कृष्ण सिंह,वित्त मंत्री अनुग्रह नारायण सिंह, सचिदानंद सिंह एवं जगदीश चंद्र माथुर के दिशा निर्देशन व सहयोग से रखी थी वो विद्यालय आज 'अत्तदीपा विहरथ' का moto को चरितार्थ करते हुए अपने 65वीं सालगिरह मना रहा है।

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नोबा, नेतरहाट ओल्‍ड ब्‍यॉज एसोसिएशन से जुड़े पूर्ववर्ती छात्राें की शब्‍दों में कहें तो आमतौर पर विद्यालय हमें अक्षर और पुस्तक ज्ञान देता है, लेकिन हमारे नेतरहाट स्‍कूल ने हमें इतना कुछ दिया है कि मुझे कई बार लगता है कि हमारा विद्यालय मां की तरह है। जैसे मां ने हमें जीवन दिया और जीना सिखाया, वैसे ही नेतरहाट ने हमें नवजीवन, जीवनशैली, सोच और संस्कार सबकुछ दिया।

मां ने हमें रिश्ते दिए, भाई बहन दिए, हमारे विद्यालय ने हमें इतने बड़े और छोटे भाई और ऐसा भाईचारा दिया कि संसार के किसी कोने में हम अकेले नहीं होते हैं। आज के एकाकी जीवनशैली के कारण इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है। विद्यालय दिवस के शुभ अवसर पर उन सभी शिक्षाविद जिनकी सोच और परिश्रम  से नेतरहाट की स्थापना हुई, अब तक के सारे श्रीमान जी जिन्होंने अपने जीवन का स्वर्णकाल विद्यालय और वहां के छात्रों को दिया और सभी अग्रज और अनुज को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं ।


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