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बेटा मंदबुद्धि पैदा हुआ तो मां ने खोला विशेष स्‍कूल, 13 वर्षों से 150 दिव्‍यांग बच्‍चों को दे रही शिक्षा Dhanbad News

Jharkhand News Dhanbad Samachar धनबाद के बैंक मोड़ की रहने वाली अनिता 13 वर्षों से मंदबुद्धि व दिव्यांग बच्चों को शिक्षण-प्रशिक्षण दे रही है। आधुनिक सुविधा से लैस विशेष स्कूल में दिव्यांग बच्चों को वह स्वावलंबी बना रही हैं।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Published: Wed, 11 Aug 2021 03:03 PM (IST)Updated: Wed, 11 Aug 2021 03:05 PM (IST)
बेटा मंदबुद्धि पैदा हुआ तो मां ने खोला विशेष स्‍कूल, 13 वर्षों से 150 दिव्‍यांग बच्‍चों को दे रही शिक्षा Dhanbad News
Jharkhand News, Dhanbad Samachar धनबाद की रहने वाली अनिता विशेष स्कूल में दिव्यांग बच्चों को स्वावलंबी बना रही हैं।

झरिया (धनबाद), [गोविंद नाथ शर्मा]। धनबाद के बैंक मोड़ में रहने वाली 45 वर्षीय अनिता अग्रवाल डेढ़ दशक से दिव्यांग व मंदबुद्धि बच्चों का भविष्य संवारने में जुटी हैं। इस काम से उनकी भावनाएं जुड़ी हैं। उन्होंने इसकी पीड़ा को करीब से देखा-समझा और झेला है। मंदबुद्धि होने की वजह से जब उनके बेटे को पढ़ाई में मुश्किलें आईं तो उन्होंने इस तरह के तमाम बच्चों की चिंता शुरू कर दी। अब वह स्कूल खोलकर इन बच्चों के शिक्षण-प्रशिक्षण में जुटी हैं।

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दिव्यांग बच्चों के निश्शुल्क शिक्षण-प्रशिक्षण के लिए वह पूरे जिले में मिसाल बनी हुई हैं। लगभग 20 साल पहले वर्ष 2001 में खाद्यान्न व्यवसायी अनिल अग्रवाल की पत्नी अनिता जब दूसरी बार बेटे की मां बनी तो उसे खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन यह खुशी अनिता के लिए कुछ घंटे के बाद ही गम में बदल गई। डॉक्टरों ने कहा कि उनका दूसरा बेटा मंदबुद्धि और बहुत कमजोर है। तीन माह तक अनिता का नवजात बच्चा बोकारो अस्पताल के आइसीयू में रहा।

इसके बाद भी अनिता ने हिम्मत नहीं हारी। लगभग छह साल तक अपने बच्चे की बेहतरी को लेकर देश के हर बड़े अस्पताल में पहुंची। धार्मिक स्थलों में माथा टेका। लेकिन उन्हें कोई सफलता नहीं मिली। डॉक्टरों का कहना था कि बच्चे का इलाज मेडिकल साइंस में नहीं है। इसे विशेष स्कूल में शिक्षण-प्रशिक्षण के माध्यम से ही ठीक किया जा सकता है। इसके बाद अनिता अपने पुत्र व समाज के अन्य दिव्यांग बच्चों की सेवा के लिए शिद्दत से जुड़ गई।

स्कूल में डेढ़ सौ बच्चे अभी पढ़ रहे

अनिता का मंदबुद्धि पुत्र कौशल अग्रवाल जब सात साल का हुआ तो उसकी पढ़ाई के लिए मां अनिता उसके नामांकन को स्कूल गई। लेकिन किसी भी स्कूल में उसका नामांकन नहीं हुआ। यहीं से अनिता ने ठान लिया कि अपने बच्चे को वह घर में ही पढ़ाएगी। अनिता ने दिव्यांग पुत्र कौशल व पास की ही एक मंदबुद्धि बच्ची सेजल कुमारी को घर में ही शिक्षण प्रशिक्षण देने लगी। कुछ वर्षों में दिव्यांग बच्चों की संख्या घर में अधिक हो गई। इसके बाद अनिता ने बैंक मोड़ और नई दिल्ली धनसार में पहला कदम नाम से विशेष स्कूल खोला।

