Jharkhand Budget Session: सदन में विभागाें के जवाब पर अपने ही मंत्री ने उठाई उंगली, सरकार की हुई किरकिरी
Jharkhand Budget Session. विधायक के सवाल पर मिला कोई टिप्पणी नहीं का जवाब। विपक्ष के सदस्यों ने सरकार को घेरा। जल संसाधन विभाग और ऊर्जा विभाग ने कराई किरकिरी।
रांची, राज्य ब्यूरो। झारखंड विधानसभा में जल संसाधन विभाग के जवाब ने राज्य सरकार की सदन में खासी किरकिरी कराई। संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम खुद जवाब पर खीजते नजर आए। उन्होंने स्पष्ट स्पष्ट कहा कि यह कोई जवाब नहीं हैं। विभाग की इस तरह की गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सिर्फ जल संसाधन ही नहीं, ऊर्जा विभाग से जुड़े सवाल का जबाव भी सदन में सरकार की फजीहत का कारण बना।
गुरुवार को सदन में प्रश्न काल के दौरान जल संसाधन, ऊर्जा विभाग और खाद्य आपूर्ति विभाग से जुड़े सवालों पर चर्चा हुई। राज सिन्हा के पहले ही सवाल के जवाब में जल संसाधन विभाग की ओर से उत्तर में एक जगह लिखा गया 'कोई टिप्पणी नहीं'। प्रश्नकर्ता ने इस पर सवाल उठाया, तो संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि प्रभारी मंत्री बीमार हैं। लेकिन हम भी यह स्वीकारते हैं कि यह कोई जवाब नहीं है।
आने वाले समय में गलती बर्दाश्त नहीं होगी। मंत्री की साफगोई पर राज सिन्हा ने उनकी तारीफ भी की। अल्पसूचित प्रश्न काल के दौरान ही कुशवाहा शशि भूषण मेहता ने भी पलामू के मलय जलाशय योजना का मामला उठाया तो भी कुछ ऐसा ही जवाब मिला। बात यहीं खत्म नहीं हुई। तारांकित प्रश्न काल के दौरान इंद्रजीत महतो के जल संसाधन विभाग से जुड़े सवाल पर भी विभाग ने लिखा 'कोई टिप्पणी नहीं'। जल संसाधन विभाग के ऐसे जवाब पर सदस्यों ने सरकार को घेरा। सीपी सिंह ने कहा कि क्या यहां सरकार गलती करने के लिए बैठी है।
कोई टिप्पणी नहीं लिखकर नया इतिहास बना रहे हैं। प्रदीप यादव सवाल उठाते हुए कहा कि इस पर मंत्री के हस्ताक्षर हैं। सरकार कैसे इतनी बड़ी गलती कर सकती है। आलमगीर आलम ने बताया कि प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर बीमार हैं। हमने जब देखा तो खुद कहा कि यह जवाब गलत है। विधायक स्टीफन मरांडी और सरफराज अहमद ने भी कहा कि मंत्री समीक्षा करते हैं, हस्ताक्षर करते हैं। आलमगीर आलम ने स्वीकारा कि यह परंपरा गलत है।
ऊर्जा विभाग के आंकड़ों ने उलझाया, आलमगीर आलम भी बोले- थोड़ा कंफ्यूजन है
सिर्फ जल संसाधन ही नहीं, ऊर्जा विभाग के जवाब ने भी विधानसभा में सरकार की फजीहत कराई। ऊर्जा विभाग द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों में सरकार खुद उलझ कर रह गई। संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम को भी मानना पड़ा कि थोड़ा कंफ्यूजन है। लंबोदर महतो ने अल्पसूचित प्रश्न काल के दौरान बिजली की वर्तमान उपलब्धता और खपत से जुड़ा सवाल उठाया।
जवाब में ऊर्जा विभाग की ओर से बताया गया कि वर्तमान में राज्य में 2625 मेगावाट का आवंटन किया जा रहा है। जबकि, आवंटन के विरुद्ध मांग लगभग 2100 मेगावाट है। अगली लाइन में कहा गया कि 68 लाख घरों में चौबीस घंटे सातों दिन बिजली उपलब्ध कराने के लिए 4000 मेगावाट की बिजली की आवश्यकता है। इसकी पूर्ति कहां से होगी, यह भी बताया गया। विधायक सरयू राय ने आंकड़ों के इस फेर को पकड़ लिया।
कहा, उत्तर भ्रामक है। उन्होंने कहा कि बताया जा रहा है कि 2625 मेगावाट बांटा जा रहा है। 2100 मेगावाट की डिमांड है। फिर कैसे कह रहे हैं कि 4000 मेगावाट की आवश्यकता है। उत्तर भ्रमित करने वाला है। संसदीय कार्यमंत्री ने सरकार के स्तर पर स्थिति स्पष्ट करने की कोशिश की, लेकिन जब जवाब को दोबारा पढ़ा तो खुद स्वीकारा कि थोड़ा कंफ्यूजन तो है।