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देश में पहली बार प्रवासी श्रमिकों व रोजगार देने वाले प्रोफेशनल्स का तैयार हो रहा डाटाबेस

मोदी सरकार वैश्विक महामारी कोरोना और इसकी वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान सामने आई प्रवासी श्रमिकों की समस्या के स्थाई समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार देश में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों और रोजगार के अवसरों का डाटाबेस तैयार कर रही है।

By Vikram GiriEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2021 11:10 AM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2021 11:10 AM (IST)
देश में पहली बार प्रवासी श्रमिकों व रोजगार देने वाले प्रोफेशनल्स का तैयार हो रहा डाटाबेस
देश में पहली बार प्रवासी श्रमिकों व रोजगार देने वाले प्रोफेशनल्स का तैयार हो रहा डाटाबेस। जागरण

रांची, जासं । मोदी सरकार वैश्विक महामारी कोरोना और इसकी वजह से लगे लॉकडाउन के दौरान सामने आई प्रवासी श्रमिकों की समस्या के स्थाई समाधान के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए सरकार देश में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों और रोजगार के अवसरों का डाटाबेस तैयार कर रही है। फिलहाल इसके लिए सर्वेक्षण का काम चल रहा है।

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डाटाबेस तैयार होने के बाद सरकार श्रमिकों और रोजगार देने वाली संस्थाओं या प्रोफेशनल्स के बीच समन्वय स्थापित करते हुए श्रमिकों को रोजगार के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा एवं अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सिलसिलेवार काम करेगी। राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए केन्द्रीय श्रम और रोजगार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संतोष कुमार गंगवार ने यह जानकारी दी।

लोहा-इस्पात की उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों में कमी लाने के लिए सरकार कर रही कई उपाय

सरकार ने लोहा-इस्पात की उपलब्धता बढ़ाने और कीमतों में कमी लाने के लिए घरेलू उत्पादन में तेजी लाने के लिए कई कदम उठाएं हैं। बुधवार को राज्यसभा में सांसद महेश पोद्दार के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने यह जानकारी दी। मंत्री प्रधान ने पोद्दार के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि लौह अयस्क और इस्पात की मांग और आपूर्ति में असंतुलन के कारण हाल के महीनों में लोहा और इस्पात की कीमतों में वृद्धि हुई है।

लौह अयस्क की कमी को लोहा-इस्पात की कीमतों में वृद्धि की बड़ी वजह बताते हुए मंत्री ने कहा कि वर्तमान वित्त वर्ष में नवंबर 2020 तक लौह अयस्क का उत्पादन 112 एमटी ही रहा, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 152 एमटी लौह अयस्क का उत्पादन हुआ था। लौह अयस्क की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए सरकार अन्य उपायों के साथ-साथ खनन और खनिज नीति सुधार, सरकारी खनन कंपनियों द्वारा उत्पादन एवं अधिकतम क्षमता उपयोग में तेजी लाना, सेल को 25 प्रतिशत फ्रेश फाइन और 70 एमटी डंप तथा अवशिष्ट बेचने की अनुमति प्रदान करना, सेल द्वारा लौह अयस्क फाइन की नीलामी में तेजी लाना और ओड़िशा की जब्त कार्यशील खदानों का राज्य एवं केंद्र के पीएसयू आदि जैसे कदम उठा रही है।


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