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National Sports Day 2021: नेशनल टीम में तीन बार नहीं हुआ चयन, अब अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करने का लिया संकल्‍प

National Sports Day 2021 Jharkhand News खूंटी की ओलिंपियन निक्की प्रधान के प्रारंभिक कोच दशरथ महतो से प्रशिक्षित 58 लड़कियां और 19 लड़के राज्य राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बन चुके हैं। इनके कारण स्कूल ने जिले भर में हाकी में विशिष्ट स्थान प्राप्त किया।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Sat, 28 Aug 2021 10:16 PM (IST)Updated: Sat, 28 Aug 2021 11:59 PM (IST)
National Sports Day 2021: नेशनल टीम में तीन बार नहीं हुआ चयन, अब अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करने का लिया संकल्‍प
National Sports Day 2021, Jharkhand News दशरथ महतो से लड़के-लड़कियां राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बन चुके हैं।

खूंटी, [दिलीप कुमार]। झारखंड की पहली महिला ओलिंपियन निक्की प्रधान के प्रारंभिक कोच दशरथ महतो तीन बार हाकी की राष्ट्रीय टीम में शामिल होने के लिए आयोजित शिविर में शामिल हुए। लेकिन उनका चयन नहीं हुआ। तीन बार छंटने के बाद उन्होंने जिले में हाकी के धुरंधर खिलाड़ी तैयार करने का संकल्प लिया, ताकि उनके द्वारा तैयार किए गए खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी अमिट छाप छोड़ सकें। दशरथ महतो छात्र जीवन में हाकी के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं।

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वर्ष 1977-82 तक कालेज टीम से खेलते हुए उन्होंने राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए अथक प्रयास किया। लेकिन इसमें सफलता नहीं मिलने पर उन्होंने संकल्प लिया कि वे क्षेत्र की प्रतिभाओं को प्रशिक्षित कर हाकी का अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनाएंगे। वर्ष 1988 में राजकीय मध्य विद्यालय पेलोल में सहायक शिक्षक पद पर योगदान देने के तीन माह बाद ही उन्होंने एक छात्रा को प्रेरित कर स्कूल में हाकी खेल शुरू कराया। उस समय स्कूल के बच्चे हाकी से अनभिज्ञ थे। लेकिन उनके अथक प्रयास के कारण ही थोड़े ही दिनों में स्कूल ने जिले भर में हाकी में विशिष्ट स्थान प्राप्त किया।

निक्की प्रधान ने दी दशरथ के संकल्प को नई उड़ान

कोच दशरथ महतो ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करने के उनके संकल्प को निक्की प्रधान की दीदी पुष्पा प्रधान ने पूरा किया, जब उसने अंतरराष्ट्रीय हाकी मैच में भारत का प्रतिनिधित्व किया। माहिल गांव की गुड्डी कुमारी व कुंजला गांव की अनिमा सोरेन भी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया। लेकिन निक्की प्रधान ने प्रथम ओलिंपियन बनकर उनके संकल्प को नई उड़ान दी।

उनसे प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले 58 लड़कियां और 19 लड़के राज्यस्तरीय, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बन चुके हैं। इनमें से अधिकांश खेल के माध्यम से सरकारी व निजी कंपनियों में नौकरी कर रहे हैं। अकेले निक्की प्रधान के गांव हेसल की 11 लड़कियां रेलवे, सीआरपीएफ, झारखंड पुलिस व खेल प्राधिकरण रांची में नौकरी कर रही हैं।

दशरथ ने कहा- कठिन परिस्थितयों में निक्की प्रधान को तराशा

आज निक्की प्रधान को पूरा विश्व जानता है। कोच दशरथ महतो ने कहा कि कठिन परिस्थितियों में निक्की को ट्रेनिंग दिया गया। निक्की शुरुआत से ही मेहनती थीं। छोटे से गांव से निकलकर महिला हाकी के अंतरराष्ट्रीय फलक पर छा जाने वाली निक्की प्रधान का टोक्यो में होने वाले ओलिंपिक के लिए भारतीय महिला हाकी टीम में चयन होने के बाद से ही जिले के लोगों में हर्ष की लहर व्याप्त हो गई थी।

लेकिन नक्सल प्रभावित पिछड़े इलाके खूंटी में जब कोच ने हाकी का प्रशिक्षण देना शुरू किया था, तो लोग हंसते थे। निक्की ने जब कहा कि आज वह जिस मुकाम पर हैं, उसमें उनके शिक्षक दशरथ महतो का बड़ा हाथ है। निक्की के इस बयान से कोच दशरथ महतो सुर्खियों में आ गए हैं।


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