सरसों तेल के दाम आसमान पर, दाल भी महंगी; किचन का बजट गड़बड़ाने से लोगों में आक्रोश
Mustard Oil Price Garhwa Samachar Jharkhand Hindi News कोरोना काल में महंगाई बढ़ने से किचन का बजट गड़बड़ा गया है। खाद्य तेल व दाल महंगाई के घोड़े पर सवार है। लोग दाल के बढ़े दामों से त्रस्त हैं।
गढ़वा, जासं। कोरोना काल में जहां लोग बीमारी से लोग त्रस्त हैं, वही इस दौर में लोगों को महंगाई की मार भी झेलनी पड़ रही है। सबसे ज्यादा महंगाई खाद्य तेल एवं सभी प्रकार के दाल के दाम में देखने को मिल रही है। वर्तमान में सरसों का तेल प्रति लीटर 180 रुपये से 200 रुपये लीटर की दर से बिक रहे हैं। जबकि कुछ माह पूर्व सरसों का तेल 130 रुपये लीटर बिक रहा था। इसी प्रकार रिफाइंड तेल के दामों में भी जबरदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है। रिफाइन तेल पहले 110 रुपये मिलता था। जबकि अब यह 170 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बिक रहा है।
इसी प्रकार दलहन के दामों में भी बहुत बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। लोग दाल के बढ़े दामों से त्रस्त हैं। अरहर दाल वर्तमान में 110 रुपये प्रति किलो की दर से मिल रहा है। जबकि कुछ माह पूर्व इसका दाम 80 रुपये से 90 रुपये प्रति किलोग्राम था। इसी प्रकार अन्य दालों के दाम में भी अनायास वृद्धि देखने को मिल रही है। खाद्य तेल एवं दलहन के दाम में हुई बढ़ोतरी से गृहिणियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसको लेकर इनमें आक्रोश देखा जा रहा है।
खाद्य तेल एवं दाल के दामों में हुई वृद्धि पर व्यवसायियों एवं गृहिणी की प्रतिक्रिया
इस कोरोना काल में हमें महंगाई का सामना करना पड़ रहा है। तेल जो किचन के लिए सबसे आवश्यक है, वह भी महंगा हो गया है। जबकि दाल के दामों में भी बढ़ोतरी हुई है। सरकार जल्द से जल्द इन खाद्य पदार्थों के दाम में नियंत्रण करे। -रुचि केसरी, गृहिणी।
खाद्य तेल एवं दाल के दाम इतने बढ़ गए हैं कि हमें किचन का बजट संभालना मुश्किल हो गया है। बहुत संभाल कर किसी प्रकार हम घर परिवार चला रहे हैं। सरकार खाद्य पदार्थों के दाम में कमी लाने के लिए आवश्यक कदम उठाए। -सरिता देवी, गृहिणी।
गढ़वा के बाजार में पर्याप्त मात्रा में खाद्य तेल एवं दलहन नहीं पहुंच पा रहे हैं। सरकार इसके लिए आवश्यक प्रबंध करे, ताकि पर्याप्त मात्रा में तेल व दलहन यहां उपलब्ध हो सके। इस वर्ष सरसों व दलहन का उत्पादन कम होने के कारण भी मूल्य में इजाफा हो रहा है। व्यवसायी भी परेशान हैं। यहां किसी प्रकार की कालाबाजारी नहीं की जा रही है, बल्कि पर्याप्त मात्रा में तेल व दलहन ही उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। थोक मंडी से ही हमें महंगे दर पर दाल व तेल मिल रहे हैं। -राजेश गुप्ता, अध्यक्ष, व्यवसायी संघ, कृषि उत्पादन बाजार समिति, गढ़वा।
खाद्य पदार्थों का उत्पादन कम होने के कारण इसके मूल्य में वृद्धि हुई है। व्यवसायियों के पास महंगे दाम पर सामान पहुंच रहे हैं। इस कारण वह खुदरा दर पर महंगा सामान बेच रहे हैं। सरकार को इसके लिए आवश्यक कदम उठाना चाहिए। -रामकुमार, व्यवसायी।