कई वर्षों तक यहां बच्चों को उन्‍होंने अपने खर्च से ही शिक्षण-प्रशिक्षण दिया। वर्ष 2018 में बीसीसीएल के सीएमडी अजय सिंह एक कार्यक्रम में स्कूल पहुंचे। उन्‍होंने अनिता के जज्बे की तारीफ की। इसके बाद जगजीवन नगर धनबाद में बीसीसीएल की ओर से स्कूल के लिए एक भवन दिया। अभी स्कूल में लगभग 150 मंदबुद्धि, विकलांग, नेत्रहीन और दिव्यांग बच्चे निश्शुल्क पढ़ रहे हैं। स्कूल सरकार से संबद्ध भी हो गया है। कोरोना काल में भी लगभग 50 बच्चे ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं।

विशेष स्कूल में दिव्यांग बच्चों को हर तरह का दिया जाता है शिक्षण-प्रशिक्षण

पहला कदम विशेष स्कूल की संचालिका अनिता अग्रवाल ने कहा कि अब यह स्कूल हर तरह की आधुनिक सुविधाओं से लैस हो गया है। स्कूल में बच्चों को हर तरह के शिक्षण-प्रशिक्षण के अलावा उन्हें स्वावलंबी भी बनाया जा रहा है। बच्चे कागज का प्लेट, लिफाफा, थैली, राखी आदि सामान बना रहे हैं। बच्चों को गीत, नृत्य, संगीत कला भी सिखाई जा रही है। उन्‍हें सिलाई, कढ़ाई का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। 10 वर्षों के अंदर स्कूल के लगभग 50 बच्चे स्वावलंबी बन चुके हैं। वे अपने परिवार को आर्थिक मदद भी कर रहे हैं। स्कूल को मिलने वाले कुछ डोनेशन से गरीब दिव्यांग बच्चों के परिवार को आर्थिक मदद के साथ सूखा राशन भी दिया जाता है।

खेल में भी परचम लहरा रहे हैं दिव्यांग स्कूल के बच्चे

इस स्‍कूल के मंदबुद्धि और दिव्यांग बच्चे समय-समय पर जिला, राज्य और राष्ट्र स्तरीय विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते हैं। फुटबॉल, बैडमिंटन, क्रिकेट और सांस्कृतिक प्रतियोगिता में वे राष्ट्रीय स्तर पर भी परचम लहरा चुके हैं। स्कूल में बच्चों को खेल का प्रशिक्षण देने के लिए अलग से खेल शिक्षिका रखा गया है। अनिता ने बताया कि खेलकूद प्रतियोगिता में स्कूल के बच्चों ने कई पुरस्कार भी जीते हैं।

दिव्यांग बच्चों की सेवा के लिए अनिता को मिले हैं कई पुरस्कार

पिछले 13 वर्षों से धनबाद में मंदबुद्धि, विकलांग, नेत्रहीन और दिव्यांग बच्चों की सेवा के लिए अनिता को कई पुरस्कार भी मिले हैं। इनमें वर्ष 2019 में जयपुर में दिव्यांग रत्न अवॉर्ड, जमशेदपुर में टाटा स्टील का सबल अवार्ड, रांची में बेस्ट पेरेंट्स अवार्ड, दिल्ली में बेस्ट सोशल वर्क का अवार्ड सहित लगभग ढाई दर्जन छोटे बड़े अवॉर्ड शामिल हैं।

हाल ही में झारखंड के मंत्री बन्ना गुप्ता से अनिता ने धनबाद सर्किट हाउस में मुलाकात की। मंत्री ने उनके कार्य को सराहा। कहा कि यह समाज के लिए गौरव की बात है। जल्द पहला कदम स्कूल आकर सरकार की ओर से सहयोग करूंगा। वर्षों शिक्षण-प्रशिक्षण के कारण अनिता अग्रवाल के मंदबुद्धि पुत्र कौशल अग्रवाल का शारीरिक विकास हुआ है। खुद से लैपटॉप, मोबाइल चलाने के साथ और कई काम भी कर रहा है।


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